डीआरडीई ने विकसित की थी दवा: 2डीजी का लाइसेंस कई कंपनियों ने लिया, दवा सिर्फ एक ने बनाई; ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने में है कारगर

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ग्वालियर32 मिनट पहलेलेखक: संजय बौहरे
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जो दवा बनाई गई वह पहले से ही बाजार में उपलब्ध थी
कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए 2डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2डीजी) दवा का निर्माण किया गया था। इस दवा के निर्माण का लाइसेंस तो करीब दर्जन भर कंपनियों ने लिया, लेकिन सिर्फ डॉ.रेड्डीज लैब ही इसे बाजार में उतार सकी। पहले दवा के लाइसेंस की प्रक्रिया, फिर कालाबाजारी रोकने और निर्माण से लेकर वितरण तक के लिए सरकार की नियमावली जब तक तैयार हुई तब तक कोरोना महामारी में इस दवा की जरूरत ही खत्म हो गई। टीका लगने के कारण तीसरी लहर में कोरोना इतना घातक नहीं रहा कि मरीजों में ऑक्सीजन का लेवल कम हो और उन्हें 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज की जरूरत पड़े। हालांकि इस दवा का उपयोग कैंसर में रेडियोथैरेपी के लिए किया जा रहा है।
इस दवा के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने मई 2021 में इमरजेंसी यूज प्रोटोकॉल के तहत मंजूरी दी थी। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों व ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में इस दवा के सफल प्रयोग के बाद इमरजेंसी की स्थिति के कारण ही मंजूरी दी गई थी। इस दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) ने डॉ. रेड्डीज लैब के साथ मिलकर विकसित करने का दावा किया था। इस दवा को सबसे पहले ग्वालियर स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) ग्वालियर ने इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूकक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेस (इनमास) के साथ अनुसंधान के बाद विकसित कर 2002 में पेटेंट कराया था। तब यह दवा कैंसर में रेडियोथैरेपी के लिए उपयोग की जाती थी।
इसलिए दी गई थी इस दवा को मंजूरी
दूसरी लहर में कोरोना के खतरनाक रूप के कारण अस्पताल व ऑक्सीजन दवा की भारी कमी हो गई थी। इस स्थिति को देखते हुए अस्पताल व दवा कंपनियों ने तीसरी लहर से पूर्व तैयारी की थी लेकिन कोरोना दूसरी लहर की तरह खतरनाक स्थिति तक न पहुंचने से किसी भी तैयारी का उपयोग नहीं हो सका। 2डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2डीजी) के उपयोग से जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल तेजी गिर रहा था उनके लिए उपयोगी थी। इस दवा से ऑक्सीजन लेवल तेजी से बढ़ जाता था जिससे और कोरोना पर नियंत्रण हो जाता था। दूसरी लहर में कोरोना से ऑक्सीजन का लेवल गिरने के कारण ही अधिकांश मरीजों की मौतें हुई थी, इसी के दौरान इसका प्रयोग कर मंजूरी दी गई थी।
इन्होंने लिया था 2डीजी का लाइसेंस
लाइसेंस लेने वाली कंपनियों में डॉ. रेड्डीज लैब के अलावा, मेनकाइंड, ली फोर्ड हेल्थ केयर, एक्यूम्स ड्रग्स एंड फर्मास्यूटिकल, सिनार्जिन, केरला स्टेट ड्रग्स एंड फर्मास्यूटिकल्स, सिपला, बजाज हेल्थ केयर, वर्डेंट लाइफ साइंस, वीडीआर लाइफ साइंस, अरविंदो फार्मा, मल्लाडी ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स आदि।
जेएएच में ऑक्सीजन के दो प्लांट थे, अब 8 हुए
जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) परिसर में ऑक्सीजन के दो प्लांट पहले से मौजूद थे। कोरोना की दूसरी लहर में इन प्लांटों में बनने वाली ऑक्सीजन मरीजों की जरूरत पूरी करने में असमर्थ रही। शहर के अन्य प्लांटों से ऑक्सीजन ली गई लेकिन वह भी नाकाफी रही। इसके चलते 6 नए ऑक्सीजन प्लांट मंजूर हुए। जेएएच में इन्हें मिलाकर अब 8 ऑक्सीजन प्लांट हैं। तीसरी लहर ज्यादा घातक नहीं रही जिससे इनके उपयोग की भी जरूरत नहीं पड़ी।
लाइसेंस की स्थिति क्या है, यह पता करना पड़ेगा
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2डीजी) डॉ. रेड्डीज लैब की ही दवा प्रदेश के इंदौर में पहुंची थी। अन्य किसी कंपनी की दवा बाजार में नहीं आई। दवा के संबंध में अब इन कंपनियों के लाइसेंस की स्थिति क्या है यह पता करना पड़ेगा।’
-रजनीश चौधरी, डिप्टी कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन
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