कमिश्नर ने पकड़ी गड़बड़ी: ​​​​​​​थमाया इंजीनियर-ठेकेदार को नोटिस, 1 करोड़ 16 लाख के टेंडर में तय मानकों की अनदेखी

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सतनाएक घंटा पहले

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सतना शहर गड्ढे भरी सड़कों पर भ्रष्टाचार के डामर से पेच वर्क किए जाने का मामला सामने आया है। सतना स्मार्ट सिटी के खजाने से लगभग एक करोड़ 16 लाख रुपए के पेच वर्क के इस काम में गड़बड़ी की खबरों पर संज्ञान लेकर कमिश्नर नगर निगम ने मौका मुआयना के बाद इंजीनियर और ठेकेदार को नोटिस थमा कर टेंडर टर्मिनेशन और ब्लैक लिस्ट किए जाने की चेतावनी दी है।

एक करोड़ 16 लाख रुपए का टेंडर निकाला गया

स्मार्ट सिटी सतना की सड़कों पर जगह- जगह हो गए। गड्ढों की मरम्मत और पेच वर्क के काम मे ठेकेदार तेजभान सिंह की काव्या कंस्ट्रक्शन एवं इंजीनियर दीपक बागरी की मिलीभगत का खेल सामने आया है। शहर के वार्ड नंबर 1 से 45 तक की सड़कों के गड्ढे भरने के लिए एक करोड़ 16 लाख रुपए का टेंडर निकाला गया था, जिसे तेजभान सिंह की काव्या कंस्ट्रक्शन ने 16 फीसदी कम दर पर हासिल किया था। इस काम की निगरानी का जिम्मा सब इंजीनियर दीपक बागरी को सौंपा गया था। लेकिन न तो ठेकेदार ने तय मानकों के अनुरूप काम किया और न ही इंजीनियर ने गुणवत्तापूर्ण कार्य कराने के लिए ठेकेदार और उसके काम की निगरानी ही की। नतीजा ये हुआ कि काव्या कंस्ट्रक्शन ने जहां भी गड्ढे भरे वहां घटिया सामग्री का उपयोग किया जिसके कारण डामर सड़कों में उखड़ कर गिट्टी फैल गई और गड्ढे वापस नजर आने लगे।

24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया

शनिवार को नगर निगम आयुक्त राजेश शाही ने इस पर संज्ञान लिया और काव्या कंस्ट्रक्शन के काम का मुआयना किया। उन्होंने पेच उखड़वा कर देखे तो उनकी भी आंखें फटी रह गई। पेच वर्क के पहले न तो खुदाई कर मिट्टी हटाई गई थी न ही लेवलिंग-ड्रेसिंग की गई थी। डामर प्लांट का कचरा फैला कर उसके ऊपर सील कोट किया गया था। जब कमिश्नर ने अपने सामने खुदाई करा कर काम की क्वालिटी देखी तो वे हैरान रह गए। टेंडर शर्तों और एस्टीमेट के अनुसार कहीं भी काम नजर नहीं आया। कमिश्नर ने इंजीनियर दीपक बागरी और काव्या कंस्ट्रक्शन के तेजभान सिंह को नोटिस जारी किया है। दोनों से 24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया गया है।

इस तरह होना था काम

जानकारों ने बताया कि एस्टीमेट के अनुसार पेंचवर्क के लिए एक फीट गहरा और न्यूनतम डेढ़ वर्ग मीटर चौड़ाई में खुदाई करनी थी। ओवर बर्डन हटाना था, और फिर 15 सेंटीमीटर wmm वर्क करना था। इसके बाद प्राइम कोट इमल्शन लगाना था। इसके बाद 4 फीसदी डामर मिक्स से 50 से 75 mm तक डीबीएम फिर 6 फीसदी डामर मिक्स से बीसी कोट करना था। इस सब के बाद सील कोट किया जाना था। लेकिन काव्या कंस्ट्रक्शन ने डामर प्लांट का कचरा गड्ढों में डालकर सीधे सीलकोट कर दिया।

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