दिवाली पर खराब रही इंदौर की हवा: दिवाली पर इस बार बीते दो साल से ज्यादा रहा ध्वनि प्रदूषण, हवा भी हुई खराब

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इंदौर33 मिनट पहले

दिवाली पर इस बार लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े। इसके चलते शहर के सभी इलाकों में वायु प्रदूषण निर्धारित मानक से अधिक रहा। सामान्य दिनों की तुलना में इंदौर में दिवाली पर इस बार पीएम-10 और पीएम-2.5 (हवा में धूल के कण) में अत्यधिक इजाफा हुआ। ध्वनि प्रदूषण पिछले दो साल से अधिक रहा। वहीं मध्यप्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर 25 अक्टूबर की सुबह 9 बजे के जो छोटी ग्वालटोली क्षेत्र के आंकड़ों में पीएम-2.5 का स्तर 192 व पीएम-10 का स्तर 209 बताया गया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में भी इसे खराब स्थिति में रखा गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इसकी पुष्टि की है।

डीआईजी ऑफिस पर लगे मॉनिटरिंग स्टेशन के आंकड़े जो प्रदूषण विभाग की ओर से जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक दिवाली के दौरान पीएम-10 (धूल के कण) 500 रहे, जबकि पीएम-2.5 का स्तर 320 रहा। इसी तरह विजय नगर क्षेत्र में पीएम-10 का स्तर 219 व पीएम-2.5 का लेवल 140.6 रहा। जबकि महू नाका क्षेत्र में आंकड़े पीएम-10 के 355 व पीएम-2.5 का लेवल 190.4 रहा। तय मानक के मुताबिक पीएम-10 100 व पीएम 2.5 60 होना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य प्रयोगशाला अधिकारी एसएन पाटिल ने बताया कि इस बार दिवाली पर वायु और ध्वनि प्रदूषण में इजाफा हुआ है। आंकड़े औसत से अधिक रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण भी पिछले साल से ज्यादा

दिवाली पर इस बार ध्वनि प्रदूषण भी अत्यधिक हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिवाली पर शाम 6 से रात 12 बजे के बीच ध्वनि प्रदूषण में 25 डेसिबल की वृद्धि कमर्शियल व रेसीडेंशियल क्षेत्र में हुई है। आंकड़ों के मुताबिक सामान्य औसतन सामान्य दिनों में ध्वनि का स्तर कमर्शियल क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में अधिक रहा। वहीं शहर के रहवासी क्षेत्रों में भी दिवाली पर ध्वनि प्रदूषण बढ़ा हुआ रहा।औसतन सामान्य दिनों में ध्वनि का स्तर 2020 में रेसीडेंशियल इलाके में 52.4 डेसिबल था जो पिछले साल यानी 2021 में घटकर 49.45 डेसिबल रिकॉर्ड किया गया।

ध्वनि प्रदूषण पिछले साल से बढ़कर इस दिवाली के दिन 75.9 रहा। पिछले दो साल की तुलना में इस बार व्यावसायिक और रहवासी क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण अधिक रहा।

ऐसे समझे एयर क्वालिटी इंडेक्स

एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा की गुणवत्ता को बताता है। इससे पता चलता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है। हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 केटेगरी बनाईं गईं हैं। यह हैं अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर। वहा की गुणवत्ता के अनुसार इसे अच्छी से खराब और फिर गंभीर की श्रेणी में रखा जाता है। इसी के आधार पर प्रशासन इसे सुधारने के लिए प्रयास करती है।

यह होता है पीएम-10

पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटा होता है। धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण मिले रहते हैं। पीएम 10 और पीएम 2.5 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। पीएम 10 का सामान्‍य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए

यह होता है पीएम-2.5

पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटा रहता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है। इससे ज्यादा होने पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ बढ़ती है

पीएम 2.5 बहुत छोटे होने के कारण सांस लेने पर यह हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंच जाते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पड़ता है। इसके कारण आंखों में जलन, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है। खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इसके लगातार खराब बने रहने के कारण कैंसर और फेफड़ों संबंधी बीमारी होने लगती हैं।

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