रूला देगी इंदौर डिजाइनर की दर्दनाक आपबीती: क्यों मर रही हूं, ये ढाई हजार शब्दों में लिखा, पढ़िए शब्दश:

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इंदौर15 मिनट पहलेलेखक: कपिल राठौर

इंदौर की इंटीरियर डिजाइन करुणा शर्मा ने मंगलवार की शाम को अपने ही दुपट्‌टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। वह लेनदारों के तकादे से तंग हो चुकी थी। उसे पति उत्तम शर्मा भिलाई से लगातार कॉल कर रहे थे। पर करुणा ने फोन नहीं उठाया। करुणा घर पर है या नहीं देखने के लिए उत्तम ने अपने मोबाइल पर सीसीटीवी का एक्सेस लिया। जैसे ही सीसीटीवी दिखा करुणा को फंदे पर लटके देखा। उत्तम ने तत्काल पड़ोसी को फोन लगाया और घर भेजा। पड़ोसी ने दरवाजा तोड़कर देखा तो करुणा दम तोड़ चुकी थी। मौत से पहले करुणा ने 12 पेज का सुसाइड नोट लिखा। इस सुसाइड नोट में अक्टूबर 2021 से अब तक का पूरा दर्द और पैसा बनाने की कहानी लिखी है। दैनिक भास्कर में सबसे पहले शब्दश: पढ़िए पूरे 12 पेज का सुसाइड नोट।

सुसाइड नोट पूरा पढ़ने से ये जान लीजिए कि करुणा ने अपने मायके पक्ष के लोगों के बारे में क्या इमोशनल पोस्ट लिखी। बीकानेर की रहने वाली करुणा ने वहीं की टूटी-फूटी मारवाड़ी भाषा में आखिरी के दो पन्नों में जिक्र किया है।

टू फेमेली,

आईएम सॉरी मां जी, गुड्‌डू सॉरी, चंचल सॉरी, सॉरी सॉरी, आई लव यू ऑल, बट सॉरी।

सोनू प्लीज खुद का और कन्नू का ध्यान रखना। उसे बोलना मैं बहुत प्यार करती हूं। और सॉरी थारो जीवन खराब करने खातिर!

दु:ख इतनो है कि सब कुछ छोड़कर जानो पड़ रयो है। मैं जानो कोनी चाउं पर अब रूक भी कोनी पांउं।

सॉरी मेरी एक की वजह से थार सब रो जीवन खराब हो ग्यो। मरने के बाद मेरी शक्ल कोई मत देख्या या ई लायक बिल्कुल भी नी। अब और कोनी हिम्मत लड़ने की तो मर री हूं। प्लीज सब हो सके तो माफ कर देना। साल भर हो गया झुलता, तीन महीना होग्या यार। मैं ढंग से कुछ कोनी कर पाई। मिस कर रही हूं, सब ने। ना कोई से बात कर पा रही ना देखी पा रही। आज मेरी खुद की बेटी तक से बात कोनी बात कर पा री इससे ज्यादा और को नी देख्यो मुझे कोनी झेल्यो जावे अब।

आई लव यू ऑल गुड बाय!!!

हो सके तो सब मने माफ कर दिया। यो मान लिया कि मैं कभी थारी जिंदगी में थी ही कोनी। आई लव यू ऑल!!!

सुसाइड नोट का वह आखिरी पन्ना जिसमें करुणा ने अपने परिवार के बारे में लिखा।

सुसाइड नोट का वह आखिरी पन्ना जिसमें करुणा ने अपने परिवार के बारे में लिखा।

अब शब्दश: पढ़िए करुणा के 12 पेज में लिखा सुसाइड नोट

‘मेरी आप बीती ऐसे दोस्त हो तो दुश्मनो की क्या औकात जो बिगाड़ना है यह दोस्त ही बिगाड़ेंगे’

मैं मरना नहीं चाहती जीना चाहती थी। बहुत सारे काम करने थे मुझे। और मम्मी-पापा के जाने के बाद घर में सबसे बड़ी मैं थी। सब सीखा मैंने। सब किया मैंने। पर मेरी मां पागल हो गई थी। तीन छोटे भाई बहन थे। उन्हें भी संभाला, खुद भी संभली। पढ़ाई पूरी की 12वीं के बाद इंदौर आई। क्योंकि मामाजी ने बोला था यहां आना। मामी और मेरी खटपट हुई पर पढ़ाई नहीं रोकी।

ये है सुसाइड नोट के पहले दो पेज।

ये है सुसाइड नोट के पहले दो पेज।

काम करना चालू किया। जो काम मिला किया। धीरे-धीरे घर खरीदा, जो मेरा सपना था। और मेरी बेटी हुई, उसमें व्यस्त हो गई। वापस काम करने का सोचा तो मोना शर्मा मिली। उसके साथ खूब मेहनत की। कन्नू को घर पर छोड़कर रात दो-दो बजे तक काम किया।

फिर मोना ने बताया कि फंड नाम की कोई चीज होती है। रुपए डालो बढ़ेंगे। मुझे समझ नहीं थी। लेकिन विश्वास करती थी इसलिए पैसा लगा लिया। जब भी फंड उठाने की बारी आती कोई ना कोई एक्जीबिशन आ जाता। वो रुपए उसी सामान के लिये उसी के पास चला जाता। मैंने कभी हिसाब नहीं मांगा। मैं बहुत मेहनत करती रही। ऐसा करते हुए दो साल से ज्यादा का समय हो गया।

फिर आया 2020 का कोराना का काल। तब तक मार्केट में मेरा चेहरा और मेरा नाम पैसे के साथ जुड़ने लगा। क्योंकि बहुत ही ज्यादा लोगों से मेरी जान पहचान होती रही। सारे फंड मोना ही मेरे नाम पर डालने लग गई। और मैं भयंकर खुश कि मेरा नाम हो रहा है। जब पैसा कलेक्शन के लिये आता तो मोना दी के पास आता था। और उन्हें जब वापस देना होता था तो पैसा हिसाब में काट दिया जाता था। और सारे लोगों को मेरी जेब से दिया जाता था। आज तक मुझे समझ में नहीं आया। क्या हिसाब-किताब था क्योंकि विश्वास था उसके कारण किसी से पूछा ही नहीं। पूछते भी कैसे उनके पास कभी टाइम ही नहीं रहता था।

सुसाइड नोट... क्रमश:

सुसाइड नोट… क्रमश:

हमेशा जल्दी में रहते और मेरे नाम से फंड डालने लगे। उनसे पूछती आप क्यों नहीं डालते फंड तो कहते मेरे घर पर पसंद नहीं है। पति और सास को पता चला तो मार डालेंगे, वैसे भी बहुत मारते हैं। मैंने भी फेमेली प्राब्लम समझकर इग्नोर कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें प्रमिला आत्रिवाल से मिलवाया। वो बहुत बड़े-बड़े फंड चलाया करती थी। मेरा ठीक ठाक चल रहा था क्योंकि थोड़ा बहुत कमाया मैंने भी था। मोना दी और प्रमिला आत्रीवाल दोनों मेरे नाम से फंड डालने लगी। और कहीं ब्याज पर पैसा भी उठाना होता तो वह भी मेरे नाम से उठाने लगी। मुझे वो कुछ गलत नहीं लगा। क्योंकि तब तक ये लोग मुझसे पैसा उगा ही उगा कर दे रहे थे। मेरा भी खर्चा चल रहा था।

सुसाइड नोट... क्रमश:

सुसाइड नोट… क्रमश:

हां तो बात बता रही थी 2020 की। कोराना आया लोगों का पैसा रूका। मेरा पैसा ना प्रमिला ने दिया और ना ही मोना ने। ना किसी और ने। पर मैंने जिस-जिस से लिया

इसी बीच सामने आया कि मोना दी ने कहा कि तेरी बिल्ड़िंग में भी तो लोग हैं। तू उनसे कलेक्ट क्यों नहीं करती। पड़ोसियों से फंड क्यों नहीं डलवाती। मैंने उन बेचारों से भी फंड डलवा दिया। फिर पता चला कि मोना दी को प्रमिला आत्रिवाल को पैसा देना है। तो प्रमिला वह पैसा मेरे से ही काटेगी। उसी बीच फरवरी 2020 में मैंने कृष्णा सोनी को अपने 50 प्रतिशत फंड ट्रासंफर कर दिए। उन्होंने कहा तू ट्रांसफर मत कर। प्रमिला तुझे या मुझे पेमेंट ना भी करे। तो मेरी जिम्मेदारी है तुझे पैसा देने की। ठीक है मैंने बात मान ली। क्योंकि यह काम ही जुबान का था। कोरोना में भी कुछ लोगों के छोटे-मोटे फंड खुद से ही दे दिया करती थी।

मुझे क्या पता था मेरा ही पैसा कभी वापस नहीं मिलेगा। मोना की वजह से प्रमिला ने पहले थोड़े पैसे रोकना शुरू किए। फिर जुलाई 2021 में उन्होंने मेरा पैसा मुझे देने से ही रोक दिया। जबकि लोगों का पैसा मैं ही दे रही थी।

यह सोचकर कि कोई बात नहीं अक्टूबर 2021 में प्रमिला से मेरा पैसा आना है। उसके साथ ही कृष्णा और मोना से भी। अक्टूबर से जुलाई तक मेरे पास सबका मिलाकर करीब 2 करोड़ रुपए आना था। कट-पिटकर भी मेरे हाथ में डेढ़ करोड़ रुपए बचता। मैंने कहा ठीक है। मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की। क्योंकि प्रमिला आत्रिवाल को जब पैसे का बोलती तो वह मुझे सुसाइड करने की धमकी देती थी। तो मैंने भी बोलना छोड़ दिया था। पर मुझे लोगों का पैसा तो चुकाना ही था। उनको बाकायदा मैंने चुकाया।

सुसाइड नोट... क्रमश:

सुसाइड नोट… क्रमश:

उन्हें हफ्ते के हफ्ते ब्याज सहित किश्तें दी। चाहे वह पैसा ज्ञान श्री बाफना का ढाई प्रतिशत का हो, चाहे परिधी का तीन से पांच प्रतिशत का। राधिका जी का 5 से 14 प्रतिशत का मेरा पैसा कोराना में भी गया है।

फरवरी 2022 में मेरी छोटी बहन की शादी थी। जैसे तैसे मैं शादी में गई। शादी निपटाई। बहुत ही मुश्किलों से वापस आई। यहां आकर मैं संभलती उससे पहले तो 4 मार्च को मेरा झूठा नाम लिखकर वह घर से भाग गई। उसके घर से मेरे पास बार-बार कॉल आ रहे थे। अगले दिन जाकर देखा तो वह कहीं नहीं गई थी। खुद के घर पर ही बैठी थी। जब उसके पति को सारी बात बताई तो वह बोला नहीं है कोई। डूब गया तुम्हारा सारा पैसा। मुझसे पूछकर नहीं दिया तुमने।

और उसके बाद मेरी गाड़ी का पीछा करना। पैसे के लिये फोन करने पर धमकियां देना आम बात हो गई। जो पैसा लगा रहे थे, वह लोग भी हाथ खींचने लगे। इधर, लोग मेरी जान खाने लग गए थे। प्रमिला ने जो खाया तो खाया, कृष्णा सोनी ने भी हाथ खड़े कर दिए। और मोना से तो कभी केश आता ही नहीं था। उसने भी हाथ खड़े कर दिए। एक ने खाया तो बेवकूफ बनाकर धीरे-धीरे सभी यही करने लगे। सबने मिलकर मेरा पैसा रोक लिया। पर लोगों को देना था तो मैंने मेरी ज्वेलरी बेचकर लोगों का जितना बन सका चुकाया।

सुसाइड नोट का आखिरी पेज।

सुसाइड नोट का आखिरी पेज।

मेरी भी एक लिमिट थी। पर अब खत्म हो चुकी है।

अक्टूबर 2021 से आज तक ना मेरे खाने की सुध ना मेरे सोने की ना उठने की। कहीं भी जाओ लोगों का पीछा करना, धमकियां देना पैसे मांगने घर आना…! क्योंकि सबको यह पता था कि पैसा मैंने लिया है। और मैंने सबको एड्रेस भी दे दिया था। क्योंकि मुझे कौनसा खाकर भागना था। धीरे-धीरे यह सब बढ़ता गया। इनमें से एक राधिका जी हैं। जिनसे लेकर मैंने सबको दे रखा था। उनका भी प्रेशर आने लगा। वो हमेशा बोलती की ‘अनी’ गुस्सा हो रहे हैं। वह तो हमेशा गाली-गलौच पर उतर आता है। क्योंकि मई 2022 से इनका पैसा नहीं दे पा रही थी। सबसे ज्यादा ब्याज का भारी पैसा था।

खैर समझाते-बुझाते जैसे-तैसे दिन कट रहे थे। फिर 31 जुलाई की रात को 12 बजे आदित्य ने मेरे घर आकर खूब तोडफोड़ की। बार-बार मुझे और मेरे पति को मारने की धमकी दी। बोला एक मर्डर करके लखनऊ से बच सकता है। इधर, आदित्य पैसे लेने के लिये धमकी दे रहा था उधर, आत्रिवाल पैसा नहीं देने के लिये धमकी दे रहा था। लोग दिन-दिन भर घर के बाहर खड़े रहते थे। पति और बच्चा भी गया। उन्हें धमकी मिली तो उनको घर वाले ले गए। धीरे-धीरे सब दरवाजे बंद होते गए। सब लोगों ने कन्नी काटना शुरू कर दी। मैंने बहुत की हेल्प की थी। कभी यह सोचकर कि करना चाहिए। कभी किसी की मदद से पीछे नहीं हटना चाहिए। चाहे वह दिन हो या रात। पर उस दिन पता चला कि जब मुझे जरूरत थी। तो कोई नहीं था मेरे पास। कई जगह गई रोई गिड़गिड़ाई। किसी ने एक नहीं सुनी। रिपोर्ट कराई किसी के कहने पर नेताओं के पास गुहार लगाई। पर कोई फर्क नहीं। शर्म आने लगी मुझे लोगों से कि आज तक हमेशा दिया ही दिया है। अब मना कैसे करूं। ऊपर से हर एक की धमकी। जिससे लिया उसकी भी और जिससे लेना है उसकी भी। कोई ऐसा नहीं जो धमकी नहीं दे रहा हो। इसी बीच मेरी गाड़ी का भी एक्सीडेंट हो गया। अब मेरे पास धमकियों के अलावा कुछ नहीं बचा।

मेरे मरने तक भी रोज मरने के ख्याल आते पर हिम्मत करती कोशिश करती नए काम के लिये ट्राय करती पर कुछ नहीं होता उस पर सबका प्रेशर अब सहन नहीं हो रहा। रोज-रोज मरने से अच्छा है अब मर कर ही जाना।

मैंने मेरे बाप को भी कायर ही बोला था और आज कायरता वाला काम ही कर रही हूं। बहुत ज्यादा परेशान हो गई हूं।

सबके मैसेज से फोन कॉल से और धमकियों से और जिन सब ने मिलकर मुझे इस मुसीबत में डाला है। वो सब मजे कर रहे हैं। अपनी जिंदगी जी रहे हैं। कोई होप नहीं बची। अब मेरे सब असेट गिरवी पड़े हैं। मैं कहीं आ जा नहीं सकती।

हमेशा लोगों से घिरी रही हूं। मैं आज अकेली पड़ गई हूं। इतना अकेले तो रहने की आदत ही नहीं थी मुझे बिल्कुल भी। आज अगर मुझे मरना पड़ रहा है तो इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मोना शर्मा, प्रमिला आत्रिवाल, कृष्णा सोनी और आदित्य अग्रवाल हैं।

पति उत्तम के साथ करुणा।

पति उत्तम के साथ करुणा।

मुझे जीना था अभी बहुत चीजें बची थी। मेरी बेटी पर मैंने इन सब कामों की वजह से कम ध्यान दिया। सोचा कि इतना काम किया अब अक्टूबर 21 से मेरे पास पेमेंट आना ही है। तब अच्छे से कन्नू और घर देखूंगी। मेरा ही पैसा बाजार में इनवेस्ट करूंगी। दूसरों का चुका दूंगी। पर मुझे क्या मालूम था, मुझे वह पैसा मिलना ही नहीं था। कभी भी।

जिनसे लेना था पैसा वह भी धमकी दे रहे थे कि हम बहुत बड़े लोग हैं। तुम्हें मार कर गाड़ देंगे। मुझे जिन्हें चुकाना था वे बोल रहे थे तेरे पति को मारेंगे। और घर पर आकर तोड़फोड़ करके गए। बैंकों का लोन लेकर मैंने इन सबको पैसे दिए कि यदि जरूरत हो तो ये लोग मुझे समय पर पैसा दे दें।

आज के दिन अगर में इस स्थिति में हूं। तो सिर्फ और सिर्फ इन चारों की वजह से। मैं मजबूर हूं कि मुझे मरना पड़ रहा है। नहीं तो मुझे मार दिया जाएगा। ये बहुत बड़े लोग हैं। इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। क्योंकि हेमन्त आत्रिवाल, प्रमिला आत्रिवाल धमकी देते थे कि हमने कईयों को जमीनों के नीचे पहुंचाया है। तू क्या है।

आदित्य बोलता है कि पहले भी खून कर चुका हूं। अब और भी कर दूंगा। तो मेरा बाप मुझे बचा लेगा।

करुणा ने अपने सुसाइड नोट में प्रमिला और उसके पति हेमंत आत्रिवाल का नाम भी लिखा है।

करुणा ने अपने सुसाइड नोट में प्रमिला और उसके पति हेमंत आत्रिवाल का नाम भी लिखा है।

और मोना दी के मेन्टली टॉर्चर का तो क्या ही कहना। अगर गलती से भी बोल दिया नॉर्मली की आज मुझे डिस्टर्ब मत करना। प्लीज आज के दिन में रेस्ट करुंगी तो उस दिन तो इतनी आग लग जाती थी कि मेरे सब फोन पर फोन, पति के नंबर पर फोन, बाईयों को फोन और छोटी सी सात साल की बेटी के सेल पर भी फोन। सिर्फ ये कंफर्मेशन के लिये कि मैं सो रही हूं कि नहीं। और अभी जुलाई से तो नाक में दम करके रख दिया। मेरे भाई-बहन, ससुराल वाले, इधर-उधर जहां मर्जी इन्होंने फोन किए। और कइयों से करवाए भी।

किसी को मोना दी के घर पर फोन नहीं कर सकते। गलती से नंबर मांग लो या कर दो तो या तो उनका पति उनको पीटता। या मरने की धमकी देने लगती। आप को इतनी दिक्कत आती तो कभी सामने वाले का भी तो सोचो। वो वह भी परेशान होता होगा। जबकि वह तो फंसा ही।

अपनी वजह से इन सब मैं तंग आ चुकी हूं। अब में इन सब से भरोसे रह रह कर भी ओर लोगों की सुन-सुन कर भी नहीं हो पा रहा है। अब मेरे से पीछे अक्टूबर 21 से आज सालभर हो गया। इतना टॉर्चर होते-होते अब नहीं हो पाउंगी। इतनी सहन शक्ति नहीं मुझमें।

मुझे पता है कि मेरी मौत के जिम्मेदार हैं उन्हें सजा नहीं मिलेगी। क्योंकि यह बहुत ही पहुंचे हुए लोग हैं। पॉलीटिकल बैकग्रांउड के लोग हैं। पर मेरी मौत के जिम्मेदार भी यही लोग हैं। मोना शर्मा, प्रमिला आत्रिवाल, कृष्णा सोनी, आदित्य अग्रवाल।

अगर सजा हुई तो मैं इसी में संतुष्ट रहूंगी कि कहीं ना कहीं कुछ तो सिस्टम है। मरने के बाद थोड़ी शांति मिलेगी। अगर सजा नहीं मिली तो मैं यह बद्दुआ देती हूं कि आज साल भर से ज्यादा हो गया। मुझे मेरी मौत की भीख मांगते-मांगते। मेरी बेटी का जीवन खराब करते–करते। भगवान करे तुम सब की इससे बद्दतर स्थिति हो। जैसे मैं तड़पी हूं। अगर उसका एक प्रतिशत भी तड़पोगे तब तब मैं याद आउंगी। मैं तो हालांकि मर ही रही हूं। पर जिस-जिस ने मुझे इस स्थिति में धकेला है। तैयार हो जाना अब अपनी बारी के लिए

मोना शर्मा, प्रमिला आत्रिवाल, कृष्णा सोनी, आदित्य अग्रवाल।

अगर कोई मेरी बॉडी लेने टाइम से आ गए और ऑर्गन सही हुए तो मेरी आंखें, किडनी, हार्ट डोनेट करना चाहती हूं। मुझे कोई अंतिम संस्कार वगैरह नहीं चाहिए। अगर हो सके तो मुझे इलेक्ट्रिक क्रियाकर्म ही करें। यही मेरी आखिरी इच्छा है। प्लीज प्लीज प्लीज मेरे मौत के जिम्मेदार सभी को सजा दी जाए। हाथ जोड़कर विनती है।

करूणा उत्तम शर्मा।

यहां पढ़ें करुणा के सुसाइड की खबर और कैसे दुपट्‌टे को बनाया फंदा

शहर की इंटीरियर डिजाइनर करुणा शर्मा ने 1 नवंबर यानी मंगलवार की रात अपने ही दुपट्‌टे को फंदा बनाकर फांसी लगा ली। वह कर्ज में डूबी थी। और कई लोग उससे पैसा मांग रहे थे। उसने पूरा पैसा बीसी के नाम खर्च कर दिया था। कुछ महिला दोस्तों को भी इसमें से हिस्सा दिया था। मंगलवार की शाम करुणा को पति उत्तम लगातार कॉल कर रहा था, लेकिन वो फोन रिसीव नहीं कर रही थी। उत्तम ने जब मोबाइल फोन पर करीब 700 किलोमीटर दूर भिलाई से अपने घर में लगे CCTV कैमरे के फुटेज खंगाले, तो पत्नी फंदे पर लटकी दिखी। फांसी लगाते वक्त वह फ्लैट में अकेली थी।

उत्तम ने तत्काल पड़ोसी को फोन लगाकर भेजा। दरवाजा तोड़कर जब महिला को निकाला गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। महिला का फांसी लगाते हुए CCTV फुटेज भी सामने आया है। चूंकि ये वीडियो आपको विचलित कर सकता है, इसलिए इसे पूरा नहीं दिखा सकते है। यहां देखें वीडियो।

करुणा को धमकाने वाले शहर से भागे

करुणा के परिचितों का कहना है कि उसे आत्महत्या के पहले तक धमकियां मिल रही थीं। तीन दिन पहले भी उसे इस मामले में किसी ने कॉल कर धमकाया था। करुणा ने 2022 में लगातार धमकी मिलने के चलते जुलाई में ही सभी के नाम से शिकायती आवेदन दिया था। जांच करने वाले अधिकारी ने सबको बयान के लिए भी बुलाया था, लेकिन पुलिस अधिकारी ने यह कहते हुए टाल दिया था कि फंड और बीसी का कोई हिसाब-किताब नहीं होता है। उल्टा करुणा पर दबाव डालकर यह कहा गया कि उसे रुपए तो देने ही पड़ेंगे। यहां पढ़ें पूरी खबर

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