आयोजन: न्यायाधीश कृष्णमूर्ति मिश्र ने कहा- हमें अपनी भारतीय संस्कृति एवं संस्कार को नहीं भूलना है

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दतियाएक घंटा पहले
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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यक्रम को संबोधित करते न्यायाधीश मिश्र।
भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार की बातें करते हुए तो हमने सबको सुना होगा पर यदि हम अपने मौलिक कर्त्तव्य की बात करें तो आपको बता दें कि जब संविधान बना तब उस समय उसमें मूल कर्त्तव्य नहीं जोड़ा गया था क्योंकि उस समय हमारी भारतीय संस्कृति हमारी भारतीय विचारधारा में ही कर्तव्यों का पालन किया जाता रहा है। हम पहले से ही अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते थे।
यह बात सोमवार को पीजी कॉलेज में विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भारतीय संविधान के अंतर्गत प्रावधानित मूल्य कर्तव्यों के पालन हेतु आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णमूर्ति मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हम पहले प्रकृति की पूजा करते थे। हम जंगल, पर्वत, नदी इन सभी को देवता मानते थे। परन्तु उस समय कर्तव्यों की बात आई तो सबसे पहले गोवर्धन पर्वत की पूजा कर वनों को संरक्षित किया गया। लेकिन आज आजादी के 25 से 30 वर्ष के बाद सब कुछ बदला हुआ नजर आया। हम लोग अपनी संस्कृति को भूलने लगे।
तब हमें मूल कर्तव्यों की आवश्यकता पड़ी और भारतीय संविधान में मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया। उसके बाद भी व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। न्यायालय में भी अधिकारों की मांग कर रहे हैं। व्यक्ति को अपने कर्त्तव्य के प्रति भी जागरूक होने की आवश्यकता है। पढ़ाई करना आपका अधिकार है लेकिन गुरुओं का सम्मान करना हमारा कर्त्तव्य है। प्रधान न्यायाधीश ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए जानकारी दी कि आप लोग देश का भविष्य हो। हम सभी को अपने अंदर देश प्रेम की भावना को जीवित रखना है।
विधि कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष राय एवं प्रोफेसर किरन बाला सिंह ने भी छात्र-छात्राओं को संविधान के मूल कर्त्तव्य एवं लैंगिक उत्पीड़न के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि छात्राओं को आज के समय में भी घर से निकलने के बाद से एवं वापस अपने घर आने तक कई प्रकार के उत्पीड़न से गुजरा पड़ता है। परन्तु हमें उस उत्पीड़न के सम्बन्ध में आगे आकर शिकायत करना चाहिए क्योंकि अपराध सहना भी अपराधी की हिम्मत को बढ़ाता है।
जिला न्यायाधीश मुकेश रावत ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं जागरूकता कार्यक्रम की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि विधि की भूल क्षम्य नहीं है। अर्थात कोई भी अपराधी यह कहकर नहीं बच सकता कि मुझे कानून के बारे में जानकारी नहीं थी। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को लोगों के बीच, स्कूल, कॉलेज, गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर वासू जादौन एवं आभार प्रदर्शन किशोर अरोरा ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम में कॉलेज प्राचार्य डॉ. डीआर राहुल, जिला विधिक सहायता अधिकारी बीएम सिंह, प्रो. रश्मि सिंह, एसआर लाहोरिया, प्रो. संजय श्रीवास्तव, सुनील त्यागी, प्रो. वासू जादौन एवं पैरालीगल वालेंटियर्स शैलेन्द्र सेन, सतेन्द्र दिसौरिया समेत छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
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