‘महाकाल लोक’ में भ्रष्टाचार के आरोप में अफसर पेश: बयान दर्ज कराने के लिए समय मांगा, तीन IAS समेत 15 अफसर घेरे में

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भोपाल3 घंटे पहले

उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ कॉरिडोर के पहले चरण के निर्माण कार्यों में हुई वित्तीय गड़बड़ी के मामले में लोकायुक्त ने जांच तेज कर दी है। शुक्रवार को मामले से जुड़े अफसर लोकायुक्त ऑफिस भोपाल पहुंचे। सभी ने बयान दर्ज कराने के लिए अतिरिक्त समय दिए जाने की मांग की है। हालांकि कलेक्टर आशीष सिंह शुक्रवार को बयान दर्ज कराने पेश नहीं हुए। मामले में अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी।

गौरतलब है कि लोकायुक्त ने तीन IAS के अलावा 15 अफसरों को नोटिस देकर 28 अक्टूबर तक जवाब मांगा था। इनके खिलाफ शिकायत की गई थी। बताया गया था कि ठेकेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचाने के लिए SOR की दरें और आइटम बदले गए हैं। जांच के बाद लोकायुक्त ने अधिकारियों को नोटिस दिया था। हाल में ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।

कांग्रेस विधायक परमार ने की थी शिकायत
लोकायुक्त में कांग्रेस विधायक महेश परमार ने शिकायत की थी कि अफसरों ने पद का दुरुपयोग कर ठेकेदार मनोज भाई पुरुषोत्तम भाई बाबरिया को लाभ पहुंचाया है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है। जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए हैं।

इन अफसरों को बयान दर्ज कराने बुलाया
नोटिस में तीन IAS उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष सिंह, स्मार्ट सिटी के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक क्षितिज सिंघल और तत्कालीन निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता शामिल हैं। इनके अलावा, स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मनोनीत डायरेक्टर सोजन सिंह रावत और दीपक रतनावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिंह राव पांडुरंगी, स्मार्ट सिटी CEO आशीष पाठक, तत्कालीन CEO जितेंद्र सिंह चौहान, मुख्य वित्तीय अधिकारी जुवान सिंह तोमर, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री धर्मेंद्र वर्मा, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री फरीदुद्दीन कुरैशी, सहायक यंत्री कमल कांत सक्सेना और उपयंत्री आकाश सिंह के साथ PDMC स्मार्ट सिटी के टीम लीडर संजय शाक्य और जूनियर इंजीनियर तरुण सोनी शामिल हैं।

दरअसल, महाकाल लोक कॉरिडोर का काम उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा कराया जा रहा है, इसलिए इससे जुड़े अफसरों को नोटिस दिए हैं। हालांकि इनमें से कई अफसर शुक्रवार को लोकायुक्त के समक्ष नहीं पेश हो सके।

यह आरोप है अफसरों पर

  • टेंडर में न्यूनतम निविदाकार होने के बाद भी पुरुषोत्तम बाबरिया को काम दिया। स्मार्ट सिटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंशुल गुप्ता ने ठेकेदार को करीब एक करोड़ रुपए का लाभ पहुंचाया।
  • टेंडर अनुसार जीआई शीट लगानी थी, जिस पर 22 लाख का खर्च होना था। ठेकेदार ने इसकी जगह पॉली कार्बोनेट की शीट लगाई है। यह अतिरिक्त आइटम जोड़ा गया। पॉली कार्बोनेट शीट का SOR दर 3105 रुपए प्रति वर्गमीटर है, जबकि बाजार दर 808 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। इस तरह ठेकेदार को 91 लाख का अनुचित फायदा मिला है।
  • ऐसे ही अन्य आइटम बदले गए। कुल टेंडर 3.62 करोड़ रुपए का था, जो करीब सवा करोड़ तक बढ़ गया। सोलर निर्माण कार्य में ड्राॅइंग और डिजाइन परिवर्तन किया गया है।

सफाई: नियमानुसार ही बदलाव
मामले में स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक ने कहा था कि महाकाल मंदिर विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत करीब 31 प्रोजेक्ट अलग-अलग निर्माण एजेंसियों के द्वारा क्रियान्वित किए गए हैं। सभी में एक अधिकृत (एसओआर) आइटम का दूसरे से परिवर्तन या किसी भी आइटम की मात्रा में कमी या वृद्धि किया जाना परियोजना की आवश्यकताओं के अनुसार ही है।

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