आदिवासी बैतूल में नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम हुआ आयोजित: छ जिलों की महिलाएं हुई शामिल, महिला हक, स्वरोजगार, स्वास्थ्य के मुद्दो पर हुई चर्चा

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बैतूल4 घंटे पहले

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आदिवासी समाज संगठन महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में रविवार को आदिवासी सामुदायिक मंगल भवन में आदिवासी नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम-2022 का आयोजन किया गया। सम्मेलन में महिलाओं ने कई मुद्दों पर विचार किया। जिसमें 6 जिलों की महिलाएं शामिल हुई।

कार्यक्रम में महिलाओं के द्वारा अलग-अलग समूह बनाकर पोस्टर के माध्यम से शिक्षा, हक अधिकार, रोजगार, स्वरोजगार, आत्मनिर्भर बनने, कुटीर उद्योग, अपनी मातृभाषा, स्वास्थ्य जैसे अनेक मुद्दों पर विस्तृत वर्णन किया गया। प्रदेश सचिव हेमलता कटारा ने सम्मेलन में महिलाओं को बताया की नेतृत्व कैसे खड़ा किया जाए।

संगठन का विस्तार करना, महिलाओं की ताकत एक बंद मुठ्ठी के समान होना चाहिए। उन्होंने कहा की अपने हक अधिकारों के लिए संगठित होकर लड़ाई लड़नी हैं। हमे महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय, शोषण के खिलाफ लड़ना हैं। कार्यक्रम के दौरान सर्वसम्मति से गीता उइके को बैतूल जिला सचिव आदिवासी एकता परिषद मनोनीत किया गया। वहीं एमसीआई टीम बैतूल के द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक की प्रस्तुति दी गई। आदिवासी समाज की महिला जनप्रतिनिधियों का भी महिला प्रकोष्ठ के द्वारा सम्मान किया गया।

अपनी भाषा, संस्कृति, सभ्यता को लेकर जागरूक होना आवश्यक

बैतूल जिले के अलावा छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, नर्मदापुरम, हरदा से महिलाएं इस कार्यक्रम में शामिल हुई। राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद गुजरात अशोक चौधरी ने कहा कि मनुष्य की उत्पत्ति करोड़ो वर्ष पहले हुई, फिर भी हम गुलाम हैं। हमे अपनी भाषा, संस्कृति, सभ्यता को लेकर जागरूक होना हैं। हमें मालिक बनने की जरूरत हैं। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अनिता सोलंकी राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ आदिवासी एकता परिषद ने कहा कि महिलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित होकर कार्य करना है।

हमें शिक्षित होना है, मध्यप्रदेश में आदिवासी महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा अन्याय, अत्याचार शोषण हो रहा हैं, हमे जागरूक होने की जरूरत हैं। हमारे बेटे बेटियों को अच्छे संस्कार देने की जरूरत हैं। इस कार्यक्रम में अनिता खरते सामाजिक कार्यकर्ता, रमा टेकाम बालाघाट, मनीषा धुर्वे नर्मदापुरम, नंदिता धुर्वे छिंदवाड़ा, पूर्व सांसद ज्योति धुर्वे, महिला जिला उपाध्यक्ष दुर्गा उइके, सहित आदिवासी समाज की अन्य महिलाए थी। कार्यक्रम देर शाम तक चला।

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