लोग परेशानी: 150 में से 85 बसें उज्जैन के लिए लगाईं इधर, लोग बस स्टैंड और सड़कों पर करते रहे इंतजार

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रतलाम7 मिनट पहले

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उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण में बड़ी संख्या में लोग जिले से भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के लिए 85 बसें लगाई गईं। इसमें 60 बसें रतलाम और 25 बसें बड़नगर से लगाई गईं जो लोगों को लेकर उज्जैन रवाना हुईं। लेकिन प्रमुख रूटों की बसें लगाने से त्योहारी सीजन होने के कारण लोग परेशान हाेते रहे। आम लोगों के साथ ही अप डाउन करने वालाें काे भी दिक्कत आई और जैसे-तैसे कार्य स्थलों पर पहुंचे।

जिले में 6 प्रमुख रूट हैं। इन रूटों पर 150 बसें रोजाना दौड़ती हैं। इन प्रमुख रूटों की आधी बसें उज्जैन के कार्यक्रम के लिए लगा दीं। सोमवार रात 9 बजे से ही इन बसों को मंगलवार रात 12 बजे तक के लिए अधिग्रहित कर लिया गया। आधी बसें चलने से लोग बसों के इंतजार में परेशान होते रहे और विभिन्न बस स्टैंडों और बस स्टाप पर ही खड़े नजर आए। अब बुधवार से फिर से बसें दौड़ेंगी।

बस मालिक इंकार ना कर दे, इसलिए एक साल पुराना भुगतान किया
इधर, बस मालिकों को एक साल से बकाया भुगतान मिल गया है। ये भुगतान पिछले साल भोपाल में बिरसामुंडा जयंती पर हुई पीएम की सभा का है। भोपाल में हुई सभा में 60 बसें लगाईं थीं। इसके बाद से इसका भुगतान नहीं हो रहा था। चूंकि उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण होना था। इसके लिए एक साल का बकाया भुगतान तुरंत कर दिया गया। जिला बस संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबेंद्रसिंह गुर्जर ने बताया सरकारी आयोजनों में हमें बसें लगाने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन भुगतान बहुत विलंब से होता है।

किस रूट की कितने बसें लगाईं कार्यक्रम के लिए

  • रतलाम-बाजना10
  • रतलाम-जावरा30
  • रतलाम-सैलाना10
  • रतलाम-झाबुआ5
  • रतलाम-बदनावर25
  • रतलाम-उज्जैन5

इधर, बसों का दो साल बाद भी भुगतान नहीं
दो साल पहले लॉकडाउन के दौरान 12 बसें जिले की विभिन्न सीमाओं पर लगाई गई थीं। इन बसों ने जिले के रहवासियों को बार्डर से बसों में बैठाकर गांवों और उनके घरों तक छोड़ा। लेकिन दो साल हो गए हैं। अब तक इसका भुगतान बस मालिकों को नहीं मिल पाया है। जबकि दो महीने तक ये बसें लगाई गई थीं। लंबे समय से बस मालिक मांग कर रहे। लेकिन भुगतान अब तक नहीं हो पाया है।

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