झूठा निकला DPC का कास्ट सर्टिफिकेट: पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अपर संचालक आदिवासी विकास को भेजा जांच प्रतिवेदन

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अनूपपुर10 घंटे पहले

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जिले की सीमा समीपी राज्य छत्तीसगढ़ के साथ-साथ डिंडौरी जिले को भी स्पर्श करती है। डिंडोरी जिले की कुछ जातियां ऐसी हैं जो अनूपपुर जिले में जनजाति तबके में आती है। इसी का फायदा उठाकर अधिकांश लोग अनूपपुर जिले से जाति प्रमाण पत्र बनवाकर शासकीय नौकरी का लाभ ले रहे हैं। जिसकी शिकायत पूर्व में भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा की जा चुकी है। ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमें सर्व शिक्षा अभियान में पदस्थ जिला समन्वयक हेमंत खैरवाल की जाति प्रमाण पत्र के संबंध में वर्ष 2019 में अपर संचालक आदिवासी विकास विभाग भोपाल ने पुलिस अधीक्षक अनूपपुर को पत्र लिखा था। 3 वर्ष तक चली मैराथन जांच के बाद 26 अप्रैल 2022 को अनुविभागीय अधिकारी पुष्पराजगढ़ ने पुलिस अधीक्षक को जांच प्रतिवेदन सौंपा है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि हेमंत खैरवाल अनुसूचित जनजाति में नहीं आते हैं। जून महीने में पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्रतिवेदन अपर संचालक को भेजा जा चुका है। बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

यह है मामला

अनूपपुर जिले में डीपीसी सर्व शिक्षा अभियान के पद पर पदस्थ हेमंत खैरवाल 15 जनवरी 2018 से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इससे पूर्व दमोह में पदस्थापना के दौरान उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर अपर संचालक से शिकायत की गई थी, जिसके बाद मामले की जांच तत्कालीन एसडीएम पुष्पराजगढ़ से कराई गई थी। जांच में हेमंत खैरवाल के जन्म स्थान से लेकर प्राथमिक विद्यालय तक के दाखिल खारिज के रिकॉर्ड को जुटाया गया। इतना ही नहीं मूल निवास के बुजुर्गों के कथन भी लिए गए। जून महीने में पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्रतिवेदन अपर संचालक को भेजा जा चुका है, अब कार्यवाही का इंतजार किया जा रहा है।

नहीं मिले जमीन के दस्तावेज

एसडीएम की जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि हेमंत खैरवाल के पिता कृष्ण लाल खैरवाल ग्राम केकरिया थाना समनापुर जिला डिंडोरी में रहते थे। जिसके बाद वे सढ़वाछापर आए। वर्ष 1972 से वे अमरकंटक चले गए थे। जहां साडा से जमीन प्राप्त होने की बात कही गई, किंतु जमीन से संबंधित कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा सके।

भाई ओबीसी वर्ग में

अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र के संबंध में वर्ष 1956 के दस्तावेज भी खंगाले गए। जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि हेमंत खैरवाल अनूपपुर जिले के मूलनिवासी नहीं है, इनके परिवारजनों के नाम पर डिंडौरी जिले में भूमि है। जिसकी वंशावली की जांच भी की गई। इतना ही नहीं हेमंत खैरवाल के भाई बसंत खैरवाल डिंडौरी जिले के बजाग थाना अंतर्गत सढ़वाछापर में निवास कर रहे हैं जो अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आते हैं। सभी भाई बहनों के विद्यालयीन दस्तावेज भी जांच प्रतिवेदन में लगाए गए हैं। जिसमें सभी की जाति पनका उल्लेखित की गई है जो डिंडौरी जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है।

यह दी सफाई
इस संबंध में डीपीसी सर्व शिक्षा अभियान हेमंत खैरवाल से भी पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डिंडौरी जिले में मेरे नाना-नानी की संपत्ति थी। चूंकि उनके पास कोई पुत्र नहीं था इसलिए मेरा भाई वहां रहने लगा। एसडीएम द्वारा सौंपे गए प्रतिवेदन के संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि कार्यालय आ जाइए। इससे संबंधित दस्तावेज दिखला दूंगा।

इनका कहना है
अपर संचालक आदिवासी विकास विभाग द्वारा डीपीसी के संदिग्ध जाति प्रमाण पत्र की जांच के लिए पत्र लिखा गया था, जांच के पश्चात प्रतिवेदन भेज दिया गया है कार्रवाई वहीं से होगी।
-अभिषेक राजन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, अनूपपुर

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