खास बातचीत: हमारे धर्मगुरु और कथा वाचक मौला-मौला करते हैं, क्या उनके हनुमान चालीसा पढ़ते हैं

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भोपाल18 मिनट पहलेलेखक: वंदना श्रोती

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द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज - Dainik Bhaskar

द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज

द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज राजधानी प्रवास पर हैं। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत करते हुए कई प्रश्नों के बेबाकी से उत्तर दिए।

महाराजश्री ने मंच से मौला-मौला गाने वाले धर्मगुरुओं और अजान के दौरान कथा रोक देने वाले धर्मगुरुओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हिंदू धर्मगुरु और कथा वाचक तो मौला-मौला कर लेते हैं, लेकिन क्या कभी भी अन्य धर्म के गुरुओं को उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ते देखा है। यह भाईचारा केवल हिंदुओं और सनातनियों के हिस्से क्यों?

सवाल-जवाब… धर्मांतरण कराने के लिए हो रही विदेशी फंडिंग को रोकने की जरूरत

तेजी से धर्मान्तरण की घटनाएं सामने आ रही हैं, क्या वजह है?
जवाब- इसके लिए सरकारें और हिंदू दोषी हैं। धर्मांतरण कराने के लिए विदेश से जो फंडिंग हो रही है, उसे नहीं रोका जा रहा है। लोगों प्रलोभन से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।

फिल्में और वेबसीरिज क्या हिंदू संस्कृति और धर्म को आघात पहुंचा रही हैं?
सनातन संस्कृति पर आघात पहुंचाने वाली फिल्में और वेबसीरीज बंद होना चाहिए। ऐसी फिल्मों को देखना ही बंद कर देना चाहिए। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही धर्म पर सबसे ज्यादा आघात किया जा रहा है।

ज्ञानव्यापी और मथुरा में बनी मस्जिद के बारे में क्या कहेंगे?
नि:संदेह राम मंदिर की तरह ही ज्ञानव्यापी और मथुरा से मस्जिद हटना चाहिए। इस पर हिंदूओं का हक है।

वर्तमान में एक प्रकार की धार्मिक अस्थिरता चल रही है, उसे कैसे दूर कर सकते हैं?
इसके लिए सरकारों के साथ सभी धर्मों के गुरुओं को प्रयास करना चाहिए। जो अस्थिरता पैदा कर रहे हैं उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

द्वारिका मठ में किस तरह का परिवर्तन करना चाहेंगे?
मठ का निश्चित उद्देश्य है। जैसे भारत देश को चलाने के लिए संविधान बना है, वैसे ही चारों मठ की नियमावली बनी हुई है। इसी को आगे बढ़ाना है।

युवाओं के बारे में क्या कहेंगे। उनके लिए क्या संदेश है?
युवा ही नहीं, सभी को अपनी जड़ों से जुड़ना चाहिए। जो जड़ से उखड़ गया, वह खत्म हो जाता है। युवा और आने वाली पीढ़ी के मन मंदिर में परमात्मा की स्थापना करना ही अब सबसे बड़ा दायित्व है।

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