आंखों के सामने कंकाल बन गई बहन, सिर्फ खोपड़ी मिली: खरगोन टैंकर ब्लास्ट का खौफनाक मंजर, चश्मदीद की कहानी

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इंदौर8 मिनट पहलेलेखक: संतोष शितोले
‘वो हल्के गड्ढे में खड़े रहकर जलता पेट्रोल टैंकर देख रही थी.. दूसरे लोग भी ऊपर ही खड़े थे। तभी टैंकर में ब्लास्ट हुआ और पूरा पेट्रोल, डीजल उड़कर गड्ढे में भर गया। गड्ढे के पेट्रोल से आग बड़ा गोला बन गई। गुड़िया उसी गड्ढे में ही फंस गई और चीखते-पुकारते पलभर में खाक हो गई। जैसे कोई कागज का टुकड़ा जलता है। उसका सिर्फ कंकाल बचा..। उसके तो इसी साल हाथ पीले करने वाले थे, हमें तो हाथ भी साबूत नहीं मिला, सिर्फ खोपड़ी मिली..।’
खरगोन पेट्रोल-डीजल टैंकर ब्लास्ट में कंकाल बन गई 20 साल की रंगू उर्फ गुड़िया की ममेरी बहन प्रीतिबाला डाबर का। उन्होंने दैनिक भास्कर ऐप से उस मंजर को साझा किया। आपको बता दें कि गुड़िया इकलौती महिला थी जो उस हादसे में कंकाल बन गई। बाद में 6 और लोगों की मौत हुई जबकि 15 लोग जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहे हैं।
बहन प्रीतिबाला डाबर बताती हैं कि ‘सब जगह हाहाकार मचा था, लोग भाग रहे थे। हमें भी कंकाल देखकर यकीन नहीं हो रहा था कि ये लड़की गुड़िया ही है। पहचान बताई पर आंखों को यकीन नहीं हो रहा था। वहां बस एक खोपड़ी दिख रही थी, बाकी सबकुछ चीथड़े-चीथड़े हो चुका था। लोग फफकते हुए हर किसी को बता रहे थे कि ये गुड़िया है..।’
पढ़ना छोड़ चुकी थी, दिवाली बाद मेहंदी रचना थी इसी साल
गुड़िया के परिवार में मां, बाप के अलावा बहन सपना और भाई राहुल है। गुड़िया सबसे बड़ी थी और पढ़ना छोड़ चुकी थी। परिवार वाले इसी साल दिवाली बाद उसकी शादी करने वाले थे। कई जगह रिश्ते के बात हो रही थी।
घटना वाली तड़के सुबह गुड़िया रोज की तरह परिवार के साथ पानी भरने के लिए हैंडपंप पर गई थी। वहां टैंकर पहले से जलता हुआ मिला। करीब एक-दो घंटे हो गए होंगे। मौके पर कोई नहीं था।
वहां पर पाइप लाइन के लिए खुदाई हुई थी इसलिए गड्ढा था। गुड़िया उसी गड्ढे में सहज तरीके से खड़ी हो गई और आग देखने लगी। जैसे ही ब्लास्ट हुआ तो पेट्रोल काफी मात्रा में गड्ढे में और गुडिया पर जाकर गिरा। गोले की तरह आग भभका और विकट हालात में गुड़िया तिलमिला उठी। वह गड्ढे में ही फंस और निकलने के लिए तड़पती रही।
बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन जमीन समतल नहीं मिलने से गड्ढे में ही रह गई। चंद सेकेंड में वह कागज की जलकर राख हो गई। सोशल मीडिया पर गुडिया के कंकाल के फोटो-वीडियो जिंदगीभर हमें सालते रहेंगे।

रंगू उर्फ गुडिया
दूसरी बहन को तो जैसे मौत खींचकर ले आई

मासूम बेटे आकाश के साथ मीरा।
प्रीतिबाला ने बताया कि गुरुवार को इस कांड में झुलसी गुडिया की दूसरी ममेरी बहन मीरा बबलू (28) की भी मौत हो गई। इस हादसे ने कुल 2 जानें ली हैं।
मीरा की कहानी भी बहुत दुखद है। उसकी शादी करीब 5 साल पहले झगड़ी (बिष्टान-खरगोन) में हुई थी। परिवार में पति बबलू, बड़ी बेटी रोशनी (4) और बेटा आकाश (2) है। इस बार उसने कहा था कि मैं दीपावली मायके में मनाऊंगी।
वह धनतेरस पर दोनों बच्चों को लेकर अंजनगांव मायके आ गई थी। दीपावली के दिन सुबह वह भी रिश्तेदारों के साथ पानी भरने हैंडपंप तक गई थी। इस दौरान हल्की सी ठण्ड थी तो वह स्वेटर पहनकर निकली थी। वह भी अन्य लोगों के साथ रास्ते में पलटे पेट्रोल टैंकर को कौतूृहल से देखने लगी।
टैंकर ब्लास्ट हुआ तो आग का गोला सीने पर टकराया। वह आग की लपटों से घिर गई। इस दौरान काफी चीख-पुकार मची थी। उसे भी अन्य लोगों के साथ अस्पताल पहुंचाया गया। यहां डॉक्टरों ने बताया कि वह 100 पर्सेंट जल चुकी है। यहां एमवाय अस्पताल में चार दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष चला और गुरुवार को उसने भी दम तोड़ दिया।

दोनों चचेरी बहनों की अब सिर्फ यादें : मीरा व गुडिया।
चार दिन से बर्न यूनिट में सिर्फ कराहती आवाजें गूंज रही हैं, बाहर मुरझाए चेहरे हैं..
इंदौर में बर्न यूनिट में पिछले तीन-चार दिन इतनी कराहती आवाजें गूंज रही हैं कि स्टाफ की आंखें भी डबडबा जाती हैं। बाहर बैठे परिवार के लोगों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। जैसे कोई आया और जिंदगीभर के लिए सबकुछ खत्म कर गया।
इन दोनों परिवारों के अन्य लोग शिवानी पिता प्रकाश (12), उसकी मां सुरमा, कमला पति कालू (35), नत्थू पिता नानसिंह (45) उनका बेटा अनिल (28), नत्थू (एक अन्य), मुनसिंह पिता भावसिंह (37), बेटा बादल (16) हीरालाल पिता सरदार (30), मालूबाई पति वैरतिया (40), सपना पिता गोरेलाल (18) व रामसिंह पिता नानसिंह (30) भी एडमिट हैं। इनमें से नत्थू (काका), हीरालाल (बहनोई), अनिल(भाई) व मुनसिंह (भाई) की हालत गंभीर है। इनमें अनिल को दो बच्चे हैं जबकि मनुसिंह की तीन माह की बेटी है। इसके अलावा गांव के लक्ष्मी पिता गोरेलाल (13), कन्हैया पिता तैरसिंह (35), बेटा राहुल (16) व रामसिंह पिता नानसिंह (30) एडमिट हैं।
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