Chhattisgarh

हमारे ग्रह को यूवी से ढाल की तरह सुरक्षा देता है ओजोन


0 विश्व ओजोन संरक्षण दिवस पर केएन कॉलेज में छात्र-छात्राओं को किया गया जागरुक

कोरबा। हर सेल ओजोन लेयर के प्रति जागरूक करने के लिए एक थीम जारी की जाती है। विश्व ओजोन दिवस-2022 थीम इस साल की थीम ग्लोबल को-आॅपरेशन प्रोटेक्टिंग लाइफ आॅन अर्थ(पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाला वैश्विक सहयोग) थीम रखी गई है। कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर की अध्यक्षता में जंतु विज्ञान विभाग द्वारा विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर आॅफलाइन व आॅनलाइन मोड में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे विश्वास राव मेश्राम (संयुक्त संचालक) छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक अकादमी निमोरा ने कहा कि ओजोन लेयर हमारे ग्रह को घातक यूवी किरणों से एक ढाल की तरह सुरक्षा प्रदान करता है, जिसके संरक्षण के लिए हमें स्वयं जागरुक होकर उपाय अपनाने होंगे।

महाविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ फहराना अली (प्राचार्य शासकीय हाईस्कूल स्याहीमुड़ी एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा कोरबा इकाई के उपाध्यक्ष) एवं दिनेश कुमार छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा इकाई कोरबा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पी पी टी के माध्यम से निधि सिह (सहायक प्राध्यापक जन्तु विज्ञान ) ने छात्र छात्राओं को ओजोन परत से सम्बन्धित जानकारी दी।
मुख्य अतिथि श्री मेश्राम द्वारा छात्रों को बताया गया की अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस, प्रत्येक वर्ष 16 सितंबर को मनाया जाता है, सभी देशों को हमारी ओजोन परत को संरक्षित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करता है। ओजोन हमारे ग्रह के लिए एक प्रकार की ढाल के रूप में कार्य करता है और यह पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के द्वारा बेहतर दुनिया निसंदेह संभव है उन्होंने सभी को पौधे लगाने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने का संदेश दिया। डॉ फहराना अली द्वारा ओजोन परत के महत्व पर कहा कि यह समताप मंडल की परत है, जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण के हानिकारक दुष्प्रभावों से पृथ्वी की रक्षा करती है। यदि ओजोन परत पूरी तरह से समाप्त हो जाती है तो यह जीवित प्राणियों और हमारे ग्रह को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी। अगर हम यूवी किरणों के सीधे संपर्क में आते हैं, तो यह त्वचा कैंसर जैसी हानिकारक बीमारियों का कारण बन सकती है। दिनेश कुमार ने बताया कि ओजोन का रासायनिक नाम ओ-3 है। यह आॅक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना है। इसका रंग हल्का नीला होता है। ओजोन अगर पृथ्वी के वायुमंडल के पास होता तो इसका ग्रीनहाउस प्रभाव जीवन के लिए काफी खतरनाक हो जाता। ग्लोबल वार्मिंग और अन्य तरह की समस्याएं होती। ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक यूवी रेडिएशन या सोलर रेडिएसन के प्रभाव को कम करती है और पृथ्वी तक आने से रोकती है। अगर इन रेडिएशन को धरती तक आने से ओजोन परत न रोके तो ये यहां पहुंचकर कई तरह से नुकसान पहुंचाएंगी। अगर ओजोन परत न हो तो इंसान और जानवर दोनों का इम्यून सिस्टम खराब हो जाएगा। इससे महासागरों में फाइटोप्लांकटन उत्पादकता में भी प्रभाव पड़ेगा। ओजोन परत में छेद होने के कारण ओडीएस यानी ओजोन-क्षयकारी पदार्थ है। यह हेलोकार्बन रेफ्रिजरेंट, सॉल्वैंट्स, प्रोपेलेंट और फोम-ब्लोइंग एजेंट से बना हुआ रसायन है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन एचसीएफसी भी ओडीएस के ही उदाहरण हैं।
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नहीं तो जीव-जगत के लिए कल घातक परिणाम: डॉ बोपापुरकर
कमला नेहरू कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने छात्र छात्राओं को पर्यावरण संरक्षण एवं ओजोन परत के संरक्षण हेतु कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने कहा कि अगर आज से अपने दायित्व को निभाते हुए व्यापक प्रयास शुरू न किए तो ओजन की सुरक्षा कमजोर होती जाएगी और आने वाले समय में यह हमारे जीव-जगत के लिए घातक परिणाम का कारण बन सकता है। कालेज के सहायक प्राध्यापक श्रीमती दुर्गा चंद्राकर (अंग्रेजी विभाग) श्रीमती कुमकुम गुलहरे (हिन्दी विभाग), रेखा शर्मा (वनस्पति विज्ञान विभाग ) एवं भुवनेश्वरी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया। कार्यक्रम के अंत में वेदव्रत उपाध्याय सहायक प्राध्यापक जंतु विज्ञान विभाग द्वारा आभार ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती निधि सिंह ने किया।

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