इंदौर में बच्ची के साथ ड्राइवर का वहशीपन: इंटरनल ऑर्गन पर आए टांके से बढ़ी मासूम की मुश्किलें

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इंदौर34 मिनट पहले
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पिछले माह चंदन नगर में मासूम बच्ची के साथ ड्राइवर द्वारा दुष्कर्म करने के मामले में भले ही 20 दिनों बाद बालिका को डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन अभी उसे ठीक होने में लंबा समय लगेगा। दरअसल, ड्राइवर ने उसके साथ जिस तरह का वहशीपन किया उससे मासूम की शारीरिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई है। उसने थोड़ा बहुत खाना-पीना शुरू किया है लेकिन सदमे से अभी उबरी नहीं है। खास परेशानी उसकी दिनचर्या की है। आरोपी द्वारा उसके साथ जो कृत्य किया गया उसके बाद से उसे यूरिन-लेट्रिन दोनों में ही परेशानियां खड़ी हो गई है। ऑपरेशन के बाद उसके लेट्रिन के लिए रास्ता पेट के जरिए बनाया गया है। यहां एक नली लगाई गई है जिसका दूसरा सिरा एक प्लास्टिक बैग पर है। इस प्रकार घटना के बाद से अब उसकी यह दिनचर्या कृत्रिम रूम से कराई जा रही है।

परिवार के मुताबिक कुछ ऐसी बातें जो खुलकर नहीं की जा सकती। फिर उन्होंने अपना दुख साझा करते हुए बताया कि दुष्कर्म से बालिका की स्थिति ऐसी हो गई कि उसके प्राइवेट अंग पर कई टांके लगाए गए जिससे उसे लंबे समय तक पीड़ा होती रही। यही नहीं उसे टायलेट को लेकर भी परेशानी हुई और फिर इतना बढ़ी कि डॉक्टरों ने उसके पेट (Stomach) के बाहर से एक नली लगाकर डिस्चार्ज बाहर कराने को लेकर एक बैग (Colostomy Bag) लगाया है। इसके जरिए उसे बाहरी रास्ते से लेट्रिन कराई जाती है जो काफी पीड़ादायक है। इसके लिए उसका ध्यान रखने के लिए परिवार के एक सदस्य को हमेशा उसके साथ में रहना पड़ता है।
पिता ने बताया कि घटना के बाद से परिवार उसकी देखरेख में लगा है। कमाई का अभी कोई साधन नहीं है। उसकी दवाइयों के साथ उसे हर तीन-तार दिनों बाद डायपर का पैकेट खरीदना पड़ता है जो काफी महंगा होता है। दरअसल, मासूम द्वारा जब भी दैनिक क्रिया की जाती है तो बैग की साफ-सफाई के साथ यह सब करने में कई डायपर लगते हैं जो इसके लिए बहुत जरूरी है। उसे हर हफ्ते फॉलोअप के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक मासूम के प्राइवेट पार्ट काफी जख्मी है जिसके चलते भले ही एक हिस्से में स्टीच लगाए हो लेकिन उसे फिर से अपने प्राइवेट पार्ट ठीक होने में काफी समय लगेगा।
अब हम नहीं करेंगे चौकीदारी
पिता ने बताया कि घटना ने हमें पूरी तरह तोड़ दिया है। इस बार दीपावली के लिए काफी सपने संजोए थे लेकिन हमारी खुशियां छीन ली गई। मुझे मजदूरी और चौकीदारी से अब नफरत हो गई है। मैं अब चौकीदारी नहीं करुंगा। जहां हम चौकीदारी करते थे और जहां से रात को हमारी बच्ची को अगवा कर दुष्कर्म किया गया था, उस स्थान से भी इतनी नफरत हो गई है कि हमने वह मकान खाली कर दिया है। खास कारण मासूम बच्ची का भी है क्योंकि जब उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तो घर पहुंचने पर उसके दिलो-दिमाग में वही बातें नहीं आए इसलिए हम किराए के दूसरे मकान में करने आ गए लेकिन अभी उसे अकेला छोड़कर पति-पत्नी मजदूरी नहीं कर सकते। यूं भी अब कभी मजदूरी-चौकीदारी नहीं करेंगे। कोई और दूसरा काम मिलेगा तो हम करेंगे लेकिन पहले यह कि हमारी गुड़िया अच्छी हो जाए। मेरी लोगों से अपील है कि इस नाजुक समय में हमारी आर्थिक मदद करें।
दोनों घटनाओं में एक जैसा ट्रेंड; अपराधी का कोई बहाना और वही रात का समय
प्रदेश में बच्चियों के साथ रेप केस के मामले में अपराधियों द्वारा अपराध करने का एक जैसा ट्रेंड सामने आया है। खासकर हाल ही में इंदौर के चंदन नगर में और खंडवा की बालिकाओं के साथ। इन दोनों घटनाओं के पहले भी इंदौर में ऐसी घटनाएं हुई है जिसमें भी कुछ इस तरह का ट्रेंड ही सामने आया है। इसमें जो खास बात सामने आई है वह यह कि ऐसे गरीब परिवार जो दो जून की रोटी की के लिए सुबह से शाम तक मजदूरी करते हैं, उन परिवारों की बच्चियों को अपराधियों द्वारा शिकार बनाया गया है।
चंदन नगर की घटना : पानी लेने के बहाने आया
चंदन नगर की घटना में आरोपी ड्राइवर पानी लेने के बहाने बच्ची के पिता के घर एक-दो बार आया था और बच्ची को देख नीयत खराब कर ली। फिर एक रात मौका पाकर बच्ची को अगवा कर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़ित परिवार ड्राइवर को पहले से नहीं जानता था।
खंडवा की घटना : खटिया मांगने के बहाने आया
खंडवा में भी बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाला आरोपी से पीड़ित परिवार की जान-पहचान नहीं था। वह उनके घर से कुछ दूर ढाबे पर काम करता था। घटना वाली रात 10 बजे वह बालिका के घर आया और उसके पिता से खेत में सोने के लिए खटिया मांगी थी। पिता ने उसे खटिया दे दी। फिर आधी रात को वह उनके घर आया और बच्ची को अगवा कर ले गया और दुष्कर्म किया। बच्ची अभी इंदौर के एक अस्पताल में एडमिट है।
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