कूनो में चीते अब स्ट्रेस फ्री: 16 अक्टूबर को बड़े बाड़े में छोड़ेंगे; चीतों की सुरक्षा करेंगे 6 जर्मन शेफर्ड

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दीपक डंडोतिया, श्योपुर5 घंटे पहले
नामीबिया से राष्ट्रीय कूनो पालपुर अभयारण्य में लाए गए सभी 8 चीते पूरी तरह स्वस्थ हैं। वे अब स्ट्रेस फ्री हो गए हैं। वे ठीक तरह से खा रहे हैं, उछल कूद से लेकर दूसरी सभी तरह की एक्टिविटी भी कर रहे हैं। कूनो में आए हुए उन्हें 18 दिन बीत चुके हैं। फिलहाल वे क्वारैंटाइन है। 16 अक्टूबर को उन्हें बड़े बाड़े में छोड़ दिया जाएगा।
कूनो पालपुर नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा ने बताया कि चीतों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। अब स्ट्रेस फ्री महसूस कर रहे हैं। उन्हें बेहोश करके टेंपरेचर नहीं नापा गया है क्योंकि उसकी जरूरत महसूस नहीं की गई है। 16 अक्टूबर को इन्हें बड़े बाड़े में शिफ्ट करने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। 16 अक्टूबर से ही पर्यटकों की आवाजाही भी शुरू हो रही है।
ऐसे हो रही मॉनिटरिंग
चीतों के बाड़े के आसपास किसी को नहीं आने दिया जा रहा है। डॉक्टर और विशेषज्ञों की 3 सदस्यीय टीम भी दबे पांव बाड़े के पास पहुंचकर मॉनिटरिंग कर रही है। टीम बाड़े में चारों तरफ लगाए गए ग्रीन नेट में छिपकर उनकी तबीयत से जुड़े पहलुओं की जांच करती है। निगरानी वाले स्थान को ग्रीन नेट से ऊंचाई तक कवर किया गया है। इसमें सिर्फ इतनी जगह रखी गई है कि विशेषज्ञ आंखों से चीतों को देख सकें। इस टीम में डॉ. जितेंद्र जाटव, डॉ. ओमकार और नामीबिया से बुलाए गए चीता एक्सपर्ट वाट शामिल हैं।

नामीबिया से लाए गए चीतों को अभी छोटे बाड़े में क्वारैंटाइन कर रखा है।
सीसीटीवी से भी चीतों पर नजर
ये सभी चीतों की मॉनिटरिंग के लिए बाइनाकूलर लेकर बैठते हैं। चीतों की हर मूवमेंट को गौर से देखकर उनके स्वास्थ्य का आंकलन करते हैं। चीता के व्यवहार, खाने, पीने से लेकर नींद लेने तक की निगरानी यह टीम करती है। रेडियो कॉलर से चीतों की महज लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। यह इतना हाईटेक है कि सैटेलाइट और वन विभाग के स्पेशल नेटवर्क से इसे कई किलोमीटर की दूरी पर होने की स्थिति में भी तत्काल ट्रेस किया जा सकता है। सीसीटीवी कैमरों से भी चीतों पर निगरानी रखी जा रही है।
रात में वॉच टावर पर तैनात रहते हैं दो सुरक्षाकर्मी
राष्ट्रीय कूनो पालपुर अभ्यारण में चीतों की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। मौजूदा हालातों में चीजों के छोटे-छोटे बाड़ों के पास वॉच टावर बनाए गए हैं। जिन पर रात के समय दो सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाता है। यह सुरक्षाकर्मी रात भर चीजों की निगरानी करते हैं, इसके अलावा टावर पर लगे सीसीटीवी कैमरा से भी उनकी निगरानी की जाती है।
जर्मन शेफर्ड कुत्तों को दी जा रही विशेष ट्रेनिंग
कूनो में लाए गए चीतों की शिकारियों से सुरक्षा करने के लिए 6 जर्मन शेफर्ड कुत्तों को हरियाणा में आईटीबीपी के जवानों द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। इस नस्ल के कुत्तों की सुनने की क्षमता बेहद खास होती है, यह शिकारियों की कूनो में आवाजाही रोकने के लिए कारगर साबित होंगे क्योंकि जब भी शिकारियों का मूवमेंट होगा तो यह सुनकर उनका पता लगा लेंगे। कूनो में अफ्रीका से जल्द ही 12 चीते और लाने की तैयारियां की जा रही हैं।
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कूनो में गुमसुम नामीबिया से आए चीते,जगह बदलने से दिख रही टेंशन
कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीते 48 घंटे बीत जाने के बाद भी थोड़े तनाव में दिखे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इन्हें बाड़े में छोड़ा था, उसके एक घंटे तक डरे-सहमे रहे। नामीबिया से टीम के साथ आए प्रीटोरिया यूनिवर्सिटी में वन्यजीव चिकित्सा विशेषज्ञ एड्रियन टॉर्डिफे ने बताया कि चीते तनाव में हैं, लेकिन इच्छाशक्ति से जल्द ही अनुकूल हो जाएंगे। पढ़ें पूरी खबर

दोबारा बसाने कूनो को ही क्यों चुना,चीतों की वापसी की कहानी…
मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते अभी एक छोटे बाड़े में क्वारंटाइन हैं। इन चीतों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। 16 अक्टूबर को इन्हें बड़े बाड़ें में शिफ्ट करने की तैयारियां चल रही है। नामीबिया से लाए गए 8 चीतों के कारण कूनो देशभर में चर्चा में आ गया। ऐसे में सवाल यह है कि चीतों के लिए कूनो को ही क्यों चुना गया? आखिर चीतों को लाने की जरूरत क्यों पड़ी? आइए इन सवालों का जवाब सिलसिलेवार जानते हैं…पढ़ें पूरी खबर

50 साल पहले लिखी गई चीते लाने की स्क्रिप्ट
मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर सेंक्चुरी में 17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीते लाए गए। इस मेगा इवेंट पर देश-दुनिया की नजर थी, क्योंकि यह चीतों की इस तरह की पहली शिफ्टिंग है। भले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारत में 70 साल बाद चीते दिखेंगे, लेकिन इस प्रोजेक्ट के पीछे मप्र कैडर के 1961 बैच के आईएएस अफसर एमके रंजीत सिंह की 50 साल की मेहनत है। पढ़िए पूरी खबर

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