जंगलों के बीचों-बीच विराजी मां जगदंबे: नवरात्र में भक्तों का लगा रहता तांता, बक्सवाहा क्षेत्र के जरा जंगलों के बीहड़ों में बैठी हैं मां भगवती

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छतरपुर (मध्य प्रदेश)4 घंटे पहले

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छतरपुर जिले के बक्सवाहा में बकस्वाहा नगर क्षेत्र में नगर मुख्यालय से महज 8 कि.मी की दूरी पर ही गांव जरा के नजदीक स्थित बीहड़ के बीचों-बीच विराजने वाली मां जगदंबे के यहां इन दिनों भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्रि पर मां की चमत्कारिक पूजा और उनके चमत्कार भक्तों की होड़ उनके दरबार में लगाए रहते हैं।

जंगल क बीचों-बीच विराजमान मां जगदंबे का मंदिर क्षेत्र में आस्था का केंद्र माना जाता है। यहां नवरात्रि के साथ-साथ प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ दर्शन करने और मन्नत मांगने पहुंचती है। नगर और ग्रामीण क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से शहरों तक के श्रद्धालु आते हैं।

चरवाहों ने चबूतरे पर विराजित की प्रतिमा
इस प्राचीन मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मां कई वर्षों पहले घने जंगल में देवी मां की प्रतिमा जमीन से एक पीपल के वृक्ष के नीचे निकली थी। चरवाहों ने उसे साफ सफाई कर चबूतरे पर विराजमान कर दिया। घने जंगल में होने से और पास में जरा ग्राम होने पर मां का मंदिर जरा की देवी जगदंबे के नाम से जाना जाने लगा। धीरे धीरे जरा गांव के इन जंगलों में जरा की देवी मां जगदंबे का भव्य मंदिर बना दिया गया। मां के दर्शन करने को दूरदराज से लोग आते हैं। उनकी मनोकामना भी मां के द्वार में पूरी होती है।

आषाढ़ के महीने में अधिक रहती है श्रद्धालुओं की भीड़
मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां की कृपा से कई चमत्कार हुए हैं। मां के दरबार में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी होती है। यहां पर लोग नवरात्रि के अलावा भी लोग दर्शन करने आते हैं। आषाढ़ के महीने में सबसे अधिक भीड़ श्रद्धालुओं की रहती है।

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