जिन सड़कों से गुजरे CM, वहां की हकीकत: राजधानी की 50% सड़कों पर उड़ रही धूल; इंदौर-ग्वालियर-जबलपुर के भी देखें हाल

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भोपाल/ग्वालियर/जबलपुर9 मिनट पहले
सड़क से डामर गायब है। धूल का गुबार उठ रहा है। धूल ऐसी कि गाड़ी चलाना मुश्किल है। सबसे ज्यादा परेशान हैं बाइक-स्कूटर चलाने वाले। ऐसा नजारा दिखा भोपाल के अल्पना तिराहे पर। यह राजधानी के सबसे व्यस्त तिराहे में से एक है। प्रदेश के दूसरे शहरों से भोपाल आने वाले राहगीरों को पहले इसी हकीकत से दो-चार होना पड़ता है।
राजधानी की खस्ताहाल सड़कों को लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अधिकारियों पर बिफरे। दैनिक भास्कर की टीम भोपाल की सड़कों पर निकली, तो पता चला यहां की 50% सड़कों पर धूल का गुबार उठ रहा है।
टीम ने MP के अन्य बड़े शहरों के भी हाल जाने… इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, मुरैना समेत दूसरे शहरों के हालात भी कमोबेश राजधानी जैसे ही हैं, पढ़िए ये रिपोर्ट
सबसे पहले बात कर लेते हैं राजधानी की…
CM शिवराज सिंह ने मंगलवार रात भोपाल की जिन सड़कों का जायजा लिया। हमारी टीम सबसे पहले उन्हीं सड़कों पर पहुंची। हमीदिया रोड और शाहजहांनाबाद का इलाका। करीब 4 किलोमीटर लंबे इस रास्ते का हाल खराब है। बारिश के बाद तो यहां से डामर गायब हो चुका है। गिट्टी सड़क से हटकर किनारे पर जम चुकी है। उसके ऊपर मिट्टी की मोटी परत चढ़ चुकी है। सड़कों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे यहां कभी डामर की सड़क थी ही नहीं। टीम इसके बाद छोला, नादरा, करौंद, शिवनगर, दानिशकुंज, होशंगाबाद रोड, अवधपुरी, सुभाषनगर, नेहरू नगर, जहांगीराबाद, बोगदा पुल, भेल एरिया, बाग सेवनिया, कटारा, अयोध्या बायपास, आनंद नगर, इंद्रपुरी समेत शहर के अन्य इलाकों में भी पहुंची। यहां के भी हाल कुछ ऐसे ही नजर आए।

हमीदिया रोड पर इतनी धूल उड़ती है कि डिवाइडर पर धूल की मोटी परत जम गई है।
अब जान लेते हैं, उनका दर्द जो यहां से रोज गुजरते हैं
हमीदिया रोड पर ऑटो चालक मो. मजीद गुजर रहे थे। टीम ने उन्हें रोककर सड़क के बारे में पूछा। उन्होंने बताया भारत टॉकीज से लेकर शाहजहांनाबाद तक की सड़क खस्ताहाल है। डामर तो सड़क से गायब हो चुकी है। कुछ गिट़्टी नजर आती है, वो सड़क के किनारे पहुंच चुकी है। बारिश में एक से दो फीट गहरे गड्ढे हो गए थे। इस कारण एक बार उनका ऑटो तक पलट गया था। रोज एक्सीडेंट होते हैं। गड्ढे भरने के लिए मिट्टी डाल दी। अब तो धूल उड़ती रहती है। गाड़ी चलाते समय धूल से बचो या गड्ढों से… समझ नहीं आता। सड़क की सुध लेने वाला कोई नहीं है। पास खड़े ई-रिक्शा चालक मो. अमीन भी बोल पड़े, मैं खुद हादसे का शिकार हो चुका हूं। कई बार मुसाफिरों को लेकर जाते समय रिक्शा पलट जाता है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी के बाद बुधवार दोपहर में पीडब्ल्यूडी के अफसर हमीदिया रोड पर पहुंचे और सड़क को ठीक करने का प्लान बनाने लगे।

हमीदिया रोड की हालत को लेकर परेशानी बताते ई-रिक्शा चालक मो. अमीन और ऑटो चालक मो. मजीद।
भोपाल में 5 हजार किमी लंबी सड़क का जाल
शहर में करीब पांच हजार किलोमीटर सड़कों का जाल बिछा हुआ है। नगर निगम की सबसे ज्यादा 3800 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कें हैं, जबकि PWD के पास हमीदिया और कोलार रोड समेत 26 सड़कें हैं, जिनकी लंबाई 531 किलोमीटर। इस साल बंद हो चुके CPA (राजधानी परियोजना प्रशासन) की भी 132 किमी सड़कों की देखरेख PWD ही कर रहा है। बारिश के चलते 50% सड़कें उखड़ गई हैं। पहले एक से दो फीट गहरे गड्ढों ने राहगीरों की मुसीबतें बढ़ाईं। अब उनमें भरी मिट्टी की वजह से उड़ रही धूल परेशान कर रही है।
CM नाराज हुए तो सड़क की सुध लेने पहुंचे अधिकारी
मंगलवार रात जब CM शिवराज सिंह चौहान शाहजहांनाबाद, हमीदिया रोड से गुजरे। सड़क की हालत देखकर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने क्लास ली तो अफसर बुधवार को हरकत में आए। PWD के अफसर निरीक्षण करने निकले। हमीदिया रोड पर जाकर रेस्टोरेशन का प्लान बनाया। कोलार रोड को भी देखा।

भोपाल के बोगदा पुल की सड़क काफी जर्जर है। इस रास्ते से प्रतिदिन लाखों लोग गुजरते हैं।
इन सड़कों की सुध लेना जरूरी
- जहांगीराबाद, जिंसी चौराहा, पुल बोगदा में भी सड़कें खस्ता हाल है।
- रायसेन रोड पर इंद्रपुरी, आनंदनगर
- एमपी नगर में गवर्नमेंट प्रेस के पास
- बावड़ियाकलां, सलैया, लहारपुर, कटारा, करोंद, छोला
- 15 किलोमीटर कोलार रोड पर हाल ही में पेंचवर्क कराया गया है। हालांकि, समस्या दूर नहीं हुई है। मंदाकिनी, डीमार्ट, पुलिया हाउसिंग सोसायटी, गेहूंखेड़ा से लेकर बैरागढ़ चिचली तक सड़क जर्जर हालत में है।

शहर के अंदरूनी हिस्सों की सड़कें भी ठीक नहीं हैं। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। इससे रोज एक्सीडेंट भी हो रहे हैं।
सड़कों की वजह से बंद हो चुका CPA
राजधानी में नगर निगम की 3879 किमी, PWD की 531 किमी, बीडीए की 150 किमी और CPA (राजधानी परियोजना प्रशासन) की 132 किमी सड़कें हैं। CPA इसी साल 31 मार्च को बंद हो चुका है और इसकी सड़कें PWD को सौंपी गई है। CPA के बंद होने की वजह भी खराब सड़कें हैं। पिछले साल सड़कों की स्थिति की समीक्षा करते समय CM शिवराज सिंह चौहान ने इसे बंद करने के निर्देश दे दिए थे। करीब छह महीने की लंबी प्रोसेस के बाद CPA हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।

भोपाल के अल्पना तिराहे की जर्जर सड़क से गुजरते राहगीर। यहां पर भी सड़क किनारे मिट्टी की मोटी परत जमी हुई है।
अब बात देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की…

इंदौर में सबसे बेकार हाल देवास नाका रोड के हैं। यह भोपाल-इंदौर को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। यहां से दिनभर भारी वाहन गुजरते हैं।
इंदौर यानी CM के सपनों का शहर। लेकिन यहां कई सड़कों की ऐसी हालत है, जिस पर वाहन चालक सपने में भी चलना नहीं चाहेंगे। नगर निगम यहां सड़कों की मरम्मत पर सालाना करीब 40 करोड़ रुपए खर्च करता है। देवास रोड स्थित देवास नाका क्षेत्र से लगे एमआर 11 श्रीराम नगर इलाके में सड़क ही नहीं बनी है। लोग पांच साल से सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। देवास नाका क्षेत्र में कई जगह सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे नजर आते हैं।
एमआर 10 के चंद्रगुप्त मौर्य चौराहे से शुरू होने वाली भानगढ़ रोड पर जगह-जगह गड्ढे हैं। नगर निगम की लापरवाही के कारण सड़क पर मौजूद गड्ढे तो वाहन चालकों के लिए मुश्किलें पैदा करते ही हैं। खुदाई के कारण भी वाहन चालकों को परेशानी उठाना पड़ रही है। पाइप लाइन सहित अन्य कारणों से कई बार प्रमुख मार्गों पर सड़क की खुदाई कर दी जाती है। खुदाई की वजह से भी सड़कों पर यातायात बाधित होता है। ड्रेनेज, स्टार्म वाटर या नर्मदा लाइन के लिए कई बार सड़कों पर खुदाई की जाती है।
अब जान लेते हैं संस्कारधानी जबलपुर के हाल…

निर्माणाधीन फ्लाईओवर के कारण मुख्य मार्ग की हालत खराब है। गाड़ियां दौड़ने से यहां दिनभर धूल का गुबार उठता रहता है।
संस्कारधानी जबलपुर की सड़कों के हाल भी राजधानी भोपाल से कुछ अलग नहीं हैं। खराब सड़कें, उसके ऊपर से निर्माणाधीन फ्लाईओवर… इस कारण यहां की स्थिति बद से बदतर हो चुकी हैं। यहां धूल के गुबार के कारण वाहन चालकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पर्यटन स्थल भेड़ाघाट होने के कारण यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। शहरवासियों के साथ इन्हें भी धूल और दचके से दो चार होना पड़ता है। बात मदनमहल चौक, गढ़ा, एकता नगर की हो या फिर दूसरे इलाकों की। मुख्य मार्ग के साथ गलियों तक से सड़कें गायब हो रही हैं। कई बार लोग सड़क ठीक करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
ग्वालियर की सड़कों पर भी उड़ रही धूल

यह गेंडेवाली सड़क है। दो साल पहले अमृत योजना के तहत लाइन डालने के लिए इसे खोदा गया था।
ग्वालियर में तो खराब सड़कों का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। यहां पर जर्जर सड़क के ठीक नहीं होने से नाराज सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने तो जूते-चप्पल पहनने छोड़ दिए हैं। उन्होंने सड़कें न बनवा पाने पर शहर की जनता से माफी भी मांगी है। तोमर ने कहा- जब तक लक्ष्मण तलैया, गेंडेवाली सड़क और जेएएच की रोड चलने लायक नहीं बन जाएंगी, तब तक जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे। भास्कर की टीम ने यहां का जायजा लिया तो हकीकत में यहां की सड़कें चलने लायक नहीं थीं।
इसके अलावा पिंटो पार्क गोला का मंदिर की सड़क, सेवा नगर की सड़क, मुरार माल रोड की सड़क, गुढ़ा मार्ग में भी धूल का गुबार उड़ रहा है। सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल तो पिंटो पार्क गोला का मंदिर की जर्जर सड़क ठीक करने की मांग करते हुए महापौर को अल्टीमेटम तक दे चुके हैं। लाेगाें का कहना है कि विभिन्न गलियों में अमृत योजना के तहत पेयजल लाइन को डालने के लिए गलियों को खोद दी गईं। मरम्मत कार्य नहीं होने से सड़क से निकल पाने में भी काफी परेशानी हो रही है।
सीएम ने क्या कहा अफसरों से…
‘मैं कल अचानक भोपाल की सड़कों पर निकला। हमीदिया रोड से शाहजहानाबाद होते हुए गुजरा। मुझे कल्पना नहीं थी कि सड़कों की हालत इतनी ज्यादा खराब होगी। ये रोड किसके पास है। PWD और आप लोग यह बताएं कि सड़कों की जब राजधानी में इतनी दुर्गति है तो बाकी जगह क्या हालत होगी। अखबार गड्ढों की खबरों से भरे पड़े हैं। क्या मैं रोज गड्ढों की खबरें ही पढ़ता रहूं, ऐसा थोड़ी चलेगा। हम अकर्मण्य क्यों हैं, समय पर काम शुरू क्यों नहीं करते। कुछ दिक्कत है, तो मुझसे कहो। यह मुझे ठीक नहीं लगा। 15 दिन बाद उन्हीं सड़कों पर फिर निकलूंगा।’ पढ़ें पूरी खबर

खंडवा जिले के हरसूद छनेरा मुख्य बाजार साड़ियापानी चौराह की तस्वीर। दो साल से चौराहे के साथ ही मुख्य मार्ग की हालत खराब है। तीन महीने पहले सड़क के एक हिस्से काे ताे ठीक किया गया, लेकिन दूसरे काे ऐसे ही दिया गया। यहां बाइक चलाना तक भी दूभर है।
इनपुट: ईश्वरसिंह परमार, निकिता अग्रवाल (भोपाल), रामेंद्र परिहार (ग्वालियर), सुनील विश्वकर्मा (जबलपुर)
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