ईयर एंडर 2025: क्रेज़ी से होमबाउंड तक, 7 अंडररेटेड बॉलीवुड फिल्में जिन्हें मिला कम प्यार

ईयर एंडर 2025: जब अच्छी फिल्में रह गईं पीछे, 7 अंडररेटेड बॉलीवुड फिल्मों की लिस्ट पर डालें नजर
कुछ इस तरह 2025 ने चुपचाप दर्शकों को कुछ सबसे साहसी, अलग सोच वाले और सोचने पर मजबूर करने वाली हिंदी फिल्में दीं, भले ही इनमें से कई फिल्में दर्शकों में नजर में आ नहीं पाईं। तो चलिए कुछ उन्हीं फिल्मों पर नजर डालते हैं, जिन्हें मजबूत कहानी और परफॉर्मेंस के बावजूद होना पड़ा नजरअंदाज।
1. क्रेजी
2025 की उन फिल्मों में यह भी शामिल है जिसे बहुत कम चर्चा मिली, जबकि इसमें सोहम शाह की दमदार लेकिन अनदेखी अदाकारी देखने को मिली। एक आदमी और एक कार के इर्द-गिर्द घूमती यह थ्रिलर दर्शकों की सहनशक्ति और अभिनेता की काबिलियत दोनों को परखती है। हो सकता है फिल्म का अंत हर किसी को संतुष्ट न करे, लेकिन आज के तयशुदा और शोरगुल वाले सिनेमा के दौर में यह एक निडर कोशिश के तौर पर याद की जाएगी। सोहम शाह ने साबित किया कि बॉलीवुड को ऐसे कलाकार चाहिए जो सुरक्षित रास्तों से हटकर कुछ नया करने की हिम्मत रखें।
फिल्म का संगीत भी 2025 के सबसे कम आंके गए म्यूज़िक एल्बम्स में से एक रहा। किशोर कुमार की आवाज़, नए रूप में पेश किया गया ‘गोली मार भेजे में’ और गुलज़ार–विशाल भारद्वाज की जोड़ी इसे खास बनाती है। क्रिएटिव म्यूज़िक वीडियो और अलग अंदाज़ की प्रमोशन रणनीति के साथ यह फिल्म एक पूरी कलात्मक यात्रा जैसा अनुभव देती है।
2. होमबाउंड
2025 की सबसे इमोशनल फिल्मों में से एक होमबाउंड ने इंसानी रिश्तों, यादों और “घर” के मतलब को बहुत सादगी और संवेदनशीलता के साथ दिखाया। इसकी कहानी शांत अंदाज़ में आगे बढ़ती है, जहां बड़े सीन या शोर नहीं, बल्कि छोटे-छोटे भाव और सच्ची अदाकारी दिल को छू जाती है। यह फिल्म दर्शक को धीरे-धीरे अपने साथ जोड़ लेती है और भावनाओं की गहराई में ले जाती है।
जहां साल भर ज़्यादातर बड़ी और शोर वाली फिल्में छाई रहीं, वहीं होमबाउंड अपने सादे लेकिन असरदार रिश्तों और अपनापन तलाशने की भावना के कारण अलग पहचान बनाती है। फिल्म का शांत प्रमोशन और सॉफ्ट विज़ुअल्स भी इसकी कहानी के मूड से पूरी तरह मेल खाते हैं, जिससे दर्शक किरदारों की अन्दर दुनिया से आसानी से जुड़ पाते हैं और फिल्म का असर लंबे समय तक बना रहता है।
3. द डिप्लोमैट
जॉन अब्राहम और सादिया ख़तीब की फिल्म द डिप्लोमैट एक समझदार पॉलिटिकल थ्रिलर है, जिसमें भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को साफ़ और संतुलित तरीके से दिखाया गया है। फिल्म में बड़े स्तर की कूटनीति के साथ निजी टकराव भी दिखते हैं, जिससे कहानी में तनाव और दमदार अभिनय देखने को मिलता है। मजबूत कहानी और सही रफ्तार के कारण यह 2025 की सबसे समझदारी से बनी थ्रिलर फिल्मों में शामिल मानी जाती है।
बेहतर सिनेमैटोग्राफी और मजबूत प्रोडक्शन डिज़ाइन ने कहानी को ज़मीन से जोड़े रखा, जबकि प्रमोशन में फिल्म के अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक पहलुओं पर ध्यान दिया गया। फिर भी, इतनी दमदार फिल्म होने के बावजूद यह ज़्यादातर दर्शकों तक नहीं पहुंच पाई और 2025 की एक अनदेखी लेकिन यादगार फिल्मों में शामिल हो गई।
4. देवा
शाहिद कपूर ने इस साइकोलॉजिकल एक्शन थ्रिलर को अपनी दमदार एक्टिंग से संभाला। फिल्म में वह एक ऐसे पुलिस अफसर की भूमिका में हैं, जिसे याददाश्त की समस्या है और वह अपने ही साथी की हत्या की जांच कर रहा है। देवा सस्पेंस, इमोशन और तनाव के बीच अच्छा संतुलन बनाती है और दर्शकों को बांधे रखती है।
फिल्म का गहरा माहौल, किरदारों की परतें और गंभीर टोन इसे बाकी बड़ी फिल्मों से अलग बनाते हैं। इसका संगीत, सधी हुई सिनेमैटोग्राफी और सोच-समझकर किया गया प्रमोशन फिल्म की गंभीरता को और मजबूत करता है। बॉक्स ऑफिस पर भले ही यह ज़्यादा शोर न मचा पाई हो, लेकिन कहानी और प्रस्तुति के स्तर पर यह एक पूरी और असरदार सिनेमाई अनुभव देती है।
5. धड़क 2
एक जानी-पहचानी फिल्म के नाम को नए नज़रिए से पेश करते हुए धड़क 2 ने उम्मीदों से अलग रास्ता चुना। यह फिल्म सिर्फ प्रेम कहानी पर नहीं टिकी, बल्कि समाज से जुड़े सवालों पर ज़्यादा ध्यान देती है। सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की इस फिल्म में दो युवा प्रेमियों की कहानी के ज़रिए जाति भेद, पहचान और सिस्टम में मौजूद भेदभाव को दिखाया गया है। यह फिल्म पहली धड़क की कहानी को दोहराने के बजाय तमिल फिल्म परियरुम पेरुमल से प्रेरणा लेती है।
भले ही बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का प्रदर्शन सीमित रहा हो, लेकिन इसमें अभिनय ईमानदार था और कहानी जमीन से जुड़ी हुई लगी। भावनाओं में गहराई थी और फिल्म ने रोमांस के साथ समाज से जुड़े अहम मुद्दों को जोड़ने की कोशिश की। इसी वजह से धड़क 2 ऐसी फिल्म बनती है, जिसे जितनी चर्चा और सराहना मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिल पाई।
6. Mrs.
Mrs., जो मशहूर मलयालम फिल्म द ग्रेट इंडियन किचन का हिंदी रीमेक है, 2025 की सबसे सोचने पर मजबूर करने वाली OTT फिल्मों में से एक रही। सान्या मल्होत्रा ने इसमें रिचा का किरदार निभाया है, जो एक ट्रेंड डांसर है। शादी के बाद वह अपने सपनों और अपनी पहचान को संभालने की कोशिश करती है, लेकिन धीरे-धीरे उसे समाज की उम्मीदों और पुरुष-प्रधान सोच का सामना करना पड़ता है।
आरती कादव के संवेदनशील निर्देशन और सान्या मल्होत्रा के सधी हुई अभिनय ने इस कहानी को बेहद असरदार बना दिया। फिल्म बहुत शांति से लेकिन गहराई से यह दिखाती है कि महिलाओं की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कितनी छोटी-छोटी बातें भी बड़ी लड़ाइयों में बदल जाती हैं। बिना शोर मचाए, Mrs. लिंग भेद, आज़ादी और आत्मसम्मान जैसे मुद्दों पर मजबूत बात कहती है। यही वजह है कि यह फिल्म 2025 की सबसे असर छोड़ने वाली लेकिन कम आंकी गई फिल्मों में गिनी जाती है।
7. आगरा
आगरा एक बेबाक फिल्म है, जो रिश्तों की नज़दीकी, दबे हुए जज़्बात और मर्दानगी जैसे मुद्दों को साफ-साफ दिखाती है। छोटे शहर की पृष्ठभूमि में बनी यह कहानी समाज के उन विषयों को सामने लाती है, जिन पर अक्सर खुलकर बात नहीं होती।
फिल्म के अभिनय सच्चे और असरदार हैं, और इसकी कहानी साहस के साथ आगे बढ़ती है। यह आम बॉलीवुड फिल्मों से अलग है और ऐसे सवाल उठाती है जो लोगों को असहज कर सकते हैं। फिल्म की शूटिंग, संगीत और प्रचार भी इसके गंभीर और सोचने वाले माहौल से मेल खाते हैं। इसी वजह से आगरा 2025 की एक ज़रूरी लेकिन कम चर्चा में आई फिल्म बन जाती है।
ये सातों फिल्में मिलकर 2025 में बॉलीवुड की सबसे अलग, साहसी और भावनात्मक कहानी कहने की ताक़त को दिखाती हैं। ये साबित करती हैं कि हिंदी सिनेमा आज भी नए प्रयोग कर सकता है, गहरी और जटिल कहानियों पर भरोसा कर सकता है, और क्रिएटिव तौर से नए रास्ते अपना सकता है, भले ही उन्हें मेनस्ट्रीम में बड़ी पहचान कम ही क्यों न मिले।
शोर-शराबे वाली बड़ी फिल्मों और तय फॉर्मूलों के बीच 2025 ने चुपचाप दर्शकों को यह याद दिलाया कि अलग सोच वाली, जोखिम उठाने वाली और नियम तोड़ने वाली सिनेमा आज भी मौजूद है और ये सात फिल्में इसका जीता-जागता सबूत हैं।




