खालसा कॉलेज में अब ‌BJP की ‘इंट्री’: जहां पड़े कमलनाथ के कदम वहां समाजजन ने दूध से किया शुद्धिकरण, गुरु सिंघ सभा पर सवाल

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इंदौर34 मिनट पहले

गुरुवार को खालसा कॉलेज में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के स्वागत-सत्कार और गुणगान को लेकर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी द्वारा भरी सभा में हजारों लोगों के बीच जबर्दस्त नाराजगी जाहिर करने के बाद मामले में तूल पकड़ लिया है। यह मामला इंदौर ही नहीं बल्कि पंजाब, दिल्ली आदि के सिख समुदाय में चर्चाओं में है। इसमें कमलनाथ के विरोध के साथ कीर्तनकार मनप्रीतसिंह की नाराजगी का समर्थन किया जा रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को इंदौर में भाजपा से जुड़े सिख समाज के लोगों द्वारा खालसा कॉलेज पहुंचकर शुद्धिकरण किया गया। इसके साथ ही 1984 के दंगों में कमलनाथ पर गंभीर आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन किए गए तथा उन्हें कड़ी सजा मिलने के लिए अरदास की गई। नाराज सिखजनों ने श्री गुरुसिंघ सभा पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने कमलनाथ को बुलाकर बड़ी गलती की है।

अरदास में कमलनाथ को कड़ी सजा दिलाने की मांग।

अरदास में कमलनाथ को कड़ी सजा दिलाने की मांग।

शाम को भाजपा के कार्यालय मंत्री ऋषि खनूजा समाज के कई लोगों के साथ खालसा कॉलेज पहुंचे और कमनलाथ के खिलाफ नारेबाजी की। समाजजन के हाथों में बैनर था जिस पर लिखा था कि ‘Never Forget 1984।’ इसके साथ ही ‘सिखों के हत्यारे को फांसी दो तथा हजारों सिख परिवारों का कातिल है कांग्रेस नेता कमलनाथ’ लिखा हुआ था। विरोध प्रदर्शन में महिलाएं भी थी। इन लोगों ने पहले उस स्थान का दूध से शुद्धिकरण किया जहां कमलनाथ गए थे और मत्था टेका था।

खूनजा ने आरोप लगाया कि श्री गुरुसिंघ सभा के सचिव राजा गांधी पर आरोप लगाए कि उन्होंने कमलनाथ के तारीखों के पुल बांधे तथा उनका गुणगान किया। राजा गांधी खुद भाजपा से हैं लेकिन वे अपने हितों को देखते हैं। हम इसके लिए शर्मिंदा हैं। हम कीर्तनकार मनप्रीतसिंह से निवेदन करते हैं जो कुछ हुआ उसका बहुत दुख है। एक-दो लोगों की सजा पूरे िसख समाज को न दें।

सांसद लालवानी ने भी निंदा

मामले की सांसद शंकर लालवानी ने भी निंदा की है। उन्होंने कहा कि कीर्तनकार मनप्रीति सिंह की नाराजगी जायज है। कल सत्संग को बीच में रोककर जत्थे का गुणगान किया गया, ऐसा नहीं होना था। ऐसे में कीर्तनकार की पीड़ा स्वाभाविक थी। उनके द्वारा अब इंदौर में कभी नहीं आने की सौगंध लेना भी इंदौर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने सिख समाज के लोगों से कहा है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इंदौर सभी धर्मों और साझा संस्कृति का शहर है।

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