ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर: 21 नए प्लांट्स बने, 4000 बेड बढ़ाए तो कबाड़ हो गए, 3 करोड़ के 295 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर

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- 21 New Plants Were Built, If 4000 Beds Were Increased, Then They Became Junk, 295 Oxygen Concentrators Worth 3 Crores
भोपालएक घंटा पहलेलेखक: विवेक राजपूत
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जेपी को 45 और हमीदिया अस्पताल को 250 से ज्यादा कंसन्ट्रेटर दिए थे
कोरोनाकाल में मरीजों को प्राण वायु देने वाले ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर अब अस्पतालों में पड़े धूल खा रहे हैं। आलम यह है कि करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए इन कंसन्ट्रेटर का क्या उपयोग किया जाए, जिम्मेदारों को भी यह समझ नहीं आ रहा है। यही वजह है कि कहीं इन्हें कबाड़ में डाल दिया है तो कहीं इनकी पैकिंग ही नहीं खोली गई। दरअसल, कोरोनाकाल में खासकर कोरोना की दूसरी लहर (अप्रैल-मई 2021) में जब मरीज बढ़े तो इसमें अधिकांश को सांस लेने में दिक्कत हुई।
इस कारण अस्पतालों में मरीजों के लिए ना सिर्फ ऑक्सीजन बेड कम पड़ गए, बल्कि ऑक्सीजन की सप्लाई व्यवस्था भी बुरी तरह चरमा गई थी। इस स्थिति से दहशत में आए स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में ना सिर्फ भारी तादाद में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर खरीदे बल्कि, सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट भी बनवाए। राहत की बात है कि कोरोना का संक्रमण काबू हो चुका है। यही वजह है कि अब न तो ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपयोग में आ रहे हैं और ना ऑक्सीजन प्लांट से ही ऑक्सीजन ली जा रही है।
जेपी में सामान के नीचे, हमीदिया में स्टोर में कंसन्ट्रेटर
जेपी अस्पताल को 45 कंसन्ट्रेटर मिले थे। वहां इनका उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में 30 से ज्यादा कंसन्ट्रेटर स्टोर में, जबकि 7 आईसीयू में रखे हैं। हमीदिया में 250 से ज्यादा कंसन्ट्रेटर दिए गए थे। 150 अलग-अलग वार्डों में दिए गए, जो वहीं जहां-तहां रखे हैं। जबकि, करीब 100 खोले भी नहीं गए हैं।
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न वार्डों में, न ग्रामीण क्षेत्र की संस्थाओं में उपयोगी
मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीण इलाकों की सभी संस्थाओं को कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराए हैं। वहां उनका ही उपयोग नहीं हो रहा है। कभी-कभी कोई गंभीर मरीज पहुंचता है तो एक से ही काम चल जाता है। बड़े अस्पताल जैसे जेपी व हमीदिया इनके वार्डों भी इनका उपयोग नहीं हो रहा है।
20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन रोज जरूरी, क्षमता 300
अभी शहर के सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में रोज 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत होती है। कोरोना से पहले रोज 15 मीट्रिक टन की खपत थी। शहर के सरकारी अस्पतालों में 12 व गैर सरकारी में 9 नए ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए। ऐसे में जो क्षमता 100 मीट्रिक टन थी वह 300 मीट्रिक टन से भी ज्यादा हो गई है।
2500 से बढ़कर 6500 हुए ऑक्सीजन बेड
कोरोना से पहले शहर में ऑक्सीजन बेड की संख्या 2500 के करीब थी। सरकारी अस्पतालों में 750 से ज्यादा ऑक्सीजन बेड उपलब्ध थे। दूसरी लहर में गंभीर मरीज बढ़े तो सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की संख्या 6500 तक की गई। ऐसे में अब ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की जरूरत ही नहीं पड़ रही है।
कोरोना की गंभीर स्थिति और तीसरी लहर के लिए जारी अलर्ट की स्थिति को देखते हुए ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और ऑक्सीजन प्लांट की संख्या बढ़ाई गई थी। इस दौरान शहरी से लेकर सभी ग्रामीण स्वास्थ्य संस्थाओं को जरूरत के मुताबिक एक-दो कंसन्ट्रेटर दिए गए हैं। संस्थाओं में इनका उपयोग किया भी जा रहा है।
-डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ
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