आशा, ऊषा भूख हड़ताल का 5वां दिन: 50 से ज्यादा कार्यकर्ताएं भूख हड़ताल पर बैठी

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बैतूल24 मिनट पहले
निश्चित मासिक वेतन की मांग कर रही आशा ऊषा कार्यकर्ताओं ने आज बैतूल में भूख हड़ताल की। अपने प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत पांचवें दिन जिला उद्योग ऑफिस के सामने सरकार का विरोध करते हुए सैकड़ों कार्यकर्ता जुटी। इनमे 50 से ज्यादा कार्यकर्ता 24 घंटे के लिए भूख हड़ताल पर बैठी है।
पिछले 14 नवंबर से हड़ताल कर रहे संयुक्त मोर्चे ने कार्यकर्ताओं की कई प्रमुख मांगो का पहले दिन ज्ञापन भी सौंपा था। दूसरे दिन कार्यकर्ताओं ने सद्बुद्धि यज्ञ किया था जबकि उसके बाद काला दिवस और भजन गाकर विरोध प्रदर्शन किया गया था। कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया के जरिए भी अपने आंदोलन को गति दी थी।
आज भी अपनी प्रदेश व्यापी हड़ताल के आखिरी दिन कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा की वे अब तक सैकड़ों ज्ञापन सौप चुके है वे 18 नवंबर तक हड़ताल पर है।कार्यकर्ताओ ने आज मांग की है कि मिशन संचालक के प्रस्ताव को लागू कर आशा को 10,000 और पर्यवेक्षक को 15,000 रुपए निश्चित वेतन दिया जाए।। अपनी प्रदेश व्यापी हड़ताल के पहले दिन कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन सौप कर कहा की वे स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख मैदानी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं।
पूरे देश में मातृ एवं शिशु मृत्यु को रोकने के विभाग के अभियानों को कठिन परिस्थितियों में संचालित करने, ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने, महामारी से निबटने में आशाओं की भूमिका और आशाओं के काम के महत्व को मान्यता देते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश एवं प्रदेश की आशाओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर की उपाधि देते हुये 6 अंतर्राष्ट्रीय अवार्डों से नवाजा है । यह अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो आशाओं की मेहनत के चलते देश को प्राप्त हुई है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मध्य प्रदेश की अधिकांश आशाएं अभी भी मात्र 2000 रुपए के अल्प वेतन में गुजारा करने के लिये विवश है। यह राशि भी केन्द्र सरकार द्वारा देय है ।
दूसरे राज्यों में मिलता है ज्यादा मानदेय
आन्ध्र प्रदेश सरकार अपनी ओर से 8,000 मिलाकर आशा को 10,000 रुपये का मानदेय देती है। तेलंगाना में राज्य सरकार 7,500 रुपये मिलाकर 9,500 रुपए देती हैं। इसी तरह केरल, महाराष्ट्रा, हरियाणा सहित सभी राज्य सरकारें आशा एवं पर्यवेक्षकों को अपनी ओर से अतिरिक्त मानदेय दे रही है , लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने आशा एवं पर्यवेक्षक को अपनी ओर से विगत 15 वर्षों से कुछ भी नही दिया। आशाओं में से सहयोगी बनाकर प्रशिक्षण देकर आशाओं के काम का पर्यवेक्षण करने वाला आशा सहयोगियों को 2021 में पर्यवेक्षक का पद नाम दिया गया। पर्यवेक्षकों को दिए जा रहे यह वेतन सरकार के श्रमिक के न्यूनतम वेतन की दर से भी कम है। आशा और पर्यवेक्षकों को मिल रहे वेतन का असली मूल्य लगातार घट रहा है।
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