श्रीराम वन गमन पथ की उम्मीदें बढ़ीं: सिद्धा पर्वत के बाद सरभंगा समेत सतना की 15 और खदानों की अनुमति होगी निरस्त

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सतना31 मिनट पहले

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट की 84 कोसीय परिक्रमा पथ पर श्रीराम वन गमन पथ की वर्षों पुरानी महत्वाकांक्षी विकास योजना के मूर्त रूप लेने की उम्मीदें अब बढ़ती नजर आ रही हैं। श्रीराम प्रतिज्ञास्थल सिद्धा पर्वत पर उत्खनन की अनुमति निरस्त करने के बाद अब प्रशासन ने इसी क्षेत्र की 15 और खदानों की निरस्तगी का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।

सिद्धा और नौगवां की 4 खदानें पहले ही निरस्त कर दी गई हैं। इस कदम के बाद क्षेत्र में सरभंगा वन अभयारण्य की संभावनाएं भी मजबूत होती नजर आने लगी है। चित्रकूट अंचल में वन क्षेत्र और रामवन गमन क्षेत्र में पड़ने वाली 15 और खदानों की निरस्तगी का प्रस्ताव सतना जिला प्रशासन ने राज्य शासन को भेज दिया है। इनमें कई खदानें बंसल बंधुओ की फर्म राकेश एजेंसीज और एमपी मिनरल्स की हैं। उन्होंने कटनी के रसूखदार भाजपा नेता और उनके साथियों के साथ गठबंधन कर श्रीराम प्रतिज्ञास्थल सिद्धा पर्वत में उत्खनन की अनुमति हासिल कर ली थी। निरस्तगी के लिए भेजी गई खदानों में हालांकि 6 खदानें ही क्रियाशील हैं।

इनकी निरस्तगी के भेजे गए प्रस्ताव

  • एमपी मिनरल्स की नौगवां
  • हीरालाल रामेश्वर प्रसाद की नौगवां
  • एमपी मिनरल्स की नौगवां
  • राजेश एजेंसीज जैतवारा की नौगवां
  • मुरारीलाल बंसल की सरभंगा
  • नियोगी एंड संस की सरभंगा
  • कुंजीलाल ईश्वरी प्रसाद की बरुई
  • राकेश एजेंसीज की बरुई
  • राघवेंद्र कुमार अग्रवाल- राम औतार अग्रवाल की बरुई
  • विकास मिनरल्स की अमिरती
  • श्यामल प्रसाद गौरीशंकर जैतवारा की सेलहा
  • शरद कुमार बंसल की पिपरी टोला
  • निर्मला खेमका-शिवकुमार खेमका की कुचमैला खदान। ये सभी खदानें बॉक्साइट-लेटेराइट, ओकर और क्ले खनिज की हैं।

चार खदानें पहले ही हो चुकी हैं निरस्त

रामवन गमन क्षेत्र और चित्रकूट की 84 कोसीय परिक्रमा के पथ पर पड़ने वाली चार खदानें पहले ही निरस्त की जा चुकी हैं। श्रीराम प्रतिज्ञास्थल सिद्धा पर्वत की 3 तथा नौगवां की बंसल बंधुओ की एक खदान की निरस्तगी का प्रस्ताव पहले ही शासन को सतना जिला प्रशासन ने भेजा था जिस पर निरस्तगी की मुहर लग चुकी है। अब 15 और खदानें निरस्त करने का प्रस्ताव भेजा गया है।

वर्षों से प्रतीक्षित है रामवन गमन पथ का विकास

दशरथ नंदन भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले चित्रकूट क्षेत्र में रामवन गमन पथ के विकास का प्रोजेक्ट वर्षो से बहुप्रतीक्षित है। भाजपा ने प्रदेश की सत्ता में आने से पहले ही इस पथ के विकास का वादा किया था। वर्ष 2003 में जब उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो ऐसा लगा था कि एमपी के चित्रकूट को भी पहचान मिलेगी और श्रीराम वन गमन पथ का विकास होगा। उस वक्त कुछ प्रोजेक्ट बने भी, लेकिन तब बाड़ी ही खेत खा गई। भाजपाइयों ने ठेके लिए और धरातल पर कोई काम नजर नही आया।

शोरगुल के बीच वक्त गुजरता रहा और इसी बीच कांग्रेस ने 2018 में अपने चुनाव अभियान की चित्रकूट से शुरुआत कर थोड़ी आस जगाई किंतु निराशा ही हाथ लगी। पिछले दिनो यह मुद्दा तब फिर गरमाया जब श्रीराम प्रतिज्ञास्थल सिद्धा पर्वत पर बंसल बंधुओं ने उत्खनन की अनुमति हासिल कर ली। जबरदस्त विरोध के बीच शासन को सिद्धा में उत्खनन की अनुमतियां निरस्त करनी पड़ीं। अब 15 और खदानों की निरस्तगी के प्रस्ताव से इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की राह आसान होती नजर आने लगी है। इस क्षेत्र में प्रस्तावित सरभंगा अभयारण्य को लेकर भी लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

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