छात्रों ने फिर खोली सुशासन की पोल: छात्रवृत्ति के लिए करीब 200 छात्रों ने 32 किमी की निकाली पैदल तिरंगा यात्रा, कलेक्टर फिर भी नहीं मिले

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झाबुआएक घंटा पहले
जिले के थांदला स्कूल के छात्र छात्रवृत्ति और दूसरी शिक्षण समस्याओं को लेकर झाबुआ तक पैदल चलकर पहुंच गए लेकिन प्रशासन बेखबर रहा। गुरुवार को 9 वीं से 12 तक ये छात्र करीब 200 छात्र 32 किमी हाथ में तिरंगा लेकर पैदल चले।
झाबुआ पहुंचने के बाद कुछ छात्रों ने कमजोरी की शिकायत की जिन्हें एंबुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। छात्रों का आरोप है कि इन्हें साल भर से ज्यादा समय से छात्रवृत्ति नहीं मिली है। 12 के छात्र अमित के मुताबिक उन्हें 10वीं कक्षा में छात्रवृत्ति में मिली थी, 11वीं में नहीं मिली और 12वीं कक्षा में पहुंचने के बाद सितंबर का महीन आ गया लेकिन अब तक नहीं मिली, ना प्राचार्य संतुष्टि पूर्वक जवाब देते हैं और ना अधिकारी।
झाबुआ आने से पहले स्कूल प्राचार्य पीएन अहिरवार और थांदला एसडीएम अनिल भाना से मिले, छात्रों ने बताया कि प्राचार्य ने कहा कि जहां शिकायत करनी हो कर लें, एसडीएम ने जवाब दिया कि छात्रवृत्ति के लिए सरकार से लड़ने के लिए जाएं क्या? इसके बाद छात्र झाबुआ के लिए पैदल चल दिए कि वहां पहुंच कलेक्टर को अपनी समस्या बताएंगे, लेकिन छात्र 32 किमी पैदल चलकर आने के बाद भी कलेक्ट्रेट पहुंच गए, लेकिन कलेक्टर नहीं, छात्र इंतजार करते रहे। छात्र जिद पर अड़ गए कि कलेक्टर साहब से मिले बिना नहीं जाएंगे। जिस पर जिला पंचायत सीईओ छात्रों से मिलने पहुंचे, बात की और कार्रवाई का भरोसा दिलाया, लेकिन छात्रवृत्ति कब मिलेगी इसकी गारंटी अब भी नहीं मिली।
विभाग के लोगों को कहना है कि तकनीकी दिक्कत की वजह से जमा नहीं हो पा रही है । लेकिन तकनीकी खत्म क्यों नहीं हो रही है,इसका जवाब भी नहीं है। छात्र छात्रवृत्ति के साथ शिक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं। प्राचार्य के व्यवहार से खफा है, और उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। छात्रों से बात करने पहुंचे जिला पंचायत सीईओ ने उन्हें भरोसा दिलाया कि शुक्रवार को झाबुआ की टीम स्कूल में पहुंचेगी,सभी बच्चों से बात करने के बाद उचित कार्रवाई करेगी।


30 किमी पैदल चलकर झाबुआ पहुंचे इन बच्चों से अति व्यस्त कलेक्टर साहब नहीं मिले, बाद में बताया जा रहा है कि साहब हाफ डे के बाद अवकाश पर हैं, जिला पंचायत सीईओ से मिले भरोसे के बाद छात्र घर को लौटे। जाने के लिए बसों का इंतजाम करवाया गया। 4 बसों से बच्चों को थांदला के लिए रात करीब 7.45 पर रवाना किया।
ये कोई पहला मौका नहीं है, जब बच्चों ने प्रशासन के ऑल इज वेल और सुशासन की पोल खोली है, लेकिन इसके बावजूद सिस्टम सुधरने को तैयार नहीं हैं। इसके पहले कॉलेज में पढ़ने वाले आदिवासी छात्रों ने प्रदर्शन किया था, तब भी कलेक्टर इन छात्रों से मिलने नहीं पहुंचे, प्रदर्शन कर रही छात्रा निर्मला ने तो यहां तक कह दिया आदिवासी छात्रों की समस्या नहीं सुन सकते तो हमको कलेक्टर बना दो, जिसका वीडियो वायरल हुआ था।
इसके बाद पेटलावद मॉडल स्कूल की छात्राओं ने फरवरी में राज्यपाल मंगूभाई पटेल के सामने जिले की लचर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोली, छात्रावास में ठीक से खाना नहीं मिलने और पढ़ाई को लेकर शिकायत की लेकिन सोए हुए जिला प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ा। अब एक बार फिर छात्रों के इस 30 किमी के पैदल मार्च ने बताया कि जिले में शिक्षा व्यवस्था के क्या हाल हैं और प्रशासन किस तरह कुंभकरण नींद सोया है कि बच्चे 7 घंटे में 32 किमी पैदल चलकर झाबुआ पहुंच जाते हैं लेकिन प्रशासन को पता तक नहीं चलता।
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