दशहरे पर पिपरई में निकला मां बिजासन का डोला: 50 वर्षों से हर घर से ले रहे भेंट, अपनी मर्जी से चलता है विमान

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अशोकनगरएक घंटा पहले
जिले की पिपरई नगर परिषद में नवरात्रि के बाद दशहरे के दिन मां बिजासन का डोला निकाला गया। यह डोला सुबह 8 बजे से प्रारंभ हुआ और नगर की बस्ती की एक-एक गली में घूमा। इस दौरान डोला को घूमने में शाम हो जाती है। डोला अपनी मर्जी से चलता है जो लोग उसे कंधे पर रखते हैं वह चाह कर भी रास्ता नहीं बदल सकते ।
अपनी मर्जी से चलता है डोला
मंदिर के पुजारी एवं पिपरई नगर के लोगों के द्वारा बताया गया कि बीजासन माता का डोला अपनी मर्जी से चलता है । सुबह 8 बजे जो लोग कंधे पर रखते हैं और वह अपनी मर्जी से नहीं बल्कि डोला अपनी मर्जी से चलता है । ढोला को किसी गली में 5 बार जाना हो तो जो लोग कंधे पर रखे हुए हैं वह चाह कर भी नहीं रोक पाते उनमें ऐसा धक्का लगता है कि वह उसी गली में बार-बार घूम जाते हैं । इसी तरह कई प्रकार के चमत्कार होते हैं चलते चलते समय ढोला कंधे पर रखने वाले लोग दौड़ने लगते हैं ।
हर घर तक जाता है डोला
बिजासन माता के ढोला की 50 वर्षों से परंपरा है कि प्रत्येक समाज एवं समुदाय के लोगों के यहां डोला बैंक लेने जाता है । मुस्लिम समुदाय के यहां से भी भेंट ली जाती है । यहां तक की रेलवे स्टेशन एवं थाने में भी ढोला जाता है । अगर कोई पुलिसकर्मी डोला को अपने कंधे पर नहीं रखता तब तक डोला थाने के अंदर प्रवेश नहीं करता है ।
50 वर्षों से चली आ रही परंपरा
पिपरई से पहले डोला चंदेरी क्षेत्र के नावनी गांव में निकाला जाता था । लगभग 50 साल पहले चंदेरी के नोनी राम पंडा को सपना आया कि, बिजासन माता पिपरई आना चाहती है । जिसके बाद वह नावनी गांव गए और वहां से माता को अपने साथ लेकर पिपरई आ गए । पिपरई की बिजासन मंदिर में माता को विराजमान कर दिया । उन्हीं को विराजमान कर उनका डोला नगर में दशहरे के दिन निकाला जाता है ।
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