जीता जागता उदाहरण: बगैर कंसल्टेंट बना दी सड़क, MIC सदस्यों की आपत्ति भी नहीं सुनी; निगम की मनमानी का जीता जागता उदाहरण है एमजी रोड

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- The Road Was Built Without A Consultant, Did Not Even Listen To The Objections Of The MIC Members; MG Road Is A Living Example Of The Arbitrariness Of The Corporation
इंदौर40 मिनट पहले
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बड़ा गणपति से कृष्णपुरा पुल सड़क
- हर बार उन्होंने घटिया क्वालिटी को लेकर आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन उसे भी नजरअंदाज किया गया
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बड़ा गणपति से कृष्णपुरा पुल तक बनाई जा रही सड़क नगर निगम की मनमानी का जीता जागता उदाहरण है। यह सड़क बिना प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीएमसी) के बनाई गई। हद तो यह है कि एमआईसी सदस्यों ने इस सड़क का तीन बार निरीक्षण किया। हर बार उन्होंने घटिया क्वालिटी को लेकर आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन उसे भी नजरअंदाज किया गया।
एबीडी एरिया की यह सबसे व्यस्त सड़क है। आमतौर पर किसी भी विकास कार्य के समय नगर निगम कंसल्टेंट नियुक्त करता है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में ऐसा नहीं किया गया। निगम के इंजीनियरों की देखरेख में काम होता रहा। अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी के पास सारे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी है। उनके अधीन अस्थायी रूप से भी इंजीनियरों की नियुक्ति की गई है। इस सड़क की मॉनिटरिंग यही अधिकारी कर रहे थे। सुपरविजन ही नहीं हुआ।
इस प्रोजेक्ट के लिए एक कंपनी को बतौर कंसल्टेंसी एजेंसी नियुक्त किया था। इसी कंपनी ने इस सड़क का डिजाइन बनाकर दिया। उसी आधार पर काम हुआ। इसके बाद अनुबंध की समय सीमा खत्म हो गई। इसके बाद स्मार्ट सिटी कंपनी ने कंसल्टेंट नहीं रखा। कंसल्टेंट का काम प्रोजेक्ट का ड्राफ्ट तैयार करना ही नहीं बल्कि उसका सुपरविजन भी होता है।
घटिया क्वालिटी पर अफसर को फटकारा था
सड़क की क्वालिटी को लेकर नई परिषद के सामने जब मामला आया तब तत्काल उन्होंने आपत्ति ली। इसे लेकर बैठक भी बुलाई गई थी। गणेशोत्सव के पहले जनकार्य प्रभारी राजेंद्र राठौर ने झांकी मार्ग का निरीक्षण किया तो सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। इसके बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित अन्य सदस्यों के साथ दोबारा वे उसी मार्ग का निरीक्षण करने पहुंचे। महापौर ने मौके पर ही अधिकारियों से कहा कि क्या स्मार्ट सड़क ऐसी होती है? इसके बाद, अधीक्षण यंत्री को फटकार लगाते हुए कहा कि मौके पर कोई कंसल्टेंट क्यों मौजूद नहीं रहते? आप लोगों के ऐसे गुणवत्ताविहीन काम का जवाब हमें देना पड़ेगा।
5 की बजाय 3 साल की गारंटी तय की
जनकार्य विभाग प्रभारी राठौर ने कहा बिना कंसल्टेंट के कोई प्रोजेक्ट आगे ही नहीं बढ़ता है। जब पहली बार मुआयना किया तभी देखा कि गोराकुंड पर सरफेस उखड़ गया था। खजूरी बाजार में तो गड्ढे देखकर हम भी चकित थे। नई सड़क पर गड्ढे कैसे हो सकते हैं। बड़ी बात यह है कि डिफेक्ट लाइबिलिटी रिस्पांसिबिलिटी सिर्फ तीन साल की है। शुरू के दो-तीन साल में आमतौर पर सड़क खराब नहीं होती है। कम से कम पांच से दस साल की डिफेक्ट लाइबिलिटी रिस्पांसिबिलिटी रखना चाहिए।
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