जांजगीर- चांपा जिले में नल- जल योजना का बुरा हाल, बिना सत्यापन कर दिया ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान

जवाबदार अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं, भ्रष्टाचार को किसका संरक्षण?? – प्रशांत सिंह ठाकुर
जांजगीर, 13 अप्रैल . भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया प्रदेश प्रभारी प्रशांत सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार जल जीवन मिशन की जनहितकारी योजना के प्रति गम्भीर नहीं है। प्रदेश सरकार की लापरवाही और
क्रियान्वयन में घोर उदासीनता के कारण यह योजना छत्तीसगढ़ में सफल होती दिखाई नहीं पड़ रही है।
योजना से जुड़े एजेंसियों के द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने राज्य सरकार ठोस कदम नहीं उठा जा रही है, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में यह योजना खाव-पियो योजना में परिवर्तित हो गयी है। विशेषकर जांजगीर-चांपा जिले की दृष्टि से देखे हैं तो जिले के लगभग सभी गांव में नल जल योजना के क्रियान्वयन हेतु जिन ठेकेदारों को जवाबदारी दी गई है, उनके द्वारा निर्माण कार्य की गुणवत्ता से लेकर जल आपूर्ति हेतु पाइप लाइन विस्तार, घर-घर तक कनेक्शन पहुंचाने तक में भारी भरकम भ्रष्टाचार किया जा रहा है। योजना में हो रहे विलंब और इस तरह निर्माण विषयक घोटाले पर विभागीय अधिकारियों की चुप्पी, उनका मौन संरक्षण जल-जीवन योजना को असफल करने पर तुला हुआ है।
जल जीवन मिशन के नियमानुसार सत्यापन के बिना किसी भी प्रकार के कार्य का भुगतान नहीं किया जाना था परंतु ठेकेदारों और अधिकारियों के संगठित तंत्र में बिना जांच के ही ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया । यहां यह बताना आवश्यक है कि ठेकेदारों को दिये गए कार्यादेश में निर्माण पूर्णता की अवधि अधिकांश स्थान पर वर्ष 2022 नियत थी, परंतु वर्तमान वर्ष 2023 के अप्रैल माह के मध्य अवधि में भी कहीं पर भी काम पूरा नहीं हुआ है। वहीं दूसरी ओर ठेकेदारों को जिस काम के एवज में भुगतान किया गया है वहां स्थल निरीक्षण करने पर यह देखने में मिलता है कि घरों के सामने नल स्टैंड जरूर बनाए गए हैं परंतु वहां नल में जल आता ही नहीं ।शासन के नियमानुसार प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन जल की जितनी मात्रा की आपूर्ति होनी चाहिए उसका 1% किसी को प्राप्त नहीं हो रहा है ।इस योजना के अंतर्गत कई स्थानों पर पूर्व निर्मित टंकी, पूर्व में हुए उत्खनन और पूर्व में गांव में बिछाए गए पाइप लाइन को ही नए सिरे से दर्शा कर राशि हरण किया जाना और दूसरी ओर नल स्टैंड की गुणवत्ता और कुछ स्थानों पर विस्तारित पाइप की गुणवत्ता स्तरहीन हैं ,जिसके कारण जगह-जगह लिकेज संबंधी समस्या भी सामने आ रही है कुल मिलाकर योजना किसी भी स्थिति में सफल होती दिखाई नहीं पड़ रही है ।इस योजना से जहां घर-घर जल पहुंचाया जाना था उसकी जगह ठेकेदारों की तिजोरी जरूरी भरी गई है और इसमें अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ पूरी मित्रता निभाई है। यह भी महत्वपूर्ण है जन सहभागिता आधारित इस योजना के संबंध में जागरण और जन जागरूकता के लिए एनजीओ को काम दिया गया था । संबंधित एनजीओ की सक्रियता कागजों ही है ,किसी भी प्रकार से धरातल पर उनकी उपलब्धि दिखाई नहीं पड़ती है। लोगों में इस योजना के लिए सहभागिता तो दूर उनको योजना की पूरी जानकारी तक नहीं है ।
पूरे जिले में योजना की असफलता और क्रियान्वयन में हो रहे भ्रष्टाचार के लिए किसी पर भी जवाबदेही तय नहीं की गई है, जबकि इस योजना के क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए जिला स्वच्छता समिति बनाई गई है ,जिसके प्रमुख जिले के प्रशासनिक प्रमुख स्वयं हैं।उच्चाधिकारियों की निगरानी के बाद भी इस योजना की असफलता और भ्रष्टाचार पर अंकुश ना लगना कहीं न कहीं उनकी भूमिका को भी कठघरे में खड़ा करता है ।
भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया प्रदेश प्रभारी प्रशांत सिंह ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा लगातार ग्राम वासियों , सामाजिक संगठनों की शिकायत एवं मीडिया संस्थानों के द्वारा इस विषय पर ध्यान आकर्षण के बाद भी किसी भी आज तक किसी भी प्रकार की जांच ना किया जाना और जवाबदार अधिकारियों पर कार्यवाही ना किया जाना लापरवाही एवं मनमानेपन को संगठित संरक्षण की ओर इशारा करता है ।
इस सरकार की नियत किसी भी सूरत में जनहित के काम को पूर्ण करना नहीं दिखता । अपितु ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार की इस योजना को असफल करना इनका एक मात्र उद्देश्य है ,और दूसरी ओर अपने समर्थकों को काम दिलाना ,उनको लाभ दिलाना और कमीशन को बांट खाना यही एकमात्र उद्देश्य दिखाई जान पड़ता है ।भ्रष्टाचार के संगठित तंत्र ने जांजगीर-चांपा जिले में जल जीवन मिशन को छत्तीसगढ़ जल-कमीशन योजना बना दिया है।
यह आवश्यक है कि दोषियों पर तत्काल कार्यवाही हो । बिना निरीक्षण किए एमबी बुक लिखने वाले अधिकारियों को कठोर दंड दिया जाए।