14 साल की ‘अनाथ’ लड़की!: रात में फिल्म देखी; सुबह अपनी फिल्मी कहानी बनाई

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बैतूल35 मिनट पहले

कोरोना की दूसरी लहर में इस नाबालिग के मां-बाप की मौत हो चुकी है। इसे मां की सहेली के पास रहने भेजा गया। उसने भी प्रताड़ना के अलावा कुछ नहीं दिया। अंतत: वह उसका घर छोड़कर सड़कों पर आ गई…।

14 साल की एक लड़की मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात बैतूल की सड़कों पर अकेली भटकती दिखी। समाजसेवियों ने उसे थाने पहुंचा दिया। इसके बाद शुरू हुई एक ऐसी कहानी, जिसमें इमोशन, ड्रामा, सस्पेंस …सबकुछ है।

आइए, सिलसिलेवार तरीके से पूरी कहानी बताते हैं…

पहले बात लड़की के इमोशन की, जिसने सुना कलेजा कांप गया

मैं अनाथ हूं। माता-पिता कोरोना की दूसरी लहर में मर गए। नाना-नानी भोपाल में रहते हैं, लेकिन उन्होंने मुझे साथ रखने से मना कर दिया। नानी ने मुझे मेरी मां की एक सहेली के घर भेज दिया। ये कहकर कि तुम ही इसे पालो। पढ़ाओ-लिखाओ। शादी कर देना। ऐसा नहीं कर सको, कोई दिक्कत आए तो इसे बेच देना। हम अपने पास नहीं रख सकते।

(जो कहानी लड़की ने पुलिस को बताई।)

अब ड्रामा …मां की सहेली ने बहुत दु:ख दिए

लड़की बोली- जब नानी ने मुझे मां की सहेली के पास भेज दिया तो उसने रख लिया, लेकिन बहुत दु:ख देती थी। छोटी-छोटी बातों पर डांटती थी। उनके घर में झगड़े बहुत होते थे। इन्हीं झगड़ों और डांट-फटकार से तंग आकर मैं वहां से भाग गई। इसके बाद मैं पूरी तरह अनाथ हो गई।

सस्पेंस… समाजसेवी, वन स्टॉप सेंटर और पुलिस सकते में

लड़की की कहानी सुनकर सब भावुक हो गए। समाजसेवी, वन स्टॉप सेंटर और पुलिस महकमे के लोग सकते में आ गए। लड़की के माता-पिता काे अब तक कोरोना के मृतकों की सूची में दर्ज क्यों नहीं किया गया, बच्ची के अनाथ होने की जानकारी अब तक प्रशासन क्यों नहीं जुटा सका था? ऐसे कई सवाल उठने वाले थे।

मामला सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन की पहली चिंता थी बालिका के सुरक्षित आवास की। आनन-फानन में बाल कल्याण समिति को सूचना दी गई, जिसके आदेश पर बालिका को फौरी तौर पर वन स्टॉप सेंटर भेजने के निर्देश दिए गए।

और अब क्लाइमेक्स…

पुलिस की तफ्तीश चल ही रही थी कि बैतूल गंज पुलिस चौकी में बालिका के माता-पिता आ गए। जी हां ! वही माता-पिता, जिन्हें लड़की कोरोना की दूसरी लहर की भेंट चढ़ना बता रही थी। पिता ने पुलिस को बताया कि बेटी रोज सुबह टहलने निकलती है। कल भी निकली, लेकिन लौटी नहीं। रिश्तेदारों के यहां तलाश रहे थे। कोई जानकारी नहीं मिली। बुधवार को उसके पुलिस थाने में होने की जानकारी मिलने पर आए।

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कहानी फिल्मी इसलिए, क्योंकि फिल्म देखकर ही बुनी गई

लड़की की बड़ी बहन पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्रा है। उसने दैनिक भास्कर को बताया कि घर से भागी उसकी बहन बचपन से ही ऐसी है। सोमवार को उसने टीवी पर एक फिल्म देखी थी। फिल्म का नाम याद नहीं आ रहा, लेकिन उसमें मां-बाप से बच्चे के बिछड़ने का सीन था। बहन के मुताबिक अब समझ आ रहा है कि उसने मां-बाप के मरने से लेकर अनाथ होने, मां की सहेली की पूरी कहानी फिल्म देखकर ही बनाई थी। कहानी के किरदार नाना-नानी भोपाल में नहीं, बल्कि बैतूल के पास के ही गांव में रहते हैं। मां की उस सहेली का दुनिया में वजूद ही नहीं है, जो लड़की की कहानी में उसे ले जाकर दु:ख देती थी।

अब ये भी जान लीजिए कि लड़की है कौन

लड़की खेतिहर मजदूर परिवार से है। उसकी एक बहन है और एक भाई है। कक्षा 8वीं में पढ़ती है। इससे पहले कभी ऐसी कहानी नहीं बनाई, लेकिन घरवालों का कहना है- उसका दिमाग ऐसा है कि चीजों को समझने में उसे समय लगता है। ऐसी मनगढ़ंत कहानी, जिसमें बारीकी से एक-एक चीज विस्तार से ये बता सकती है, ये पहली बार देख रहे हैं। पढ़ने-लिखने में औसत है।

सबने ली राहत की सांस

बालिका की बताई कहानी के बाद बाल कल्याण समिति उसे मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, आशीर्वाद योजना में शामिल करने के लिए दस्तावेज की तलाश कर रही थी। बालिका को बाल आश्रम भेजने की भी तैयारी की जा रही थी, लेकिन उसके मां-बाप के सामने आने के बाद कहानी ही पलट गई। इसके बाद पुलिस ने भी राहत की सांस ली है।

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