Chhattisgarh

डायरिया से फैली दहशत या हार्ट अटैक से गई जान? तरौद में 42 वर्षीय युवक की मौत और 20 ग्रामीण बीमार

बालोद। जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर बालोद ब्लॉक के ग्राम तरौद में दूषित पानी के कारण फैले डायरिया संक्रमण से अब तक 20 से अधिक ग्रामीण बीमार हो चुके हैं, जबकि 42 वर्षीय मोहित कुमार निषाद की मौत के बाद पूरे गांव में अफरा-तफरी का माहौल है। हालांकि शुरुआत में मोहित की मौत को डायरिया का परिणाम बताया गया, लेकिन बाद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा हार्ट अटैक को संभावित कारण बताया गया, जिससे स्थिति और उलझ गई है।

तीन दिनों से फैल रहा संक्रमण, शुक्रवार को बिगड़े हालात

तरौद गांव में बीते तीन दिनों से उल्टी-दस्त के मामले सामने आ रहे थे। शुक्रवार को अचानक कई ग्रामीणों की तबीयत बिगड़ी। 4 गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल बालोद रेफर किया गया, वहीं मोहित निषाद की इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक भी पेट दर्द और डायरिया की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा था।

मौत की वजह पर विवादः उल्टी-दस्त या हार्ट अटैक ?

मौत के कारण को लेकर अब गांव और स्वास्थ्य विभाग में मतभेद साफ नजर आ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि मोहित भी अन्य मरीजों की तरह डायरिया की शिकायत के साथ ही भर्ती हुआ था, ऐसे में अचानक हार्ट अटैक से मौत का दावा संदिग्ध लगता है।

दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों ने दावा किया है कि शरीर में पानी और नमक की अत्यधिक कमी से इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन हो सकता है, जिससे दिल की धड़कन प्रभावित होती है और हृदय गति रुक सकती है

प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक डायरिया से ग्रसित मरीजों
मोहित कुमार निषाद (मृतक, उम्र 42 वर्ष)नरेश कुमार, राधिका निषाद, सूरज निषाद, नंदा, नारायण, चंद्रिका, रामकुंवर निषाद, अजय साहू, महेंद्र साहू, सोनू निषाद, दुर्गेश, दीपक, सुभाष, गणेश निषाद, धनीराम, शिवकुमार, रविशंकर, शंकरलाल निषाद शामिल हैं चार मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है, जिनका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।


डायरिया का मुख्य कारण पुरानी पाइपलाइन से सप्लाई हो रहा दूषित पानी माना जा रहा है। तरौद गांव के कुछ मोहल्लों में नल-जल योजना की टंकी से आपूर्ति नहीं होती, बल्कि 15-20 वर्ष पुरानी पाइपलाइन और स्थानीय बोरवेल से ग्राम में पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। पचायत द्वारा पीएचई विभाग को पानी के नमूने भेजे गए थे। जांच में गड़बड़ी मिलने पर कुछ बोर में दवा का छिड़काव किया गया था, लेकिन संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सका।

सरपंच द्वारा शुक्रवार को कोटवार के माध्यम से मुनादी करवाई गई कि सभी ग्रामीण पानी को उबालकर ही उपयोग करें। स्वास्थ्य विभाग ने गांव में शिविर लगाकर ORS, टैबलेट और दवा वितरण शुरू किया गया है।

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