कोयला खदान में लगी आग: सिंगरौली में एनसीएल की कोल खदान में धधक रही आग, करोड़ों का हो रहा नुकसान

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सिंगरौली38 मिनट पहले
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सिंगरौली जिले के एनसीएल की दूधीचुआ खदान में कोयले की मोटी परत में लगी आग से कोल प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है। आग का दायरा लगातार बढ़ने से कोयला परत के ऊपर मौजूद पहाड़ के मलबे को खिसकने की आशंका जताई जा रही है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि आग से अब तक कई हजार टन कोयला राख हो चुका है। जिस कोयला खदान में आग भभक रही है ,वह उच्च क्वालिटी का कोयला है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही जारी है। बीते दिनों यूपीएसटीएफ ने डीजल माफियाओं पर कार्रवाई की थी, जिसमें एनसीएल के अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ था।
अब एक बार फिर से अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है, जिन पर कोयले के रखरखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वहीं लापरवाही बरत रहे है। पिछले कई दिनों से आग लगी हुई है लेकिन इसे बुझाने की जहमत किसी ने नहीं की।
इससे करोड़ों रुपए की नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। यह कोई पहला मामला नहीं है, यहां तो हर दिन किसी न किसी खदान में आग लग जाती है और कई टन कोयला जलकर भस्म हो जाता है। वहीं आग कब व कैसे लगी इसको लेकर अलग अलग तर्क है।
चिंता आग के दायरा बढ़ने व दिन रात सुलग रही कोयला परत की वजह से रिक्त हो रहे स्थान को लेकर है। जानकार बताते हैं कि इस प्रक्रिया को रोका नहीं गया तो परत के ऊपर मौजूद लाखों टन वजनी पहाड़ का मलबा खिसक सकता है।
खदानों में हो चुकी हैं घटनाएं
खदानों में इस तरह की स्लाइडिंग (खिसकन) की घटना हो चुकी है। यह अलग बात है कि हर बार कारण अलग रहे। बताया जा रहा है कि एनसीएल दूधीचुआ खदान में कोयले का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इस क्षेत्र से निकलने वाले कोयले की श्रेणी भी उम्दा मानी जाती है। कोल प्रोजेक्ट के अधिकारियों का दावा है कि हालिया समस्या से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
वहीं एनसीएल सिंगरौली के जनसंपर्क अधिकारी रामविजय सिंह ने कहा कि कोयला खदान में यह सतत चलने वाली एक समस्या है। यह आक्सीजन के दबाव से पैदा होती है। आग वाले क्षेत्र को डीआक्साइड करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

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