आज से मौसम का नया साल: मानसून विदा, भोपाल में रिकॉर्ड 75.24 बारिश; सीजन के कोटे 42 इंच से 33.24 इंच ज्यादा

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भोपालएक घंटा पहलेलेखक: अनूप दुबोलिया
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भोपाल में 75.24 इंच बारिश का ऑल टाइम और सबसे लंबी बारिश का रिकॉर्ड बना।
आधिकारिक तौर पर मानसून भले ही विदा नहीं हुआ हो, लेकिन मौसम केंद्र के रिकॉर्ड में शुक्रवार को मानसून सीजन खत्म हो गया। शनिवार से मौसम का नया साल लग जाएगा। इस बार का मानसून भोपाल समेत पूरे मध्यप्रदेश के लिए बहुत ही खास रहा। भोपाल में 75.24 इंच बारिश का ऑल टाइम और सबसे लंबी बारिश का रिकॉर्ड बना। एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर और सॉइल एक्सपर्ट डॉ. आरके जायसवाल कहते हैं कि इस मानसून ने इतनी बारिश कराई कि जमीन में ऊपर तक पानी समा चुका है।
इससे जमीन में लगातार नमी बनी रहेगी। कुएं, तालाब, डेम, नदी, ट्यूबवेल सब फुल रिचार्ज यानी लबालब हो चुके हैं। इसका असर यह होगा कि गेहूं, मटर, आलू, प्याज की बंपर पैदावार होगी। इन फसलों का रकबा इस बार बहुत बढ़ेगा। रबी सीजन की फसलों की बोवनी जल्दी शुरू हो जाएगी। जमीन की स्थिति इतनी बेहतर है कि गेहूं की बोवनी 15 अक्टूबर से शुरू की जा सकती है। भोपाल में मानसून ने 20 जून को दस्तक दी थी। जुलाई में सबसे ज्यादा दिन पानी बरसा।
इस बार 15 फरवरी तक अच्छी ठंड
इस बार 26 सितंबर तक पानी गिरा है। इससे अक्टूबर में जो हीटिंग शुरू में होती है, उसमें कमी आएगी। आमतौर पर ठंड 15 नवंबर से शुरू होती है। इस बार अक्टूबर से ही शुरू हो जाएगी। इस कारण ठंड का पीरियड बढ़ेगा। यानी यह 15 फरवरी के बाद तक जाएगी। – डॉ. डीपी दुबे, सेवानिवृत्त निदेशक, मौसम केंद्र
सिर्फ तीन जिलों में सामान्य से कम बारिश
- इस बार लंबा मानसून ब्रेक नहीं हुआ। मानसून ट्रफ लाइन ज्यादा दिन तक हिमालय की तराई में नहीं गई। लगातार स्ट्रांग मानसूनी सिस्टम सक्रिय रहे। इन सिस्टम ने सही ट्रैक पकड़ा।
- भोपाल में सीजन के कोटे की बारिश से 33.24 इंच से ज्यादा बारिश हुई, यानी अगले मानसून सीजन के 70 फीसदी हिस्से की भरपाई कर दी।
- प्रदेश के सिर्फ 3 जिलों आलीराजपुर, रीवा और सीधी में ही सामान्य से कम बारिश हुई। यह भी 20% से 24% के आसपास रही, जो सामान्य बारिश के दायरे के आसपास ही है।
4 बड़े रिकॉर्ड भी तोड़े
1973 – 74.80 इंच
2006 – 68.45 इंच
2016 – 58.56 इंच
2019 – 70.26 इंच
2022 – 75.24 इंच
चारों महीने में कब कितनी बारिश हुई
- जून में 9 दिन
- जुलाई में 26 दिन
- अगस्त में 20 दिन
- सितंबर में 17 दिन
ज्यादा बारिश की यह सबसे खास वजह
मौसम विशेषज्ञ डॉ. जीडी मिश्रा के मुताबिक हमारे यहां बंगाल की खाड़ी में बनने वाले लो प्रेशर एरिया का सबसे ज्यादा असर होता है। इस बार यहां जितने भी लो प्रेशर एरिया बने, वे सही ट्रैक से ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ होते हुए मप्र पहुंचे। ये सिस्टम स्ट्रांग भी थे और इनकी इंटेंसिटी भी ज्यादा थी।
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