ताई बोलीं राजबाडा हेरिटेज एरिया: यहां से दूर रखें मेट्रो, नींव कमजोर होने की आशंका

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इंदौर24 मिनट पहले

सरकार के महत्वाकांक्षी मेट्रो प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव के पूर्व इसके एक हिस्से में मेट्रो चलाने की पूरी तैयारी है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में गांधी प्रतिमा, कोठारी मार्केट, गांधी हॉल, राजबाडा के पास से भी मेट्रो को गुजारने का खाका तैयार हो रहा है। इस बीच पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने शहर के बीच राजबाडा के पास से मेट्रो के संचालन को लेकर गहरी चिंता जताई है। इस बाबद उन्होंने नगरीय विकास व आवास विभाग को अपने सुझावों के साथ विकल्पों को बताने के लिए पत्र लिखा है। इसे लेकर विभाग के कमिश्नर निकुंज श्रीवास्तव इसी सप्ताह इंदौर आएंगे। वे ताई के साथ इस मामले में डिटेल प्लान तैयार करेंगे।

कुछ ऐसी है मेट्रो की कल्पना।

कुछ ऐसी है मेट्रो की कल्पना।

दरअसल, शहर के पश्चिम क्षेत्र (राजबाडा व आसपास के क्षेत्र) अब काफी सघन क्षेत्र है। यह स्थिति तब है जब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सड़कें चौड़ी करने के लिए हजारों मकानों-दुकानों के आगे के अवैध हिस्सों को ढहाया गया जिसके चलते अब सड़कें चौड़ी दिखने लगी हैं साथ ही कुछ सडकों का निर्माण भी चल रहा है। इस बीच मेट्रो के गांधी प्रतिमा से लेकर राजबाडा व उसके आगे तक के हिस्से का जैसे ही खाका तैयार हुआ तो वहां के पूरे रहवासियों के साथ व्यापारी वर्ग भी अब चिंता में हैं। मेट्रो को अगर यहां से गुजारा जाता है तो 60 से ज्यादा बड़े रहवासी व कमर्शियल क्षेत्र प्रभावित होंगे क्योंकि मेट्रो के संचालन को लेकर काफी जगह लगती है जिसका खाका सुपर कॉरिडोर से लेकर रेडिसन चौराहे तक लोग देख चुके हैं। अगर मेट्रो शहर के बीच से गुजरी तो कई तरह की परेशानियां खड़ी होंगी।

खास बात यह कि यहां हेरिटेज के रूप में गांधी हॉल, गोपाल मंदिर, कृष्णपुरा छत्रियां, बोलियां छत्रियां, गांधी हॉल आदि हैं। चूंकि मेट्रो प्रोजेक्ट की नींव बड़ी जगह के साथ काफी गहरई में डाली जाती है तो ऐसे में न सिर्फ इन हेरिटेज की नींव को खतरा होगा बल्कि मेट्रो के वाइब्रेशन से लगातार कम्पन होता रहेगा। ऐसे में संभव है कि हेरिेटेज की नींव के साथ पुराने स्ट्रक्चर भी कमजोर होंगे।

शास्त्री ब्रिज को फिर से बनाना भी चुनौती

दूसरी ओर शहर के पुराने शास्त्री ब्रिज की चौड़ाई बढ़ाने के लिए उसे तोड़कर नया बनाने को लेकर भी प्लान तैयार हुआ है। ऐसे में शहर की एक पुरानी पहचान खत्म हो रही है जिसे एक्सपर्टस अव्यवहारिक बता रहे हैं। इसके अलावा राजबाडा का कमर्शियल क्षेत्र भी प्रभावित होगा तो इसका असर शहर की इकोनॉमी पर भी पड़ेगा। इसके सहित कई तरह की अड़चनें हैं जिसे लेकर ताई चिंतित है। हाल ही में उन्होंने शहर के वरिष्ठ आर्किटेक्ट दूधवड़कर से इसे काफी गहराई में समझा है। दरअसल आर्किटेक्ट दूधवड़कर काफी अनुभवी हैं और हेरिटेज की सेफ्टी के एक्सपर्ट माने जाते हैं। उनसे विस्तार से सारी अड़चने समझने के साथ ताई ने राजबाडा के पास से मेट्रो के गुजारने के बजाय सुभाष मार्ग सहित अन्य विकल्प तैयार किए हैं। इस संबंध में उन्होंने नगरीय विकास व आवास विभाग को के कमिश्नर निकुंज श्रीवास्तव को पत्र लिखा है। इस पर सोमवार को कमिश्नर श्रीवास्तव ने ताई को जवाब दिया है कि वे इस संबंध में 14 अक्टूबर को आएंगे और उनके सुझावों व विकल्पों को समझकर अध्ययन करेंगे। लोक हित में जो भी बेहतर होगा उसे लागू करने की कोशिश करेंगे। पूर्व एमआईसी सदस्य सुधीर देड़गे ने 14 अक्टूबर को कमिश्नर से ताई की मुलाकात होने की पुष्टि की है।

बात करने के बाद ही कुछ कहना ठीक : ताई

इधर, मामले में ताई ने बताया कि राजबाडा और उसके आसपास के सघन क्षेत्र से मेट्रो का गुजरना ठीक नहीं है क्योंकि इसके संचालन के लिए बहुत बड़ी जगह की लगती है। हाल ही इन क्षेत्रों की सड़कें भी चौड़ी हुई है तो ऐसे में मेट्रो का संचालन यहां से करना ठीक नहीं है। इसके कई विकल्प हैं जो मैंने तैयार किए हैं, जिस पर अध्ययन कर आसानी से इसका रास्ता निकाला जा सकता है।

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