कबाड़खाने में बापू की प्रतिमा: 25 साल से धूल खा रही महात्मा गांधी की प्रतिमा,खराब हुई तो कूड़े में फेंका

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- Mahatma Gandhi’s Statue Has Been Eating Dust For 25 Years, If It Gets Damaged, Then Thrown In The Garbage
बैतूल8 घंटे पहले
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जिनकी जयंती पर पूरा देश प्रतिमाओं,तस्वीरों के आगे नतमस्तक होकर श्रद्धा जताता है। राष्ट्रपिता कहलाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी,बापू की एक मूर्ति कूड़ेदान में पड़ी हुई है। इससे गांधीवादी नेताओ में नाराजगी है। मामला समीपस्थ ग्राम पंचायत खेड़ी सांवलीगढ़ का है।
खेड़ी के गांधी चौक पर वर्षो पूर्व सीमेंट कांक्रीट से निर्मित महात्मा गांधी की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई थी। रखरखाव के अभाव में जीर्ण शीर्ण हो गई इस प्रतिमा को स्थानीय पंचायत ने कूड़े दान में डाल दिया। समाजसेवी मनोहर अग्रवाल के मुताबिक चार फुट ऊंची इस प्रतिमा के रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायत की थी।लेकिन पंचायत ने इसका रखरखाव करने के बजाय उसे हटा दिया। यहां तक की जीर्ण शीर्ण प्रतिमा के स्थान पर कोई दूसरी प्रतिमा भी स्थापित नही की गई। बीते 25 साल से यह प्रतिमा कबाड़ में पड़ी हुई है। उन्होंने बताया की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कई बार पंचायत से प्रतिमा को स्थापित किए जाने की गुहार लगाई लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
खेड़ी आए थे बापू
जिला मुख्यालय के समीप बसे ग्राम खेडीसावलीगढ़ का इतिहास है कि यहां सन 1940 में राष्ट्र पिता महात्मा गांधी आए थे । जिन्होंने खेडीसावलीगढ़ निवासी गाँधीवादी गोविन्द राव सूबेदार के साथ ताप्ती नदी के तट बारालिंग की यात्रा की थी। उन्होंने बारालिंग में मीराबेन से मुलाकात की और ठेस्का गांव में नेहरुलाल पारधे ने महात्मा गांधी को तुलसी का पौधा भेंट किया था।
उसके बाद यात्रा से वापस खेडी आने पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रत्नगिरि गोस्वामी ने उनका स्वागत किया था।। बिरदीचंद गोठी खेड़ी आए। उन्हीं के साथ बापू बैतूल लौटे। उसी स्थल को सेनानियों ने गांधी चौक नामकरण कर दिया था। महात्मा गांधी की उसी स्थल पर चबूतरा बनाकर प्रतिमा लगाई गई थी।
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