श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन: मदनमोहन दास महाराज ने कहा- भक्त और भगवान का मिलन ही महारास

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टीकमगढ़6 घंटे पहले
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- सुदामा प्रसंग के साथ भागवत का समापन।
जिले के नगर परिषद जतारा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का बुधवार को समापन हुआ। कथा के अंतिम दिन निर्माेही अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और धीर समीर आश्रम वृंदावन के महंत मदनमोहन दास महाराज ने सुदामा चरित्र का सुंदर प्रसंग सुनाया। कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंडाल में मौजूद रहे।

जनकपुर में महारास की लीला सुनाई
जनकपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिन आज महंत सीताराम दास महाराज ने कंस वध और भगवान श्रीकृष्ण रूकमणि विवाह का सुंदर प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भक्त और भगवान के मिलन का नाम ही महारास है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग आदि के भक्त श्रृंगार रस के माध्यम से भगवान को प्राप्त करना चाहते हैं। वह सभी भक्त कृष्ण अवतार में गोपी भाव से पधारे और महारास के माध्यम से भगवान को प्राप्त किया।

कंस के अत्याचार से मुक्त किया
महंत सीताराम दास महाराज ने कहा कि कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राहि त्राहि करने लगी। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मारने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी।


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