Chhattisgarh

छग शिक्षक संघ ने रेंगाखार कला में शैक्षणिक संगोष्ठी का आयोजन किया

कवर्धा । जिले के वनांचल क्षेत्र रेंगाखार कला में छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के सम्पर्क अभियान संगठन का विस्तार सक्रियता तथा सदस्यता के साथ ही शिक्षक सियान मंच का गठन तथा इसमें मातृशक्ति की समान भूमिका वैशैक्षिक उन्नयम शिक्षा का स्तर पर संगोष्ठि का आयोजन किया गया। इसमें छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक पूर्व प्रांताध्यक्ष दानीराम वर्मा शिक्षा संस्कृति उत्थानन्यास के प्रदेश सह संयोजक व पूर्व कोषाध्यक्ष शिक्षक संघ के दिलीप केसरवानी एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के विषय संयोजक व पूर्व सचिव छग शिक्षक महा संघ के नरेन्द्र सिंह राजपूत उपस्थित रहें। दानीराम वर्मा व दिलीप केसरवानी के प्रथम रंगाखार आगमन पर अंगवस्त्र से सहादुर तलवरे व मंतलाल मरकाम ने किव्याप स्वागत किया।

प्रदेश संयोजक दानीराम वर्मा ने शिक्षक संघ के कार्यप्रणाली रिति निति पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया उन्होंने कहा कि हमें देश हित में काम करना है, न हम शिक्षक की भूमिका को पहचान कर शिक्षा जगत में अच्छे से कार्य निष्ठा पूर्वक करेंगे, हम सिर्फ अपनी मांगो को लेक लेकर स्कूल बंद कर हड़ताले नहीं करनी है, स्कूल में रहते हुए अपने अच्छे कर्मों के साथ अपनी मांगे सरकार के पास रखेंगे छात्र हित, शिक्षा हित, शिक्षक हित, और राष्ट्र हित में काम करेंगे।

‘शिक्षक क्रांति दूत है, इतिहास इसका सबूत है। देश के हित में काम करेंगे, काम के लेंगे पूरे दाम’ इस भाव से शिक्षक संघ के सदस्यता विस्तार पर चर्चा की। दिलीप केसरवानी ने कहा की इस प्रकार के छोटी-छोटी संगोष्ठी के माध्यम से समस्या का समाधान किया जा सकता है, समय-समय पर ऐसा आयोजन होना आवश्यक है। संगोष्ठिी का संचालन कर रहे नरेन्द्र सिंह राजपूत ने कहा कि यह एक मात्र शिक्षक संघ है, जो शासन से मान्यता प्राप्त है, हमारा संघ सन् 1979 में शिक्षक संघ की नीव रखा गया था। संयुक्त रूप से छ०म० म०प्र० एक साथ था, सन् 2000 में छ०म० राज्य गठन के बाद सन् 2003 में सर्वसम्मति के साथ छ०ग० शिक्षक संघ का गठन हुआ, जो राष्ट्रहित शिक्षाहित शिक्षार्थीहित व शिक्षकहित में कार्यकर रहें है।

इस गोष्ठिी में मातृशक्ति की समान रूप से भूमिका रही है, इस गोष्ठी में पल्लवी ताम्रकार, सतन मेरावी, अनिता मुरचुले, पन्टोरिन मेरावी, सीमा धुर्वे, भागरति तेकाम संकूल समन्वयक एस. तलवरे, मंतलाल मरकाम, कमलदास मुरचुले, ललित निषाद, हिरवन सोनवानी, लिलेश्वर कुमार साहू बिसेन सिंह मरकाम, परमेश्वर निषाद, पूर्णानन्द मण्डावी, कार्तिकराम कश्यप, छोटु धुर्वे, नरेन्द्र सिंह राजपूत ने किया शांति मंत्र के साथ संगोष्ठि का समापन हुआ। आभार नरेंद्र राजपूत ने किया।

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