दरगाह शरीफ पर 801वां उर्स: 12-12 साल के अंतर से हर मौसम में आता है उर्स का नंबर कारण-इस्लामिक कैलेंडर में 10 दिन पीछे होते हैं त्योहार

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- The Reason For The Number Of Urs Comes In Every Season With A Difference Of 12 12 Years The Festival Is 10 Days Behind In The Islamic Calendar
रायसेन34 मिनट पहले
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उर्स के पहले दिन जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर अरविंद दुबे ने पेश की चादर।
भोपाल रोड स्थिति हजरत बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह शरीफ पर शुक्रवार से 801वां उर्स प्रारंभ हो गया है। यहां पर उर्स करीब 800 साल से लगातार भराता आ रहा है। हालांकि उर्स के महीने भी बदलते रहते हैं, कारण इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुस्लिम समाज के सभी त्योहार 10 दिन पीछे घटते जाते है। उर्स भी उसी तर्ज पर घटते हुए क्रम में यहां पर भराता है। प्रत्येक 12 साल में उर्स कभी कभी ठंड तो गर्मी या फिर बारिश के मौसम में भराता है।
दरगाह के पास रहने वाले 85 वर्षीय अजीज उल्लाह शरीफ मुन्ने चाट वाले ने बताते है कि उनका पूरा बचपन दरगाह पर ही गुजरा है। उनके अनुसार हजरत बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब इराक-ईरान के रास्ते से होकर मालवा (भारत) में आए थे। बाबा साहब गरीबों की मदद करने, उनके दुख-दर्दों का दूर करने में हमेशा तत्पर रहते है। उन्हीं की प्रेरणा से ही 800 साल पहले उर्स की शुरुआत की गई थी। उर्स में अमीर लोग शिरकत करते थे,जो गरीबों को उपहार या फिर उनकी जरुरत का सामान बांटते थे ताकि गरीबों की किसी तरह से मदद हो जाए।
तब से लेकर अब तक निरंतर उर्स यहां पर भराता चला रहा है। यहां पर हजारों की संख्या में लोग उर्स के मौके पर जुटते है। हजरत बाबा पीर फतेह उल्लाह साहब अजमेर के ख्वाजा मुईन उददीन चिश्ती के भांजे थे। इस कारण भी यहां की दरगाह पूरे देश में प्रसिद्ध हो गई ।
7 खादिम संभालते हैं दरगाह की व्यवस्थाएं
दरगाह शरीफ की व्यवस्थाएं पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार संभालता आ रहा है । वर्तमान में सात खादिम दरगाह की व्यवस्था देख रहे है, उनमें मो. इरशाद, मो. सय्यैद, रशीद हसन, मो. असीफ, मो. उवेश, मो. जोहेब और मो. राजा प्रमुख है । उर्स के मौके पर यहां पर होने वाले आयोजन का खर्चा भी खादिम लोग ही उठाते है । खादिम मो. उवेश ने बताया कि दरगाह पर दान के रुप में एकत्रित होने वाली राशि से ही उर्स के आयोजन को संपन्न कराया जाता है।
12 साल से लगातार उर्स में आ रहे हैं कव्वाल ताज कादरी
दरगाह शरीफ पर भराने वाले उर्स पर देश भर के कव्वाल यहां पर आकर अपने फन का प्रदर्शन करते हैं। इस बार झांसी के कव्वाल मेहंदी हसन, छोटे अनीस, ताज कादरी और आगर से आए कव्वाल चंचल भारती के बीच कव्वालियों का मुकाबला होगा। कव्वाली पेश करने आए कव्वाल ताज कादरी ने बताया कि वह 12 साल से उर्स में आ रहे हैं।
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