खेती और किराना दुकान शुरू करके ग्राम बालूद की ’’कमला’’ ने तय किया तरक्की का सफर

दंतेवाड़ा । ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वरोजगार के अनेकानेक अवसर देने के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) प्रयास अब सही मायनो में रंग ला रहे है। ग्रामीण महिलाएं भी अब इस तथ्य को भलीभांति समझ रही है कि खेती किसानी और घर गृहस्थी के काम के अलावा भी उनकी एक अलग पहचान होना समय की मांग है और यह पहचान आत्मनिर्भर एवं आर्थिक सशक्तिकरण से ही संभव है और इसी के बदौलत ही वे बच्चों की शिक्षा दीक्षा के खर्च और परिवार के अन्य जरूरतें पूरा करने में हाथ बंटा सकती है।
इस क्रम में जिला मुख्यालय से 3 किमी दूरी में बसा ग्राम पंचायत बालूद में निवासरत कमला ठाकुर एवं उनका परिवार अपने जीवन यापन के लिए परंपरागत खेती से ही जुड़ा हुआ था। फिर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के जरिये उन्होंने दिव्या स्व सहायता का गठन किया। इस समूह में अधिकतर सभी 10 महिलाएं निर्धन परिवार से संबंधित थी और सभी महिलाएं गृहिणी ही थी। इन महिलाओं को सी.आर.पी. दीदीयों के द्वारा बिहान योजना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई।
समूह से जुड़ने के पश्चात कमला ठाकुर ने घर के काम एवं खेती के साथ-साथ लघु व्यवसाय करने का विचार किया, इस प्रकार कुछ नया करने की सोच के साथ उन्होंने बिहान के माध्यम से ही ग्राम संगठन के द्वारा 1,20,000 ऋण प्राप्त कर किराना दुकान शुरू किया। जिसमें उनके परिवार ने भी उनका साथ दिया और उनके द्वारा समय से ग्राम संगठन से लिये गये ऋण को ब्याज सहित चुकता भी कर दिया गया। इसी आत्मविश्वास के बलबूते उन्होंने अपने दुकान को विस्तार करने के उद्देश्य से पुनः बैंक से ऋण के रूप में 50,000 राशि लेकर अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। अपनी आत्मनिर्भरता की वजह से आज वे अपने परिवार की जिम्मेदारी को सुगमता से निभा रही है और कमला ठाकुर इसका पूरा श्रेय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) को देते हुए कहती है कि बिहान से जुड़ने के बाद ही उनके पूरी जिंदगी में बदलाव आया है।