टीकमगढ़ में मौनिया नृत्य की धूम: सुबह से व्रत रखकर 12 गांव के भ्रमण पर निकले, श्रीकृष्ण से जुड़ी परंपरा को निभा रहे ग्रामीण कलाकार

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टीकमगढ़39 मिनट पहले
शहर में आज बुंदेलखंड के प्रसिद्ध दिवारी नृत्य की धूम है। सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्रों के कलाकार टोलियां बनाकर जगह-जगह मोनिया नृत्य दिखाने निकले हैं। दिन भर अलग-अलग स्थानों पर नृत्य करते हुए मोनिया कलाकार शिव धाम कुंडेश्वर पहुंचेंगे। मंदिर परिसर में नृत्य करने के बाद कलाकार अपना उपवास खोलेंगे।
बुंदेलखंड में 5 दिन चलने वाली दीवाली की अलग-अलग परंपराएं हैं। दीवाली के अगले दिन प्रथमा मनाई जाती है। इस दिन मौन व्रत लेकर मोनिया कलाकार 13 गांव या मुहल्लों में मौनिया नृत्य करते हैं। मंगलवार को जिले भर में बुंदेलखंडी मौनिया नृत्य की धूम है। लोकनृत्य के माध्यम से कलाकारों ने बुंदेली परंपरा को जीवंत रखा है। गांव और मुहल्लों में अपनी-अपनी टोली के साथ पहुंचे कलाकारों ने नृत्य की मनमोहक छठा बिखेरी। मोर के पंख हाथ में लेकर सैरा नृत्य करती टोलियों को देखने के लिए भीड़ लगी रही। करीब 15-20 मिनट तक चलने वाला यह नृत्य इतना मोहक है कि हर कोई देखना चाहता है।
श्री कृष्ण से जुड़ी है परंपरा
शहर के इतिहासकार हरि विष्णु अवस्थी ने बताया कि बुंदेलखंड में मोनिया नृत्य की परंपरा श्रीकृष्ण से जुड़ी है। एक बार भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी के किनारे बैठे थे। तब उनकी सारी गाय कहीं चली गई। अपनी गायों को ना पाकर भगवान श्री कृष्ण दुखी होकर मौन हो गए। इसके बाद श्री कृष्ण के सभी ग्वाल वाल गायों की तलाश में जुट गए। जब ग्वाल वालों ने सभी गायों को ढूंढ लिया तब श्री कृष्ण ने अपना मौन व्रत तोड़ा और सबने मिलकर नृत्य किया। इसी लोक मान्यता के चलते आज भी बुंदेलखंड के लोग दिनभर व्रत रखकर 12 स्थानों पर मोनिया नृत्य का आयोजन करते हैं।


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