गुना का मिशनरी स्कूल बना राजनैतिक अखाड़ा: विहिप बोला- 44 साल बाद सच्चाई उजागर हुई; स्कूल का तर्क- असामाजिक तत्वों पर हो कार्रवाई

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गुनाएक घंटा पहले

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विहिप ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ प्रेस वार्ता की। - Dainik Bhaskar

विहिप ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ प्रेस वार्ता की।

जिले के मिशनरी स्कूल का मामला अब राजनैतिक अखाड़ा बन गया है। एक छात्र को कथित तौर पर भारत माता की जय बोलने के बाद सजा दी गयी। इससे नाराज परिजनों और हिंदूवादी संगठनों ने स्कूल में प्रदर्शन कर दिया। पूर्व विधायक भी स्कूल की जमीन का मुद्दा उठाने लगे। इसी बीच स्कूल प्रबंधन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर प्रदर्शन करने वालों को असामाजिक तत्व बताया। इससे नाराज हिंदूवादी संगठनों ने भी बुधवार को प्रेस वार्ता कर स्कूल प्रबंधन पर ही सवाल उठाए। उन्होंने प्रदर्शन करने वालों को असामाजिक तत्व बोलने की भी निंदा की। उन्होंने मिशनरी पर कई गांव में धर्मांतरण का आरोप भी लगाया। अब मध्यप्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष गुरुवार को स्कूल का निरीक्षण करने पहुंच रहे हैं। पढ़िए, 40 वर्षों से स्थापित और शहर में प्रतिष्ठित कहे जाने वाले मिशनरी स्कूल के अचानक राजनैतिक अखाड़ा बनने की कहानी…

पहले मामला जान लीजिए

2 नवम्बर की शहर के एक निजी स्कूल में बच्चे को भारत माता की जय बोलने पर 3 पीरियड तक जमीन पर बिठाया गया। उसके परिवार वालों ने स्कूल पर यह आरोप लगाए थे। 3 नवम्बर को इस मामले को लेकर हंगामा हो गया। बच्चे के परिवार वालों सहित अन्य लोग स्कूल में ही धरने पर बैठ गए। लगभग 4 घंटे तक स्कूल में हंगामा चलता रहा। स्कूल प्रबंधन ने माफी भी मांग ली, लेकिन हंगामा नहीं थमा। परिवार वाले और सामाजिक संगठन स्कूल पर FIR की मांग के लिए अड़े रहे। इसके बाद कोतवाली में दो शिक्षकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

बच्चे के पिता रोहित जैन के अनुसार उनका बेटा क्राइस्ट स्कूल में कक्षा 7 में पढ़ता है। 2 नवंबर को स्कूल में प्रेयर के बाद भारत माता की जय बोलने पर उसे शिक्षकों ने जमकर डांट लगाई। बच्चे को 4 पीरियड तक जमीन पर बिठाकर रखा गया। उसे डराया-धमकाया गया। यह बात बच्चे के दिल में इतनी असर कर गई कि घर पहुंच कर उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। माता-पिता ने तुरंत बच्चे के हाव भाव देख उससे बात की तो बच्चे ने पूरी घटना बताई। मामले की जानकारी सामने आते ही तमान अविभावक और सामाजिक संगठन 3 नवंबर को स्कूल पहुंच गए। यहां जमकर हंगामा हुआ था। वे स्कूल में ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने नारेबाजी करते हुए वहीं पर हनुमान चालीसा का पाठ किया। स्कूल प्रबंधन ने लिखित में घटना को लेकर माफी मांगी। उन्होंने शिक्षक पर भी कार्यवाई की बात कही। प्रदर्शन समाप्त होता, इससे पहले ही सामाजिक संगठन स्कूल पर FIR की मांग को लेकर अड़ गए। मौके पर SDM, CSP, तहसीलदार सहित प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंच गए। उन्होंने मामला शांत करने के प्रयास किये।

स्कूल में नारेबाजी करते हिंदूवादी संगठन के लोग।

स्कूल में नारेबाजी करते हिंदूवादी संगठन के लोग।

पूर्व नपाध्यक्ष खसरा लेकर पहुंचे

मामले में नया मोड़ उस समय आया जब पूर्व विधायक और पूर्व नपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह सलूजा कुछ दस्तावेज लेकर स्कूल पहुंच गए। उन्होंने बताया कि स्कूल ने अपने कैंपस के अंदर सरकारी जमीन पर कब्जा जमा रखा है। उन्होंने SDM से जमीन की नपाई कराकर सरकारी जमीन मुक्त कराने की मांग की। वह अपने साथ जमीन के खसरा खतौनी लेकर पहुंचे थे। वह भी अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए थे। इसके बाद प्रशासन ने उस जमीन की नाप जोख कराई। इसमे स्कूल की जमीन के एकदम बीच मे सरकारी जमीन निकली। प्रशासन ने भी ताबड़तोड़ कार्यवाई करते हुए जमीन की नाप-जोख की और अतिक्रमण की गई जमीन पर तार फेंसिंग कर दी। इसके बाद स्कूल की बाउंड्री भी तोड़ दी गयी।

स्कूल प्रबंधन ने मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र

मामले में नया मोड़ उस समय आया जब स्कूल प्रबंधन ने नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन को एक पत्र लिखकर स्कूल की सुरक्षा की मांग की। पत्र में प्रिंसीपल ने लिखा कि उनका स्कूल एक धर्मनिरपेक्ष संस्था है। 40 से ज्यादा वर्षों से स्कूल शैक्षणिक गतिविधि करता आ रहा है। इस मामले को राजनैतिक तूल दिया गया। कुछ असामाजिक तत्वों के स्कूल परिसर में गलत रूप से प्रवेश किया। इससे स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा उत्पन्न हुआ। इसलिए स्कूल को सुरक्षा प्रदान की जाए, नहीं तो कभी भी ऐसी भीड़ स्कूल में घुसकर नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने अपने पत्र में कानून व्यवस्था हाथ मे लेने वालों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की भी मांग की।

विहिप ने जताया विरोध

विश्व हिंदू परिषद ने बुधवारको एक पत्रकार वार्ता की।इसमे उन्होंने कहा कि 44 वर्ष तक स्कूल में क्या चलता रहा, इसका खुलासा उस घटना से हुआ है। जिसमें परिषद द्वारा क्राइस्ट स्कूल पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि भारत मे रहना है, तो यहां की मान मर्यादा और यहां के नियमों का पालन करना पड़ेगा। परिषद की तरफ से शासन प्रशासन को भी यह चेतावनी दी गई है कि यदि भारत माता का अपमान किसी भी स्कूल में या किसी भी जगह किया जाएगा तो इसका विरोध लगातार किया जाएगा।

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