इज्तिमा में देशभर से एक हजार जमातें आएंगी: धर्मगुरु देंगे अच्छी सीख; सियासी बातें नहीं होंगी

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भोपालएक घंटा पहले
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के ईंटखेड़ी में कल यानी, 18 नवंबर से शुरू हो रहे 73वें इज्तिम में देशभर से करीब एक हजार जमातें शामिल होंगी, जो चार दिन तक यहां रुकेंगी। मुस्लिम धर्मगुरु तकरीरें (प्रवचन) करेंगे और अच्छी सीख देंगे। सियासत से जुड़ी कोई भी बात नहीं होगी, न ही दुनिया के मसलों पर बात की जाएगी। इज्तिमा की शुरुआत नमाज के बाद होगी और नमाज से ही समापन हो जाएगा।
इज्तिमा के लिए कई जमातें एक सप्ताह पहले से ही भोपाल आ गईं, जो मस्जिदों में रुकी हुई है। गुरुवार की शाम से जमातें इज्तिमा की ओर रवाना होने लगी। शुक्रवार सुबह 6.05 बजे फजिर की नमाज के बाद इज्तिमा शुरू हो जाएगा, जो 21 नवंबर तक चलेगा।
इज्तिमा में धर्मगुरु संदेश देंगे, फिर रवाना होंगी जमातें
चार दिन चलने वाले इज्तिमा में सुबह से देर रात तक मुस्लिम धर्मगुरु अलग-अलग विषयों पर जमातों को संदेश देंगे। इज्तिमा खत्म होने के बाद जमातें देशभर के विभिन्न हिस्सों में रवाना होंगी और धर्मगुरु से मिले संदेश को समाजजनों तक पहुंचाएंगी। मदरसों में जाकर बच्चों को अच्छी सीख दी जाएगी। इज्तिमा कमेटी के अनुसार, तकरीरों में माता-पिता की खिदमत करने की बात कही जाएगी। वहीं, हर इंसान की कद्र करने की सीख भी धर्मगुरु देंगे। पदाधिकारियों ने बताया कि बात सिर्फ जमीं के नीचे और आसमान के ऊपर की होगी। हर व्यक्ति के काम करने की सीख भी धर्मगुरु देंगे।

इज्तिमा के लिए 300 एकड़ एरिये में पांडाल बनाया गया है। इसमें जमातें रहेंगी।
ये तकरीरें होंगी
- बंदों को नेक बनने
- दीन की राह पर चलने
- पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब एवं कुरान के संदेश पर अमल करने
- सामाजिक एवं धार्मिक दायित्वों को पूरा करने आदि
चार दिन में 10 लाख लोग जुटेंगे
इज्तिमे के लिए ईंटखेड़ी के घासीपुरा में पिछले 2 महीने में मिनी शहर बसाया गया है। 300 एकड़ से ज्यादा एरिया में बड़े पंडाल बनाए गए हैं। इनमें रहने के इंतजाम किए गए हैं। 17 किलोमीटर लंबी पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है। जमातों के लिए साढ़े चार हजार टॉयलेट बनाए गए हैं। यहां देशभर से जमातें आएंगी। इन्हें सिर्फ वेज खाना मिलेगा। 50 रुपए में खाना, तो 20 रुपए में नाश्ता मिलेगा। प्लास्टिक के डिस्पोजल पूरी तरह से बैन रहेंगे।

इज्तिमा स्थल पर एकसाथ 17 हजार लोग वजू कर सकेंगे। स्थायी और अस्थायी तरीके से वजू खाने इसी तरह से डिजाइन किए गए हैं।
कोरोना की वजह से दो साल नहीं हुआ आयोजन
इज्तिमा अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब कई लोगों का एक जगह पर इकट्ठा होना है। भोपाल में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में मस्जिद शकूर खां में महज 12 या 14 लोगों के साथ की गई थी। इसके 2 साल बाद इसे ताजुल मस्जिद में किया जाने लगा। जब इसमें आने वाले लोगों की संख्या लाखों में होने लगी और मस्जिद कैम्पस छोटा लगने लगा। फिर इसे साल 2015 में बैरसिया रोड स्थित ईंटखेड़ी के पास घासीपुरा में शिफ्ट कर दिया गया। तब से यह यहीं पर लगाया जा रहा है। इसके लिए 2 महीने पहले से तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। बड़े-बड़े डोम, टेंट समेत वजूखाने, टॉयलेट, पानी-सीवेज लाइन और बिजली के इंतजाम शुरू कर दिए जाते हैं। इस बार भी सारे इंतजाम हो चुके हैं। कोरोना की वजह से दो साल आयोजन नहीं हुआ।

इज्तिमा स्थल पर स्थायी वजू खाने भी हैं।
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का ईंटखेड़ी मिनी शहर की तरह तैयार हो रहा है। यहां 18 से 21 नवंबर तक देशभर से करीब 10 लाख लोग जुटेंगे। इज्तिमे के लिए ईंटखेड़ी के घासीपुरा में पिछले 2 महीने से मिनी शहर बसाया जा रहा है। ये 73वां इज्तिमा है। 300 एकड़ से ज्यादा एरिया में बड़े पंडाल बनाए गए हैं। इनमें रहने के इंतजाम किए गए हैं। 17 किलोमीटर लंबी पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है। जमातों के लिए साढ़े चार हजार टॉयलेट बनाए गए हैं। यहां देशभर से जमातें आएंगी। इन्हें सिर्फ वेज खाना मिलेगा। 50 रुपए में खाना, तो 20 रुपए में नाश्ता मिलेगा। प्लास्टिक के डिस्पोजल पूरी तरह से बैन रहेंगे। यह पढ़ें

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