एक्सपर्ट बोले- व्यापमं के पेपर हैक करना टफ नहीं: रिमोट कंट्रोल के कारण संभव; पुलिस ने सागर-ग्वालियर से कम्प्यूटर जब्त किए

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भोपालएक घंटा पहलेलेखक: अनूप दुबे
JEE मेंस 2021 के ऑनलाइन एग्जाम में गड़बड़ी मामले में एक दिन पहले CBI ने रूस के हैकर्स को पकड़ा है। इसी तरह मध्यप्रदेश में MP-TET के पेपर के स्क्रीनशॉट वायरल होने के मामले में एक्सपर्ट का कहना है कि व्यापमं के पेपर को हैक करना मुश्किल नहीं है। एग्जाम ऑनलाइन होने के कारण इसे रिमोट से चलाया जाता है। हैकर के लिए इसे हैक करना टफ नहीं है।
भोपाल की एमपी नगर पुलिस ने दो महीने पहले दर्ज मामले में जांच के घेरे में आए मंत्री के सागर स्थित कॉलेज और ग्वालियर के कॉलेज से कम्प्यूटर जब्त किए हैं। पीईबी के तीन अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की है। पूछताछ के बाद पीईबी की टेक्निकल टीम अब पुलिस के साथ जांच में शामिल हुई है। यह टीम टेक्निकल खामी की जांच कर रही है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-3 के पर्चे सोशल मीडिया पर वायरल हुए। सवाल उठे- जब इतनी गोपनीयता और सख्त चेकिंग थी, तो ऐसा कैसे हुआ? किसी ने इसे व्यापमं-3 कहा, तो किसी ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। मुख्यमंत्री सचिवालय के उपसचिव लक्ष्मण सिंह पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा और व्हिसिल ब्लोअर आनंद राय के खिलाफ FIR भी हो गई।
साइबर एक्सपर्ट शोभित चतुर्वेदी से जानते हैं कि आखिर इसे हैक करना कैसे संभव है…
ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए होता है खेल
हर सेंटर पर कम्प्यूटर पर पहले से ही ओएस (ऑपरेटिंग सिस्टम) अपलोड किया जाता है। इसमें पेन ड्राइव आदि नहीं लगती है। इसे रिमोट से ऑपरेटर किया जाता है। अब इसमें समस्या यहां से खड़ी होती है, जब इसे बॉट से चलाया जाता है। यह ऑटोमैटिक प्रोग्राम है, जो इंटरनेट पर चलता है। कुछ बॉट ऑटोमैटिक रूप से चलते हैं, जबकि अन्य केवल विशिष्ट इनपुट प्राप्त होने पर कमांड करते हैं।
कई अलग-अलग प्रकार के बॉट हैं, लेकिन कुछ सामान्य उदाहरणों में वेब क्रॉलर, चैट रूम बॉट और मैलक्विसियस बॉट शामिल हैं। यह बहुत टेक्निकल है। यह करना इतना आसान नहीं है, लेकिन किसी टेक्निकल के लिए यह टफ जॉब नहीं है। प्रोफेशनल को रोकने के लिए आईटी एक्सपर्ट की टीम को काम करना जरूरी होता है। इसके लिए कमजोर कड़ी को खोजना जरूरी है। यह टेक्निकल पार्ट्स और मानवीय रूप में भी हो सकती है।

क्या होता है बॉट?
कम्प्यूटर की भाषा में बॉट (Bot) एक स्वचालित कम्प्यूटर प्रोग्राम को कहा जाता है, जो ज्यादातर बार-बार दोहराने वाले कार्यों को करता है। इसके कई प्रकार हो सकते हैं। जैसे- चैटबॉट, इंटरनेट बॉट, सोशल बॉट, वीडियो गेट बॉट और अन्य प्रोग्राम। इन्हें इंटरनेट रोबोट, स्पाइडर्स, क्रॉलर, वेब बॉट आदि के नाम से भी जाना जाता है। इंटरनेट टेक्नोलॉजी में हर तरफ बॉट पाए जाते हैं। यह कम्प्यूटर पर कंट्रोल करने, यूजर अकाउंट को तोड़ने, कॉन्टैक्ट ढूंढने के लिए स्कैन, स्पैम भेजने और ऐसी ही अन्य तरह से उपयोग किया जाता है।
स्क्रीनशॉट लेना मुश्किल नहीं
स्क्रीनशॉट को सिस्टम से भी लिया जा सकता है। किसी भी सिस्टम से शेयर किया जा सकता है। इसे शेयर करने के कई तरीके हैं। यह अलग तरीका होता है, लेकिन उस सिस्टम में पेन ड्राइव नहीं लगती है। इसमें कोई भी चीज डाउनलोड नहीं होता है। यह इंटरनेट पर चलता है। अगर किसी सिस्टम से निकाले गए हैं, तो उसमें कोई न कोई कमी है। इसका मतलब जांच में उसे छोड़ा जा रहा है।
छेड़छाड़ की जानकारी तुरंत क्यों नहीं पकड़ जाती?
छेड़छाड़ की अधिकांश मामले में पता चलता है। ऐसे में इसकी स्क्रीन चार से पांच होती है। सबसे पहले कंपनी अपने स्तर पर इसकी जांच करती है। इसके बाद वह उसकी रिपोर्ट तैयार करती है। इसके बाद से जांच एजेंसी को जांच के लिए दिया जाता है। जांच एजेंसी इसमें फॉरेंसिक एक्सपर्ट समेत अन्य तरह से इसकी जांच करती है। उसके बाद ही इसका खुलासा किया जाता है। यही जेईई मेंस परीक्षा 2021 में हुआ।
कई सेंटर पर गड़बड़ी संभव
रिमोर्टली एक्सिस करने से यह एक सेंटर से लेकर एक साथ कई सेंटर में गड़बड़ी करना संभव है। अगर इसमें टेक्निकल के साथ ही मानवीय कमजोरी ज्यादा हैं, तो इसे हैक करने की बहुत ज्यादा संभावना है। यह कोई मुश्किल कम है। अगर आईटी एक्सपर्ट रहें, तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है। सेंटर से ही वायरस होने के कारण हैक करना संभव है।

साढ़े 9 लाख नौजवानों के भविष्य का सवाल
जिस एडुक्विटी कंपनी को एग्जाम कराने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है, उसने कमीशन लेकर साईं एजुकेयर को अपना काम दे दिया। इसमें करीब साढ़े 9 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (डीजीटी) ने एडुक्विटी कॅरियर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरू को ऑनलाइन एग्जाम के लिए अपात्र घोषित किया है। डीजीटी ने इसकी एक रिपोर्ट भी जारी की थी। इसमें देश की चार कंपनियों को कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट के लिए अपात्र घोषित किया गया था। इल सबकी अनदेखी करते हुए पीईबी ने उसे ठेका दे दिया।
वर्क ऑर्डर में रखी गई शर्तों को किया दरकिनार
बेंगलुरू की कंपनी एडुक्विटी को PEB ने ऑनलाइन परीक्षा कराने का काम सशर्त सौंपा है। पीईबी ने एजेंसी को परीक्षा के लिए एग्जाम सेंटर से बुकिंग लेकर परीक्षा कराने तक का काम खुद ही करने की शर्त रखी है, लेकिन एडुक्विटी ने वर्क ऑर्डर की शर्तों को दरकिनार कर काम राजस्थान के जयपुर से संचालित साईं एजुकेयर को दे दिया। अब परीक्षाओं के लिए एग्जाम सेंटर बुक करने से लेकर परीक्षा कराने तक का काम साईं एजुकेयर कर रही है। दोनों कंपनियां बीते पांच महीने से लगातार काम कर रही हैं। इसके बावजूद PEB चेयरमैन और परीक्षा नियंत्रक ने मामले में एग्जाम सेंटर बुकिंग और एग्जाम प्रोसेस की जांच नहीं कराई है।
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