एनजीटी और कलेक्टर ने लगा रखी है रोक: किसान जला रहे पराली, मिट्टी की उर्वरा शक्ति हो रही कम

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दीवानगंज36 मिनट पहले
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इस तरह किसान खेतों में पराली जला रहे हैं। इससे प्रदूषण फैल रहा है।
धान कटाई के बाद किसान पराली को जलाने में लगे हुए हैं, जबकि एनजीटी और कलेक्टर ने पराली जलाने पर रोक लगा रखी है । इसका असर किसानों पर दिखाई नहीं दे रहा है। यही वजह है कि किसान बेफिक्री के साथ धान कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जला रहे हैं , जबकि इन अवशेषों से खाद बनाई जा सकती है जिसका फायदा किसान ले सकते हैं।
किसान खाद बनाने की जगह उन्हें जला रहे हैं, जिससे जहां प्रदूषण फैल रहा है, वहीं खेतों की उर्वरक क्षमता कम हो रही है। पिछले कुछ सालों में प्रदेश में धान की फसल को पकने के बाद हाथों से न काटकर मशीन के जरिए काटा जा रहा है। यह मशीन धान की फसल को एक से डेढ़ फीट ऊपर से काटती है।
इससे खेत में काफी मात्रा में ठूंठ बच जाता है, जबकि जो किसान हाथ से फसल की कटाई करते हैं उनके खेतों में यह समस्या नहीं आती है। मशीन से कटाई करने वाले किसान खेत से ठूंठ को हटाने के लिए पहले उसके ऊपर पराली को डालते हैं और फिर आग लगा देते हैं। इससे खेत की उर्वरा शक्ति छीड़ होने के साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।
पराली के सही निस्तारण के लिए इंदिरागांधी विश्वविद्यालय सहित कृषि विभाग ने नए-नए प्रयोग किए हैं, लेकिन किसानों में जागरूकता न होने के चलते वह आज भी खेतों में आग लगाना अधिक आसान समझते हैं।
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