Chhattisgarh

आयुर्वेद का चमत्कार : कष्टसाध्य “गृध्रसी (साइटिका)” रोग हुआ साध्य, डॉक्टर ने कह दिया ऑपरेशन ही विकल्प, नियम और परहेज से युवक दो माह में ही हो गया चंगा

कोरबा, 09 मई। आजकल गृध्रसी (साइटिका) की समस्या एक आम बीमारी बनती जा रही है, जिससे पीड़ित लोगों को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में तो मरीजों को सर्जरी तक करवानी पड़ती है।रूमगरा बाल्को के युवक सुरेश कुमार साहू भी इसी समस्या से जूझ रहे थे और डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन की सलाह दे दी थी।

सुरेश कुमार साहू ने बताया की वो लंबे समय से गृध्रसी (साइटिका) रोग से पीड़ित थे। उनकी हालत इतनी खराब थी कि चलना, उठना और बैठना भी मुश्किल हो गया था। उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया, जिन्होंने उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी । ऑपरेशन के डर से परेशान सुरेश कुमार साहू ने अंत में आयुर्वेद पर भरोसा करने का फैसला किया। थक हारकर सुरेश कुमार साहू निहारिका स्थित श्री शिव औषधालय पहुंचे, जहां मौजूद चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने मरीज की त्रिविध परीक्षा कर उनका नाड़ी परीक्षण किया l

इसके बाद, उन्होंने आयुर्वेदिक दवाइयां, नियम और परहेज बताए। सुरेश कुमार साहू ने डॉक्टर के निर्देशों का पालन पूरी निष्ठा से किया और फिर चमत्कार हो गया। मात्र 2 महीने में ही सुरेश कुमार साहू पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। अब वे दर्द से पूरी तरह राहत पा चुके हैं। और अपना सभी कार्य चलना फिरना अपितु दौड़ने वाला कार्य भी आसानी से कर रहे हैँ। इसके लिये सुरेश कुमार साहू आयुर्वेद के इस उपचार को किसी चमत्कार से कम नहीं मानते, जहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन की नौबत बता दी थी, वहीं वे मात्र परहेज और नियमों का पालन करके 2 माह में ही पूरी तरह स्वस्थ हो गए।

सुरेश कुमार साहू का कहना है कि उन्हें आयुर्वेद पर पूरा विश्वास हो गया है और अब वे दूसरों को भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाने की सलाह देते हैं। उनका अनुभव यह साबित करता है कि आयुर्वेद में गंभीर बीमारियों का सफल इलाज संभव है। यह उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो गृध्रसी (साइटिका) जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं और ऑपरेशन से डर रहे हैं। इसके लिये उन्होंने चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि यह चमत्कार मेरा नहीं आयुर्वेद का है। आयुर्वेद जो संपूर्ण जगत के प्राणीयों के लिये हैं, जो ऋषियों एवं आचार्यो की देन है, जो शाश्वत है, नित्य है, विशुध्द और निरापद है। हम उस विधा के अनुयायी हैं, शिष्य हैं, चिकित्सक हैं। और इस पर हमें घमंड नहीं अपितु गर्व है की हम उस ऋषि परंपरा के संवाहक हैं। यह वाक्या आयुर्वेद चिकित्सा की प्रभावशीलता को दर्शाती है और यह साबित करती है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों में गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है।

आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास तेजी से बढ़ रहा है, और इस तरह की सफलताएं इसे और भी मजबूती प्रदान करती हैं। सभी लोगों को अपनी चिकित्सा के लिये प्राथमिकता के तौर पे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को पहली प्राथमिकता देकर आयुर्वेद को अपनाना चाहिए।

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