गढ़ कलेवा कटघोरा: जिले में छत्तीसगढ़ी स्वाद, सेवा और संस्कृति का संगम

0.महिला स्व-सहायता समूह की मेहनत से चमक रहा गढ़ कलेवा, मुख्यमंत्री को परोसे गए परंपरागत व्यंजन
कोरबा,11 अक्टूबर 2025। जिले में छत्तीसगढ़ी स्वाद और संस्कृति का असली केंद्र बन चुका है गढ़ कलेवा कटघोरा। यहां परोसे जा रहे देसी व्यंजन और आत्मीय सेवा हर आने वाले को छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू का एहसास करा रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कटघोरा प्रवास के दौरान गढ़ कलेवा की दिदियों ने उन्हें परंपरागत महुआ लड्डू, तिल लड्डू, करी लड्डू, ठेठरी, खुरमी और बेर रोटी टोकनी में भेंट किए। इस अवसर पर पद्मश्री जागेश्वर यादव ‘बिहोर भाई’ भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने महिला समूह के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे छत्तीसगढ़ी संस्कृति का सुंदर उदाहरण बताया।
गढ़ कलेवा का संचालन महिला स्व-सहायता समूह की बहनों द्वारा किया जा रहा है। सीमित साधनों में भी उन्होंने अपने परिश्रम और लगन से इस स्थान को जिले की पहचान बना दिया है। फिलहाल अस्थायी झोपड़ी और टेंट में संचालित यह कलेवा लोगों को सादा पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रहा है। यहां परोसी जाने वाली थाली में फरा, चीला, अंगाकर रोटी, चना भाजी, दाल-भात, ठेठरी-खुरमी और पौष्टिक लड्डू शामिल हैं। इन व्यंजनों का स्वाद लोगों को अपनी संस्कृति और परंपरा से जोड़ता है।
गढ़ कलेवा का उद्देश्य सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि जनसेवा और परंपरा का संरक्षण है। यहां आमजन के लिए किफायती दरों पर भोजन उपलब्ध कराया जाता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह पहल छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रचार-प्रसार और महिला सशक्तिकरण की दिशा में मजबूत कदम है। महिला समूह और स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से गढ़ कलेवा के लिए स्थायी भवन और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सरकारी सहयोग मिला तो गढ़ कलेवा न केवल जिले का गौरव बनेगा, बल्कि रोजगार और स्वावलंबन का बड़ा केंद्र सिद्ध होगा।
गढ़ कलेवा में भोजन का स्वाद लेने पहुंचे अधिकारियों ने महिला समूह के समर्पण की प्रशंसा की। स्थानीय नागरिकों ने कहा कि यह पहल जिले की छत्तीसगढ़ी पहचान को नई ऊंचाई दे रही है। गढ़ कलेवा कटघोरा आज सिर्फ एक भोजनालय नहीं, बल्कि संस्कृति, सेवा और स्वावलंबन का जीवंत उदाहरण बन चुका है, जो हर थाली के साथ छत्तीसगढ़ की आत्मा परोस रहा है।