7 मिनट में बनाया नकली मावा: चंबल से मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भरपूर सप्लाई भी

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रामेंद्र परिहार/अरुण मोरे। ग्वालियर36 मिनट पहले

चंबल के कई गांवों में हर दूसरे घर में मावा बनता है। मावे की मात्रा के हिसाब से दूध का उत्पादन यहां नहीं है। फिर भी यहां से मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मावा सप्लाई होता है। इसका सच जानिए…

दिवाली पर घर पर मिठाइयां बनाने के लिए मावा खरीदने जा रहे हैं तो सतर्कता बरतें। डिमांड बढ़ने के साथ ही नकली मावे की सप्लाई भी बढ़ गई है। चंबल के मुरैना-भिंड के कई गांवों में तो लगभग हर दूसरे घर नकली मावा बन रहा है। भिंड जिले के मेहगांव के एक ऐसे ही गांव में भास्कर रिपोर्टर ने ग्राहक बनकर बात की तो भट्‌टी पर एक एजेंट ने नकली मावा बनाकर दिखा दिया।

उसने बताया कि यहां से बना यह मिलावटी मावा MP, UP और राजस्थान के कई शहरों में भेजा जाता है। ग्वालियर-चंबल अंचल का नकली मावा प्रदेश के शहरों और दूसरे राज्यों में पहुंचाने के लिए ग्वालियर ट्रांजिट पॉइंट है। उसने यह भट्‌टी से लेकर दुकानदार तक नकली मावा पहुंचाने का पूरा नेटवर्क भी बता दिया।

आधा लीटर दूध में बना दिया 300 ग्राम नकली मावा
एजेंट ने काले कारोबार के कई सारे भेद खोले। उसने बताया कि कुछ समय पहले तक वह भी नकली-मिलावटी मावा बनाता था। वह हमें एक जंगलनुमा खेत से टपरे में ले गया। वहां टीनशेड के नीचे उसने कढ़ाई में आधा लीटर दूध को खौलाकर इसमें SMP (स्किम्ड मिल्क पाउडर) और रिफाइंड ऑइल डाला। 2 मिनट तक इस मिश्रण को मध्यम आंच पर चलाया। कुल 7 मिनट में 300 ग्राम नकली मावा बन गया।

उसने बताया कि भिंड और मुरैना के कई गांव में, बल्कि हर दूसरे घर में नकली मावा बनाने की भटि्टयां जल रही हैं। ये मावा थोक में 140 से 170 रुपए किलो के भाव से बिकता है। मार्केट में यही 300 रुपए किलो बेचा जाता है। मावा तैयार होकर ग्वालियर भेजा जाता है, वहां नकली-मिलावटी मावा के बड़े सौदागर बैठे हैं। वे इस माल को मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कई शहरों मे सप्लाई करते हैं।

नकली मावा बनाने का एक तरीका यह भी…

  • मावा में घटिया किस्म का मिल्क पाउडर मिलाया जाता है। इसमें टेलकम पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स की मिलावट भी होती है।
  • नकली मावा के लिए दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी मिलाया जाता है, जिससे उसमें फैट बन जाता है।
  • कुछ लोग मावा में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, मैदा या आलू भी मिलाते हैं। मावे का वजन बढ़ाने के लिए आलू और स्टार्च मिलाया जाता है। तीनों ही तरीकों से बने मावे का लिवर और किडनी पर घातक असर पड़ता है।

पड़ताल के बाद दैनिक भास्कर की टीम संभाग की बड़ी मावा मंडी मोर बाजार पहुंची…

दलाल बोला- भिंड वाला मावा 210 रुपए किलो मिलेगा
मोर बाजार में कुछ दिन पहले ही फूड डिपार्टमेंट ने बड़ी कार्रवाई की थी। इसका असर भी यहां दिखा। जब हमने यहां दुकानदारों से नकली मावे की बात की तो वे दूसरी दुकानों पर इशारा करते हुए बोले- वहां मिल जाएगा। इतने में मार्केट में घूम रहा एक दलाल हमारे पास आया और पूछा- क्या चाहिए।

हमने उसे बताया कि 28 अक्टूबर को फलदान का कार्यक्रम है। सस्ता मावा (भिंड-मुरैना वाला) चाहिए। एजेंट बोला- मिल जाएगा बॉस, लेकिन अभी सैंपल नहीं दिखा पाऊंगा। न ही किसी दुकान पर ले जा पाऊंगा, क्योंकि एक दिन पहले ही प्रशासन ने नकली मावा के संदेह में बड़ी कार्रवाई की है। मैं आपको अपनी पहचान या मोबाइल नंबर भी नहीं दूंगा, लेकिन अभी बुकिंग कर दो तो 28 अक्टूबर को सुबह 11 बजे मोर बाजार के बाहर इसी पॉइंट पर मिल जाना, 210 रुपए किलो वाला भिंड का मावा दिला दूंगा।

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डलियों में लावारिस छोड़ देते हैं मावा
ग्वालियर, भिंड, मुरैना में खाद्य विभाग की टीमें हर साल त्योहारों पर मिलावटी और नकली मावा पकड़ती हैं। ग्वालियर, भिंड, मुरैना में हर साल रक्षाबंधन से लेकर दीपावली तक 80 से 90 कार्रवाई लगातार 3 साल से होती आ रही है। ग्वालियर में सबसे ज्यादा मावा स्टेशन और बस स्टैंड से पकड़ा जाता है। यहां पार्सल गोदाम में मावा की डलिया रखी मिलती हैं, जिसका कोई मालिक नहीं होता है। डलियों पर कुछ व्यापारियों के नाम और जगह जैसे भोपाल, इंदौर, उज्जैन जरूर लिखा होता है।

स्किम्ड पाउडर से ये नुकसान

मिल्क पाउडर में लैक्टोज मौजूद नहीं होता। इससे शरीर को एनर्जी नहीं मिलती है। मिल्क पाउडर में आर्टि‍फिशियल शुगर मिलाई जाती है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक है। स्किम्ड मिल्क पाउडर के इस्तेमाल से शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। इसमें दूध के मुकाबले कैल्शियम की मात्रा कम होती है। इसके साथ ही स्किम्ड मिल्क पाउडर को ठीक से स्टोर नहीं करने पर बैक्टीरिया पनप सकते हैं।

SDM बोले- हम लगातार मावे की सैंपलिंग कर रहे
SDM अशोक चौहान का कहना है कि ग्वालियर में भिंड से आने वाले मावे पर हम लगातार निगरानी रखते हैं। हर आने-जाने वाले मावे की सैंपलिंग करते हैं। शहर में भी चल रहीं डेयरियों से सैंपलिंग करते हैं। पिछले कुछ दिन में कई पॉइंट से मिलावटी होने के संदेह में मावा जब्त कर सैंपल लिए हैं। सैंपल भोपाल जांच के लिए भेजे हैं।

सबसे ज्यादा सैंपल ग्वालियर और मिठाई के मंडला में हुए
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2020 से अब तक मावा के सबसे ज्यादा सैंपल ग्वालियर में हुए हैं। यहां बीते दो साल में मावा के 109 नमूने लिए गए हैं। जबकि, दूध से बनी मिठाइयों के सर्वाधिक 178 नमूने मंडला में लिए गए हैं। इन नमूनों को जांच के लिए स्टेट फूड लैबोरेटरी भेजा गया है।

खाद्य विभाग की टीम ने नवंबर 2020 से सितंबर 2022 तक 37347 खाद्य पदार्थों के नमूने लिए। जांच में 18% नमूने फेल पाए गए।

खाद्य विभाग की टीम ने नवंबर 2020 से सितंबर 2022 तक 37347 खाद्य पदार्थों के नमूने लिए। जांच में 18% नमूने फेल पाए गए।

605 मिलावटखोरों पर FIR, 45 पर रासुका
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की मिलावट से मुक्ति अभियान की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में दूध, मावा, पनीर, मसाले, घी, तेल, मिठाई और दूसरे खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले 605 व्यापारियों के खिलाफ पुलिस में FIR कराई गई है। 45 व्यापारियों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई है। यह अभियान नवंबर 2011 को शुरू किया गया था, जो अब तक जारी है।

जांच में फेल हुए 18% सैंपल
रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 9 नवंबर 2020 से सितंबर 2022 तक मिलावट से मुक्ति अभियान के तहत प्रदेश के अलग – अलग शहर और गांवों से लिए गए 37347 नमूनों की जांच स्टेट फूड लैबोरेटरी में की गई। इनमें से 6479 सैंपल जांच में फेल हो गए। ये लिए गए नमूनों का 18% है।

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