नीमच जिला अस्पताल में शर्मनाक स्थिति: दुर्घटना में पैर फ्रेक्चर, तो महिला के पैर में बांधा गत्ता, मरीजों को नहीं मिला अर्थिक मदद का आश्वासन

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नीमच18 मिनट पहले

फोरलेन पर सोमवार को बस दुर्घटना में 7 लोगों घायल हो गए, लेकिन विडंबना यह है कि, जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों व ऑर्थोपेडिक का अभाव होने से घायल को प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाया। हालात यह थे कि, एक घायल महिला का पैर फैक्चर होने पर प्राथमिक उपचार के नाम पर उसके पैर पर कागज का गत्ता लपेट दिया गया। यहां तक की जिन घायलों को रैफर किया गया था, उन्हें एंबुलेंस में स्ट्रैचर पर ले जाने के लिए वार्ड बॉय तक की व्यवस्था नहीं थी।

घटना के ढ़ाई घंटे बीत जाने के बाद और मरीजों को उदयपुर रेफर हो जाने तक भी कोई भी जिला प्रशासन का अधिकारी जिला अस्पताल नही पहुंचा। विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष अस्पताल जरूर पहुंचे,लेकिन उन्हें मरीजों के इलाज में हो रही अव्यवस्थाएं नजर नहीं आई । वे सिर्फ फोटो खिंचवाने में लगे रहे लेकिन उनकी और से न तो रोगियों को आर्थिक मदद का आश्वासन मिला और ना ही उचित उपचार हो पाया।

यह आरोप कांग्रेस नेता और जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने लगाया है। उन्होंने बताया कि, चल्दू के समीप फोरलेन हाईवे पर यात्री बस ट्राले में घुस गई थी। हादसे में 7 लोग घायल हुए थे, जिसमें 5 एक की परिवार के थे। हादसे के बाद विधायक दिलीपसिंह परिहार और जिला पंचायत अध्यक्ष भी जिला चिकित्सालय पहुंचे थे, लेकिन उन्हें जिला चिकित्सालय में इलाज नहीं हो पाने का कोई दुख नजर नही आया।

दुर्घटना में एक ही परिवार के पांच लोग गंभीर घायल हो गए उनको गंभीर स्थिति में उदयपुर रेफर किया। लेकिन घायलों को आर्थिक मदद दिलवाना तो दूर उसका आश्वासन तक देना तक उचित नहीं समझा। हालात यह रहे कि ईलाज के नाम पर परिजन रोते रहे लेकिन किसी भी जिम्मेदार डॉक्टर को बुलवा कर ईलाज नही करवा सके। हालात इतने बदतर हो गए कि एक महिला के पैर में फैक्चर होने पर प्राथमिक उपचार के तौर पर उसके पैर में कार्डबोर्ड बांध दिया।

घायलों को एबुंलेंस में बैठाने वार्डबॉय तक नहीं

बाहेती ने बताया कि जिला चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के बाद जिन गंभीर घायलों को रैफर किया गया था, उन्हें ट्रामा सेंटर के बाहर एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए वार्ड बॉय तक मौजूद नहीं था। जब वार्ड बॉय के बारे में पता किया तो बताया गया कि पूरे ट्रामा सेंटर में एक ही वार्डबॉय है, जो दूसरे कामों में जुटा हुआ है।

बाहेती ने आरोप लगाया कि, जिला चिकित्सालय जिला मुख्यालय पर स्थिति है, पर समस्या यह है कि नीमच के विधायक परिहार को जिला चिकित्सालय में व्याप्त समस्याएं और लापरवाही नजर नहीं आ रही है। क्योंकि जब हादसे के बाद घायलों को जिला चिकित्सालय लाया गया तो सिविल सर्जन एके मिश्रा तक मौजूद नहीं थे, जिनके बारे में पूछा गया तो बताया गया कि साहब तो 5 बजे तक आएंगे, जबकि आपात स्थिति में तो सिविल सर्जन को मौके पर पहुंचना चाहिए।

व्यवस्था नहीं कर सकते हैं तो छोड़ देना चाहिए पद

बाहेती ने कहा कि स्थानीय विधायक की जिम्मेदारी है कि वे जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को सुधारे और चिकित्सकों की व्यवस्था करे लेकिन न तो वे जिला चिकित्सालय में डॉक्टर की नियुक्ति करवा पा रहे है और ना ही अव्यवस्थाओं को दूर कर पा रहे हैं। बाहेती ने कहा कि ये अत्यंत हास्यास्पद है कि आज की घटना को लेकर नीमच विधायक जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूल अपने सोशल मीडिया पर घायलों को देखने अस्पताल पहुंचने का प्रचार करवा रहे है। जबकि जिला चिकित्सालय की अव्यवस्था एवं डॉक्टर नही ला पाने की उनकी असमर्थता जग जाहिर हो रही है।

क्या विधायक का काम सिर्फ फ़ोटो सेशन तक ही सीमित रह गया है। पूर्व में जब जिला चिकित्सालय में ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में डॉ. सम्यक गांधी पदस्थ थे, तब उन्होंने कहा था कि जिला चिकित्सालय में कई बार लिखने और मांग करने के बाद भी संसाधन नही उपलब्ध हो पा रहे है,आखिर क्या कारण है कि नीमच के जनप्रतिनिधि नीमच जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं सुधारना नहीं चाहते। आज इलाज के अभाव में जनता दुःखी है ऐसे में जो नीमच का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वे असक्षम हो गए है तो उन्हें अपना पद से इस्तीफा देकर घर बैठ जाना चाहिए।

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