Chhattisgarh

कमला नेहरू महाविद्यालय के तहत शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन

कोरबा, 09 नवंबर । कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा के एमएससी जंतु विज्ञान प्रथम सेमेस्टर के छात्राओं को एक दिवसीय शैक्षणिक कार्यशाला हेतु कोसा बीज केंद्र में शिक्षकों के मार्गदर्शन में कोकून से कोसा रेशा प्राप्त होने तक की प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया गया। कोसा केन्द्र अधिकारी आर. तिग्गा की अनुमति के पश्चात दीपक महंत के द्वारा छात्र छात्राओं को ट्रेनिंग कार्यक्रम के माध्यम से कोसा बनने की प्रक्रिया को समझाया गया ।

छात्राओं द्वारा कोसा बीज तैयार होने से लेकर उससे मशीनों के माध्यम से उत्तम कोटि के रेशों को प्राप्त करने तक की प्रक्रिया का सूक्ष्मता से अवलोकन किया गया। छत्तीसगढ़ में साजा, अर्जुन और शहतूत के पौधों पर भी कोसा कृमि पालन का कार्य किया जाता है। ये रेशमकीट अपना जीवन को बनाए रखने के लिए ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में कोसों-कोकुन का निर्माण करते हैं। इन कोकूनों से कोसा धागा निकालकर महिलाएं अच्छा लाभ अर्जित करती हैं। ग्रामीणों विशेषकर स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने में रेशम का बड़ा योगदान है। कोसाबाड़ी केन्द्र में श्रीमती लक्ष्मी बाई के द्वारा मशीन पर प्रत्यक्ष रूप से पूरी प्रक्रिया को समझाया।

उक्त कार्य योजना कमला नेहरू महाविद्यालय के जन्तु विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक श्रीमती निधि सिंह एवं श्री वेदव्रत उपाध्याय के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस कार्यशाला का उद्देश्य था कि पाठ्यक्रम में शामिल सेरीकल्चर की विधि को व्यावहारिक रूप से छात्राएं समझ सके। छात्राओं में प्रिया झा ,हेमलता , रीना, नीलम डहरिया, अनीता, संतोषी ,ईशा, अवंतिका ,गंगा इस प्रशिक्षण कार्य में शामिल रहे।

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