ग्वालियर में लापरवाह सिस्टम, बेबस मां: 6 महीने से वेतन के लिए भटक रही सफाईकर्मी मां, भूख-प्यास से बेटे ने तोड़ दिया दम

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ग्वालियर38 मिनट पहले

नगर निगम आयुक्त को अपनी समस्या से अवगत कराती निर्मला

ग्वालियर में लापरवाही व संवेदनहीन सरकारी सिस्टम की वो तस्वीर सामने आई है जो किसी ने सोची नहीं होगी। दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मचारी एक महिला 6 महीने से सिर्फ अपना मेहनताना पाने के लिए अफसरों के दफ्तरों पर सिर पटक रही है। पति से अलग रह रही महिला की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह अपने 7 साल के बेटे को ठीक से पोषण तक नहीं दे पाई। 17 दिन पहले उसके मासूम बेटे ने भूख-प्यास के सामने अपनी जिंदगी की जंग हार दी। कमलाराजा अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

वैसे तो मंत्री-अफसर बाल भवन में स्थापना दिवस की बधाइयां दे रहे थे, लेकिन दूसरी ओर अपने बेटे को खोने वाली मां सिर्फ इसी आस में खड़ी थी कि शायद अब संवेदनहीन अफसरों को उसका दर्द समझ आए। नगर निगम कमिश्नर किशोर कान्याल से मिलकर महिला ने मदद की गुहार लगाई है।

निर्मला धौलपुरिया अपने वेतन के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हुए

निर्मला धौलपुरिया अपने वेतन के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हुए

शहर के शिंदे की छावनी निवासी 29 वर्षीय निर्मला धौलपुरिया नगर निगम में सफाई कर्मचारी है। वह दैनिक वेतनभोगी है। 6 महीने पहले ही उसे काम पर रखा गया था। उसे काम पर रखते हुए बोला था कि पेपर का वर्क पूरा होते ही उसका वेतन शुरू हो जाएगा। अभी काम करें, क्योंकि ग्वालियर को स्वच्छता में नंबर एक बनाना है। निर्मला के परिवार में उसकी मां, एक 7 साल का बेटा था। पति को साल 2016 में वह छोड़ चुकी थी। उसकी अजीविका का साधन यही दैनिक वेतनभोगी की नौकरी ही थी। वह लगातार काम कर रही थी, लेकिन नगर निगम के लापरवाह अफसर और नौकरशाही की वह लगातार शिकार हो रहे थे। उसे एक भी महीने का वेतन ही नहीं दिया। वह आसपास के लोगों से उधार लेकर या अपने एक दो छोटे गहने बेचकर घर चला रही थी। आर्थिक तंगी के जाल ने उसे अपनी गिरफ्त मंे ले लिया। बेटा पोषण न मिलने से बीमार रहने लगा। वृद्ध मां भी बीमार रहने लगी। किसी तरह निर्मला परिवार की बागडोर खींचती रही। लगातार छह महीने तक जब उसे वेतन नहीं मिला तो वह अफसरों के दरवाजों तक पहुंची, लेकिन किसी ने उसकी एक भी नहीं सुनी। उसे अफसर टालते रहे और दफ्तरो के चक्कर लगवाते रहे।
पहले मां फिर बेटे ने साथ छोड़ा
– निर्मला की दर्दभरी दास्तान यहां भी खत्म नहीं होती है। वेतन नहीं मिलने से उसकी आर्थिक स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती चली गई। वह न मां की देखभाल कर पा रही थी न ही मासूम बेटे की। लगातार पोषण न मिलने से दोनों की तबीयत खराब रहने लगी। 3 महीने पहले निर्मला की मां की बीमारी के चलते मौत हो गई। अब वह मां के गम से उभरी भी नहीं थी कि बेटे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सात साल का वंश उसकी आखिरी उम्मीद था। हालत बिगड़ने पर उसे कमलाराजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां करवाचौथ के एक दिन बाद 14 अक्टूबर को वंश ने अस्पताल में भूख-प्यास से हारकर दम तोड़ दिया। इकलौते सहारे की मौत से निर्मला टूट गई है। पर नगर निगम के संवेदनहीन अफसर अभी भी नहीं टूटे हैं।
2013 में हुई थी शादी, 2016 में अवसाद
नगर निगम की दैनिक भोगी सफाई कर्मचारी निर्मला धौलपुरिया की शादी 8 साल पहले साल 2018 में राजस्थान में रहने वाले सोनू धौलपुरिया नाम के व्यक्ति से हुई थी। सोनू से ही उसके शादी के अगले साल उसे बेटा हुआ था। पर पति की शराब पीने और मारपीट करने की आदत से निर्मला परेशान हो गई थी। साल 2016 में उसने और सोनू ने एक दूसरे से अलग होने का फैसला लिया। तभी से निर्मला अपनी मां के साथ शिंदे की छावनी इलाके मंे रह रही थी। पर अब न उसके पास मां है न ही बेटा।
अफसरों से कहा अब तो दे दो मेरा वेतन
– मंगलवार को निर्मला बाल भवन में मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के कार्यक्रम के मौके पर नगर निगम के अधिकारियों के बीच पहुंची और अपनी आपबीती सुनाई। पहले तो इस मामले में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी महिला को नगर निगम का दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी मानने से इंकार कर रहे थे। उनका कहना था कि इस मामले की जांच की जा रही है अगर महिला नगर निगम की सफाई कर्मचारी होगी तो उसे नियमित वेतन मिल रहा होगा अगर कोई गड़बड़ी होगी तो जिम्मेदार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अब भी जांच कराने की बात कह रहे
नगर निगम आयुक्त किशोर कान्याल का कहना है कि महिला स्वच्छता अभियान के तहत सफाई कर्मचारी के रूप में काम कर रही थी। महिला का कहना है कि उसे छह महीने से वेतन नहीं मिला है। हम इसकी जांच करा रहे हैं। जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर एक्शन लेंगे।

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