आयुष्मान खुराना और शेफाली शाह के लिए देख सकते हैं ‘डॉक्टर जी’, जानें कहां मात खाई फिल्म
क्या है कहानी
डॉक्टर जी एक टिपिकल आयुष्मान खुराना की फिल्म है। एक छोटे शहर का लड़का, जो ऐसी सिचुएशन में फंस जाता है, जो सोसायटी के लिए अलग है। धीरे – धीरे दोस्तों और परिवार की मदद से उसे समझ आता है कि लोग क्या सोंचेगे से कई ज्यादा है जिंदगी। जिंदगी का हर पल जीना चाहिए बिना इस सोच के लोग क्या कहेंगे। फिल्म का प्लॉट यही है, जिसे इससे पहले बधाई हो, चंडीगढ़ करे आशिकी और विकी डोनर में भी देख चुके हैं। इस फिल्म का टैबू सब्जेक्ट है कि आयुष्मान खुराना अकेले भोपाल मेडिकल कॉलेज के मेल गायनोलॉजिस्ट हैं। डॉक्टर जी एक ऐसी फिल्म है,जिसका फर्स्ट हाफ उसके सेकेंड हाफ से एक दम अलग है। फिल्म का पहला पार्ट जहां बेहतरीन जोक्स से भरपूर है तो दूसरा पार्ट इससे एक दम अलग नए युग की कहानी को बयां करता है।
शेफाली ने बांधा समां
फिल्म की शुरुआत ढीली है, और सोशल कॉमेडी में कॉमेडी कुछ सही नहीं बैठती दिखती है। मेल- फीमेल एनेटॉमी और बच्चे के जन्म से जुड़ी कही बातें अब पुरानी हो गई हैं। शुरुआती एक घंटे तक आप कई बार ये सोचते हैं कि आखिर इसका मतलब क्या है। फिल्म का असली मजा तब शुरू होता है, जब शेफाली शाह की एंट्री होती है। जो डॉ. नंदिनी के किरदार में हैं, जो गायनोलॉजी सेक्शन की हेड है। फिल्म में ऐसे कई किरदार दिखाए जाते हैं जो उदय (आयुष्मान) की रैगिंग करते हैं, लेकिन दोबारा बाद में दिखाई नहीं देते हैं। फिल्म की एडिटिंग भी हलकी है, जहां कई सीन्स बेतुके नजर आते हैं। आयुष्मान स्क्रिप्ट से बेहतर काम करते दिखे हैं, वहीं रकुल ने भी अपना किरदार अच्छा निभाया है। एक सीनियर और लव इंट्रेस्ट के रूप में रकुल जमती हैं और कई सीन्स में उदय को आईना दिखाती हैं। लेकिन ओवर द टॉप और ओवर स्मार्ट डायलॉग्स कई बार मजा खराब कर देते हैं।
सेंसटिव है पहला हाफ
फिल्म इंटरवेल के बाद एक दम अलग तरह से आगे बढ़ती है और एक बार को आपको ये भी लगता है कि कहीं आप अलग ऑडिटोरियम में तो आकर नहीं बैठ गए। क्योंकि इंटरवेल के पहले फिल्म सेंसटिव, इमोशनल, दिल को छूने वाली थी। फिल्म के आखिर में मेलोड्रामा है लेकिन इसके बाद भी फिल्म उपदेश जैसा देती नहीं दिखती है जो एक बड़ी बात है। हालांकि फिल्म का दूसरा हाफ पहले हाफ के लेखन से एक दम अलग लगता है। आयुष्मान का काम बेहतर है, लेकिन अब उन्हें अपने पैटर्न में बदलाव लाने की जरूरत है। फिल्म के लिए आयशा कादुस्कर एक सरप्राइज एलिमेंट है, जो एक टीनएजर है लेकिन अपने से उम्र में काफी बड़े शख्स के साथ शादी की है। आयशा ने अपने किरदार को अच्छा संभाला है।
देखें या नहीं फिल्म
डॉक्टर जी एक ऐसी फिल्म है, जो और बेहतर हो सकती थी। हालांकि इसके बाद भी ये एक ऐसी फिल्म है, जो अपनी ऑडियंस तक पहुंच ही जाएगी। फिल्म की खास बात है कि ये उपदेश नहीं देती है। साफ सुथरे ह्यूमर देने की कोशिश के बावजूद फिल्म कहीं कहीं पर क्रिंजी हो जाती है। फिल्म के कलाकारों ने स्क्रिप्ट में जान डालने का काम किया है। तो आप अगर आयुष्मान, शेफाली या फिर रकुल के फैन हैं तो आप ये फिल्म देख सकते हैं।
