ओल्ड जीडीसी: हम कुछ नया करने या अच्छा पढ़ने से संतुष्ट हुए ताे रचनात्मकता खत्म होगी

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उज्जैनएक घंटा पहले

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ओल्ड जीडीसी में हिंदी कार्यशाला, लेखक व कला समीक्षक ने रखे विचार। - Dainik Bhaskar

ओल्ड जीडीसी में हिंदी कार्यशाला, लेखक व कला समीक्षक ने रखे विचार।

माता जीजाबाई शासकीय पीजी गर्ल्स कॉलेज में बुधवार काे सात दिनी हिंदी कार्यशाला शुरू हुई। इसमें लेखक व कला समीक्षक चिन्मय मिश्र ने कहा कि रचनात्मकता अपने परिवेश को देखने से आती है। अगर हम कुछ नया करने या अच्छा पढ़ने से संतुष्ट हाे गए ताे रचनात्मकता खत्म हो जाएगी।

कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा ‘रचनात्मक लेखन और उसके विविध आयाम विषय पर आयाेजित इस कार्यशाला में अलग-अलग रचनाकारों और शिक्षाविदों ने बात रखी। दरअसल ओल्ड जीडीसी सहित शहर के लगभग सभी सरकारी कॉलेजाें में 90% छात्राें का मीडियम हिंदी है, लेकिन उनकी हिंदी के शब्दाें पर कम हाेती पकड़ और मात्राओं की गलती से लेकर लेखन में रचनात्मकता लगातार कम हाे रही है। उसी को बढ़ाने और हिंदी काे मजबूत बनाने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है।

शब्दों से पहचान रचनात्मक लेखन के लिए जरूरी आयाम

कार्याशाला में साहित्यकार अमिता नीरव ने कहा कि भाषा की सरलता, सहजता और पाठक तक पहुंच हमेशा रचनात्मक लेखन का सबसे जरूरी हिस्सा रहा है। मप्र लाेक सेवा आयाेग की अपर परीक्षा नियंत्रक सपना शिवाले सोलंकी ने कहा कि रचनात्मक लेखन का सीधा संबंध पढ़ने की आदत से है।

ज्ञान में निरंतर वृद्धि और नए शब्दों से पहचान रचनात्मक लेखन के जरूरी आयाम हैं। कॉलेज में हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ. वंदना अग्निहोत्री ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रभारी प्राचार्य डॉ. श्री द्विवेदी ने कहा कॉलेज का यह विभाग हिंदी के विस्तार काे लेकर लगातार काम कर रहा। कार्यशाला में डॉ. जयश्री भटनागर, डॉ. प्रतिभा सोलंकी, डॉ. शबनम खान, प्रो. शोभना व्यास एवं गंगाराम डुडवे भी माैजूद थे।

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