एंबुलेंस संचालकों को मिलता है 10% कमीशन: मंदसौर से उदयपुर के निजी अस्पतालों में मरीजों की तस्करी; अस्पतालों ने फाइनेंस कर रखी हैं एंबुलेंस

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मंदसौर25 मिनट पहलेलेखक: सप्रिय गौतम

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निजी एंबुलेंस मामले में नया खुलासा हुआ है। उदयपुर के कुछ निजी अस्पतालों ने जिला अस्पताल से रैफर मरीजों को अपने यहां लाने का जाल बिछा रखा है या यूं कहें कि गंभीर मरीजों की तस्करी ही कराई जा रही है। - Dainik Bhaskar

निजी एंबुलेंस मामले में नया खुलासा हुआ है। उदयपुर के कुछ निजी अस्पतालों ने जिला अस्पताल से रैफर मरीजों को अपने यहां लाने का जाल बिछा रखा है या यूं कहें कि गंभीर मरीजों की तस्करी ही कराई जा रही है।

निजी एंबुलेंस मामले में नया खुलासा हुआ है। उदयपुर के कुछ निजी अस्पतालों ने जिला अस्पताल से रैफर मरीजों को अपने यहां लाने का जाल बिछा रखा है या यूं कहें कि गंभीर मरीजों की तस्करी ही कराई जा रही है। मंदसौर में चल रही 75 फीसदी एंबुलेंस उदयपुर के निजी अस्पताल संचालक या उसमें पदस्थ कर्मचारियों द्वारा फाइनेंस करवाई गई हैं। किस्त मरीजों के बिल से मिलने वाले कमीशन से कटती है, जो बिल राशि का 10% है।

वे मंदसौर जिला अस्पताल से रैफर मरीजों को बहलाकर सीधे उदयपुर के निजी अस्पताल ले जाते हैं। इसके लिए एंबुलेंस संचालक गुंडागर्दी तक पर उतर आए हैं। उदयपुर स्थित अस्पतालों में केवल मंदसौर से 40 करोड़ रुपए का काराेबार होता है। जिला अस्पताल में निजी एंबुलेंस संचालकों द्वारा पाेस्टर फाड़कर गुंडागर्दी का खुलासा हाेने के बाद पुलिस ने 13 एंबुलेंस जब्त की। इनमें से 6 राजस्थान व एक गुजरात पासिंग मिली।

एक तो निजी अस्पताल संचालक के होटल के नाम पर ही रजिस्टर्ड है। 9 नवंबर को हुई कार्रवाई के बाद अब तक 3 संचालक ही एंबुलेंस वापस लेने पहुंचे। दैनिक भास्कर ने इन्वेस्टिगेशन की तो यह बात सामने आई कि नगर में संचालित 40 निजी एंबुलेंस में से 30 उदयपुर के निजी अस्पतालों संचालकों व उनके कर्मचारियों द्वारा इन बदमाश किस्म के लोगों को फाइनेंस की गई हैं, ताकि वे मंदसौर जिला अस्पताल से रैफर मरीजों को उनके अस्पताल लेकर पहुंचें अधिकतर एंबुलेंस उदयपुर स्थित कनक हाॅस्पिटल, सनराइज हाॅस्पिटल, सिद्धि विनायक हाॅस्पिटल, वेदांत, श्रीजी व सन हाॅस्पिटल द्वारा फाइनेंस की गई हैं।

कनक हाॅस्पिटल संचालक ने अफजल को दो एम्बुलेंस फाइनेंस की हैं, जो अस्पताल संचालक की होटल के नाम से हैं। इनमें से एक पुलिस ने जब्त कर रखी है। दूसरी मरीजों को चोरी-छिपे उदयपुर ले जा रही है। सनराइज हाॅस्पिटल ने पोस्टर फाड़ने के आरोपी गोपाल सांवलिया (ग्वाला) को 1 इनोवा (एंबुलेंस) फाइनेंस की। यह भी जब्त है। पोस्टर फाड़ने के दूसरे आरोपी रितेश को वेदांत अस्पताल ने ट्रेवलर (एंबुलेंस) फाइनेंस कर रखी है।

साल में 3600 मरीज पर खर्च होते हैं 40 कराेड़

जिला अस्पताल से जाने वाले मरीजों से उदयपुर के निजी अस्पतालों को 40 करोड़ रुपए सालाना का व्यापार मिलता है। अस्पताल से सर्जिकल, आर्थोपेडिक व इमरजेंसी वार्ड से 10 मरीज रोज रैफर होते हैं। यानी हर तीसरे घंटे गंभीर मरीज। एंबुलेंस संचालक उन्हें उदयपुर के निजी अस्पताल ही ले जाते हैं।

ऐसे में सालभर में 3600 मरीज उदयपुर पहुंचते हैं। औसतन 1 लाख का बिल हो तो भी 36 करोड़ रुपए का व्यापार उदयपुर के निजी अस्पताल सिर्फ मंदसौर के मरीजों से ही करते हैं। इसके अलावा अन्य कई मरीज ऐसे होते हैं, जिनके तीन से चार लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। कई मरीज तो इसके बाद भी बच नहीं पाते।

“जब्त एंबुलेंस को छुड़वाने के लिए अब तक वाहन मालिक नहीं पहुंचे हैं। हमने सभी को सूचित किया है। केवल 3 लोग आए थे, उनके पास भी फिटनेस नहीं था।”
-शैलेंद्रसिंह चौहान, यातायात प्रभारी

“नियम अनुसार हम मरीज को हायर सेंटर या फिर एमवाय अस्पताल इंदौर ही रैफर करते हैं। निजी एंबुलेंस संचालक मरीज को उदयपुर ले जाते हैं। अब शासकीय एम्बुलेंस भी उदयपुर के सरकारी अस्पताल लेकर जाएगी।”
-डॉ. डीके शर्मा, सिविल सर्जन

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