एक चौका-चूल्हा अभियान: बहू-बेटे से दूर बुजुर्गों की कराएंगे घर वापसी, आनंदमार्ग की स्थानीय इकाई पहले चरण में भेल से शुरू करेगी अभियान

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भोपालएक घंटा पहलेलेखक: राजेश चंचल
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आनंदमार्ग की स्थानीय इकाई द्वारा राजधानी में एक चौका-चूल्हा अभियान शुरू किया जा रहा है।
आनंदमार्ग की स्थानीय इकाई द्वारा राजधानी में एक चौका-चूल्हा अभियान शुरू किया जा रहा है। अभियान में शामिल सदस्य ऐसे लोगों को जो वृद्ध माता-पिता से अलग रह रहे हैं, उन्हें उनके साथ रहने के लिए प्रेरित करेगा। उनमें जो भी अनबन चल रही होगी और अलग रहने के जो कारण होंगे, काउंसलिंग के जरिए उन्हें भी हल कराया जाएगा। टीम में कई समाजसेवी, शिक्षक और मनोचिकित्सक आदि को शामिल किया जाएगा।
अभियान और संस्था की इकाई प्रमुख आचार्य धीरजानंद अवधूत का कहना है कि आधुनिक जीवनशैली और पश्चिमी सभ्यता के वशीभूत कई संयुक्त परिवार टूट चुके हैं, जिन्हें फिर से जोड़ने की दिशा में यह अभियान शुरू करने जा रहे हैं। पहले चरण की शुरुआत भेल, आनंद नगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से की जाएगी। उनका कहना है कि जो लोग माता-पिता से अलग रह रहे हैं, समझों वह परमात्मा से भी दूर हैं। माता-पिता की सेवा ही ईश्वर सेवा है।

परिवारों के बिखरने से बढ़े अपराध
समाज में बुराइयां व अपराध बढ़ने का कारण परिवारों को बिखरना है। पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित युवा पीढ़ी भारतीय संस्कारों की जानकारी के अभाव में भटक रही है। इसका नतीजा परिवार टूट रहे हैं।
आचार्य अवधूत ने कहा- संयुक्त परिवार में ही सच्चा सुख
संयुक्त परिवार में जो सुख है, वह कहीं और नहीं मिल सकता। आचार्य अवधूत का कहना है कि एकल परिवार में रह रहे बच्चों को न तो सही मार्गदर्शन मिलता है, न लाड़-प्यार न अच्छे संस्कार। हमेशा संयुक्त परिवार में रहकर ही बच्चे संस्कारवान बनते है।
एकल परिवार में विसंगतियां एकल परिवार में तीज-त्योहार हों, जन्मदिन या सालगिरह सबकुछ फीका रहता है। बड़ी बात यह है कि ऐसी स्थिति में वृद्ध माता-पिता बीमार हो तो उनकी देखभाल न होने पर वे टूट जाते है। ऐसी स्थिति में सामाजिक विसंगतियां बढ़ती हैं।
सदस्य तैयार कर रहे सूची-एक चौका-चूल्हा मुहिम के तहत संघ के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में एेसे लोगों की सूची तैयार कर रहे हैं। अभी ऐसे 5 परिवारों का पता चला है। जैसे-जैसे जानकारी मिलेगी, उन परिवारों तक पहुंचना शुरू कर देंगे। इसके लिए 50 सदस्यों की टीम बनाई गई है। इनमें 5 महिलाएं भी हैं।
मतभेद दूर कराकर देंगे समझाइश
आचार्यश्री ने बताया कि पहले बेटों, उनकी पत्नी से पता करेंगे कि वह माता-पिता से अलग क्यों रह रहे हैं? फिर उनके माता-पिता से मिलेंगे। अलग होने के कारणों का समाधान निकालकर उन्हें फिर से साथ रहने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्हें बताएंगे कि संयुक्त परिवार के वर्तमान से लेकर भविष्य तक में होने वाले क्या फायदे हैं। एकल परिवार के कितने बड़े नुकसान है, उन्हें यह भी बताया जाएगा।
एकल परिवार में रहने से ये होते हैं नुकसान
- कठिन परिस्थितियों में बुजुर्गों का मार्गदर्शन और सहारे से वंचित रहना पड़ता है।
- कई बार बच्चे भी कुसंगति का शिकार होकर अपराध करने लगते हैं।
- बुजुर्गों का साथ नहीं मिलने से जीवनशैली अस्त-व्यस्त हो जाती है।
- माता-पिता से भी परिवार की पहचान होती है, जो अकेले रहने पर खत्म हो जाती है।
- बाहर यात्रा पर जाने पर सूना घर असुरक्षित हो जाता है।
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